ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट से सील एरिया में कथित शिवलिंग और वजूखाना क्षेत्र का भी ASI से वैज्ञानिक सर्वे कराने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट से सील क्षेत्र में सर्वे पर रोक लगाने के आदेश को वापस लेने की मांग भी की गई है. अर्जी में कृत्रिम दीवारों से सील किए गए वाराणसी मस्जिद के 10 तहखानों को खोलने और ASI द्वारा सर्वेक्षण की इजाजत देने की मांग भी की गई है. ये याचिका शुरुआत में अक्टूबर 2023 में दायर की गई थी.
वकील विष्णु शंकर जैन ने ये याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि...
- माना जाता है कि इन तहखानों में मौजूदा इमारत से पहले के एक हिंदू मंदिर के महत्वपूर्ण सबूत हैं जैसा कि ASI सर्वेक्षण रिपोर्ट में पता चला है.
- ASI को दक्षिणी और उत्तरी किनारों पर सभी तहखानों में आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके वैज्ञानिक जांच करने का निर्देश दिया जाए.
- ASI को तहखानों के भीतर की कृत्रिम दीवारों को खोलने के बाद मरम्मत करने का भी निर्देश दिया जाना चाहिए.
- उत्तर और दक्षिण की ओर प्रत्येक में पांच तहखाने है और उनमें से अधिकांश कृत्रिम दीवारों से बाधित हैं.
- वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा किया है कि सीलबंद तहखानों में हिंदू मंदिर के सबूत और कलाकृतियां हैं.
- विष्णु शंकर जैन ने कहा है कि रिपोर्ट ने तहखानों को कृत्रिम दीवारों से बंद करने के बारे में वादी के दावों में अधिक "स्पष्टता" ला दी है.
- सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका के साथ एक नक्शा भी प्रस्तुत किया गया था.
- ASI रिपोर्ट के तहखाने अनुभाग में उन तहखानों की संख्या का विवरण दिया गया है, जहां ईंट की दीवारों की खोज की गई थी.
- अर्जी में ज्ञानवापी परिसर में सीलबंद "वजूखाना क्षेत्र का ASI सर्वेक्षण कराने की मांग की गई है.
- टैंक को 16 मई, 2022 से सील कर दिया गया था, जब हिंदू पक्ष ने दावा किया कि पहले अदालत द्वारा निर्देशित सर्वेक्षण के दौरान वहां एक कथित "शिवलिंग" पाया गया था.
इससे पहले विष्णु शंकर जैन ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट से संकेत मिला है कि ज्ञानवापी मस्जिद वहां पहले से मौजूद एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी. जैन ने बताया कि एएसआई की 839 पन्नों वाली सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्रतियां बृहस्पतिवार देर शाम अदालत द्वारा संबंधित पक्षों को उपलब्ध करा दी गईं. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट से स्पष्ट है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान एक भव्य हिंदू मंदिर को ध्वस्त किए जाने के बाद उसके अवशेषों पर बनाई गई थी.
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