पांच अक्तूबर 2017 को गुजरात हाईकोर्ट ने साफ किया था कि गुजरात दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी.
नई दिल्ली:
गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लिन चिट के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट अब इस याचिका पर 26 नवंबर को सुनवाई करेगा. जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने वक्त की कमी के चलते याचिका पर सुनवाई टाल दी. एसआईटी की मोदी और अन्यों को क्लीन चिट को बरकरार रखने के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को जकिया जाफरी और तीस्ता सीतलवाड़ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
वहीं, एसआईटी की ओर से कोर्ट में पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि 'मजिस्ट्रेट ने 400 पेज का आदेश दिया था. इस आदेश पर गुजरात हाईकोर्ट ने मुहर लगाई थी.' इसके अलावा एसआईटी ने तीस्ता सीतलवाड़ के याचिका दाखिल करने का विरोध किया. एसआईटी ने कहा कि तीस्ता द्वारा दाखिल याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि वे असली याचिकाकर्ता नहीं हैं. वहीं तीस्ता की ओर से कहा गया कि वे कोर्ट की मदद करना चाहती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि तीस्ता बिना याचिकाकर्ता बने सिर्फ इस केस में मदद कर सकती हैं.
गुजरात दंगों में पीएम मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ जकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
बता दें, पांच अक्तूबर 2017 को गुजरात हाईकोर्ट ने साफ किया था कि गुजरात दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी. जकिया जाफरी की बड़ी साजिश वाली बात से भी हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया था. हालांकि, कोर्ट ने उनसे कहा था कि अगर वे चाहती हैं तो आगे अपील कर सकती हैं.
कोर्ट में दाखिल याचिका में साल 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी. जकिया जाफरी दिवंगत पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी हैं. उन्होंने और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ‘सिटीजन फार जस्टिस एंड पीस' ने दंगों के पीछे ‘‘बड़ी आपराधिक साजिश'' के आरोपों के संबंध में पीएम मोदी और अन्य को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ आपराधिक पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
गुजरात दंगा मामले की दोबारा नहीं होगी जांच, HC ने जाकिया जाफरी की याचिका खारिज की
वहीं, एसआईटी की ओर से कोर्ट में पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि 'मजिस्ट्रेट ने 400 पेज का आदेश दिया था. इस आदेश पर गुजरात हाईकोर्ट ने मुहर लगाई थी.' इसके अलावा एसआईटी ने तीस्ता सीतलवाड़ के याचिका दाखिल करने का विरोध किया. एसआईटी ने कहा कि तीस्ता द्वारा दाखिल याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि वे असली याचिकाकर्ता नहीं हैं. वहीं तीस्ता की ओर से कहा गया कि वे कोर्ट की मदद करना चाहती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि तीस्ता बिना याचिकाकर्ता बने सिर्फ इस केस में मदद कर सकती हैं.
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बता दें, पांच अक्तूबर 2017 को गुजरात हाईकोर्ट ने साफ किया था कि गुजरात दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी. जकिया जाफरी की बड़ी साजिश वाली बात से भी हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया था. हालांकि, कोर्ट ने उनसे कहा था कि अगर वे चाहती हैं तो आगे अपील कर सकती हैं.
कोर्ट में दाखिल याचिका में साल 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी. जकिया जाफरी दिवंगत पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी हैं. उन्होंने और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ‘सिटीजन फार जस्टिस एंड पीस' ने दंगों के पीछे ‘‘बड़ी आपराधिक साजिश'' के आरोपों के संबंध में पीएम मोदी और अन्य को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ आपराधिक पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
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