केंद्र की मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Project) पर सवाल उठते रहे हैं. खासकर, नए संसद भवन (New Parliament Building) के शिलान्यास के बाद खासकर विपक्ष कोविड के टाइम में इस प्रोजेक्ट की अनिवार्यता पर सवाल खड़े कर रहा है. 971 करोड़ में बन रही इस नई बिल्डिंग ने विपक्ष को सरकार पर हमला करने की एक और वजह दे दी है. हालांकि, केंद्र सरकार और उसके मंत्री बार-बार कह रहे हैं कि यह नई बिल्डिंग वक्त की जरूरत बन गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिलान्यास के वक्त बोला था कि यह नई बिल्डिंग नए भारत की पहचान होगी.
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की संसदीय समिति की ओर से इस पूरे प्रोजेक्ट का आकलन करने की मांग पर ट्वीट किया था. उन्होंने यह भी सवाल उठाया था कि सरकार ऐसे वक्त में इस प्रोजेक्ट को आगे क्यों बढ़ा रही है, जब देश इतने बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है.
इसपर केंद्रीय आवास व शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक के बाद एक ट्वीट करके दिग्विजय सिंह पर हमला बोला और सरकार के इस कदम का बचाव किया. उन्होंने विपक्ष को आलसी बताते हुए कहा कि 'अगर दिग्विजय सिंह जी ने अपना होमवर्क किया होता और तथ्यों की जांच की होती तो उन्हें पता चला होता कि नए संसद भवन का प्रस्ताव तबसे है, जब केंद्र में उनकी पार्टी की सरकार थी.'
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उन्होंने कहा कि 2012 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के स्पेशल ऑफिसर ऑन ड्यूटी की ओर से शहरी विकास विभाग को दी गई चिट्ठी में इसे लेकर मंजूरी दी गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस नेता और तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि देश को एक नए संसद भवन की जरूरत है क्योंकि वर्तमान भवन जरूरतें पूरी नहीं कर रहा और आउटडेटेड हो चुका है.
The same sentiment of the then Hon'ble Lok Sabha Speaker Smt Meira Kumar Ji was conveyed by her OSD in 2012 when he emphasised this demand in a letter to the then Secretary, Urban Development.
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) December 22, 2020
पुरी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि 'इस प्रोजेक्ट के लिए आर्किटेक्ट कंसल्टिंग फर्म को पारदर्शी तरीके से QCBS मेथड से हुए एक प्रतिस्पर्धी नीलामी प्रक्रिया के तहत चुना गया है.' उन्होंने बताया कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत ऑर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग प्लानिंग के लिए CPWD ने प्रतिस्पर्धी नीलामी करवाई थी. 2 स्टेज में हुई नीलामी में योग्यता की जानकारी दी गई थी. देशभर की 6 प्रतिष्ठित फर्म ने अपनी तकनीकी और वित्तीय बोली लगाई थी, जिनमें से चार शर्तों पर खरी उतरीं. प्रस्तावों को ज्यूरी ने देखा था, जिसके बाद M/s HCP Design, Planning & Management Pvt Ltd को फिर इस प्रोजेक्ट के लिए चुना गया.
The 2-stage bidding process prescribed detailed qualifying criteria. 6 reputed architectural firms from across the country submitted their technical & financial bids; 4 met the qualifying criteria.
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) December 22, 2020
पुरी ने कांग्रेस नेता को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें मुद्दे पर पूरी जानकारी लेनी चाहिए. उन्होंने तर्क दिया कि ये रकम अगले छह सालों में खर्च की जानी है. इससे भविष्य में किराया, संचालन और रखरखाव का खर्च बचेगा, वहीं संसद की कार्यक्षमता बढ़ेगी.
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