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This Article is From Feb 21, 2020

गुजरात: फिजिकल एग्जामिनेशन के लिए महिला ट्रेनी क्लर्कों के साथ अनैतिक व्यवहार, कपड़े उतरवाकर लाइन में खड़ा किया गया

यह चौंकाने वाला वाकया हाल में गुजरात के भुज में एक कॉलेज के हॉस्टल में छात्राओं के अंत:वस्त्र उतरवाकर माहवारी की जांच की घटना के कुछ दिनों बाद सामने आया है. 

गुजरात: फिजिकल एग्जामिनेशन के लिए महिला ट्रेनी क्लर्कों के साथ अनैतिक व्यवहार, कपड़े उतरवाकर लाइन में खड़ा किया गया
प्रतीकात्मक तस्वीर
सूरत:

सूरत नगर निगम (SMC) में ट्रेनी फीमेल्स क्लर्क को सूरत नगर निकाय द्वारा संचालित एक अस्पताल में फिजिकल एग्जामिनेशन के लिये एक कमरे में कथित तौर पर बिना कपड़ों के खड़े रखा गया. मामला सामने आने के बाद अधिकारियों ने जांच के आदेश दिए हैं. सू्रत नगरपालिका आयुक्त बंचानिधि पाणि ने शुक्रवार को उन आरोपों की जांच के आदेश दिये जिनमें कहा गया है कि करीब 10 महिला ट्रनी क्लर्कों को अस्पताल के प्रसूति रोग वार्ड में मेडिकल एग्जामिनेशन के लिये बिना कपड़ों के खड़े रखा गया. यह चौंकाने वाला वाकया हाल में गुजरात के भुज में एक कॉलेज के हॉस्टल में छात्राओं के अंत:वस्त्र उतरवाकर माहवारी की जांच की घटना के कुछ दिनों बाद सामने आया है. 

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आयुक्त को दी अपनी शिकायत में एसएमसी कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि महिला चिकित्सकों ने अविवाहित महिलाओं की भी गर्भावस्था से जुड़ी जांच कीं. यह कथित घटना 20 फरवरी को एसएमसी द्वारा संचालित सूरत नगरपालिका चिकित्सा शिक्षा एवं शोध संस्थान (SMIMER) अस्पताल में हुई. शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पाणि ने आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय एक समिति गठित की है जो 15 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. 

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समिति में मेडिकल कॉलेज की पूर्व डीन डॉ. कल्पना देसाई, सहायक नगरपालिका आयुक्त गायत्री जरीवाला और कार्यकारी अभियंता तृप्ति कलाथिया शामिल हैं. अधिकारियों ने कहा कि प्रशिक्षण अवधि पूरी होने के बाद नियमों के मुताबिक ट्रेनी कर्मचारियों को नौकरी के लिये शारीरिक तौर पर खुद को स्वस्थ साबित करने के लिये शारीरिक परीक्षण से गुजरना होता है. उन्होंने कहा कि तीन साल का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद कुछ महिला प्रशिक्षु लिपिक चिकित्सीय परीक्षण के लिये अस्पताल आई थीं, जो अनिवार्य है. 

कर्मचारी संघ ने कहा कि वह अनिवार्य जांच के खिलाफ नहीं है लेकिन महिला कर्मचारियों की जांच के लिये प्रसूति वार्ड में जो तरीका अपना गया वह सही नहीं था. कर्मचारी संघ ने अपनी शिकायत में कहा, "परीक्षण के लिये कमरे में महिलाओं को एक-एक कर बुलाने की जगह महिला चिकित्सक ने उन्हें 10 के समूह में बुलाकर बिना कपड़ों के एक साथ खड़ा किया. यह निंदनीय है."

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इसमें कहा गया, "यह तरीका अवैध और मानवता के खिलाफ है. यह जरूरी है कि हर महिला की अलग जांच की जाए." संघ के महासचिव अहमद शेख के मुताबिक महिला कर्मचारियों को महिला चिकित्सक द्वारा परीक्षण के दौरान गर्भावस्था से संबंधित बेतुके सवालों का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा, "चिकित्सकों को जांच के दौरान गर्भावस्था से संबंधित निजी सवाल पूछने बंद करने चाहिए. इतना ही नहीं समूह में मौजूद अविवाहित महिलाओं को भी उन परीक्षणों से गुजरना पड़ा जो यह देखने के लिये थे कि वे गर्भवती हैं या नहीं."

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सूरत के महापौर जगदीश पटेल ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया है. पटेल ने कहा, "यह मामला बेहद गंभीर है. अगर महिला कर्मचारियों द्वारा लगाए गए आरोप सही पाए गए तो हम दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे."

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