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This Article is From Sep 10, 2019

गुजरात के मंत्री ने न्यायाधीश की निष्पक्षता पर सवाल उठाने को लेकर मांगी माफी, यह था मामला

जिरह के दौरान मंत्री ने कहा कि वह चुनाव याचिकाओं के सिलसिले में शीर्ष न्यायालय में तीन विशेष अनुमति याचिकाएं दायर करने को लेकर अफसोस जताते हैं और माफी मांगते हैं.

गुजरात के मंत्री ने न्यायाधीश की निष्पक्षता पर सवाल उठाने को लेकर मांगी माफी, यह था मामला
एक गवाह के तौर पर बयान देते हुए चूडासमा ने डाक मतपत्रों के पुन:सत्यापन पर आपत्ति दर्ज कराई थी.
अहमदाबाद:

गुजरात के मंत्री भूपेंद्रसिंह चूड़ासमा ने एक चुनाव याचिका से जुड़ी सुनवाई में उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दायर करने को लेकर सोमवार को गुजरात उच्च न्यायालय से माफी मांगी. चुनाव याचिका के जरिए 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में चूडासमा की जीत पर सवाल उठाया गया था. ढोलका विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अश्विन राठौड द्वारा दायर चुनाव याचिका में एक गवाह के तौर पर बयान देते हुए चूडासमा ने डाक मतपत्रों के पुन:सत्यापन पर आपत्ति दर्ज कराई थी. कांग्रेस उम्मीदवार राठौड भाजपा उम्मीदवार से 327 वोटों के अंतर से हार गए थे. 

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इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील पर्सी कविना द्वारा उनसे (चूडासमा से) की गई जिरह के दौरान मंत्री ने कहा कि वह चुनाव याचिकाओं के सिलसिले में शीर्ष न्यायालय में तीन विशेष अनुमति याचिकाएं दायर करने को लेकर अफसोस जताते हैं और माफी मांगते हैं. उन्होंने अदालत से कहा, 'मैं विशेष अनुमति याचिका (उच्चतम न्यायालय में दायर) की विषय वस्तु को लेकर शर्मिंदा महसूस कर रहा हूं और इसके लिए मुझे खेद है.' 

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गौरतलब है कि मंत्री ने शीर्ष न्यायालय में तीन याचिकाएं दायर कर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश परेश उपाध्याय की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अदालत निष्पक्ष सुनवाई नहीं कर रही है. हालांकि मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय ने कहा कि उनकी (मंत्री की) माफी की जरूरत नहीं है. फिर भी चूडासमा ने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने यहां तक कि अपने वकील को ये याचिकाएं वापस लेने का निर्देश दे दिया है. चूडासमा के वकील निरूपम नानावती ने कहा कि वह याचिका को लेकर शर्मिंदा हैं और स्वेच्छा से माफी मांग रहे हैं. मंत्री ने यह भी कहा कि 327 वोटों से हार का अंतर मामूली नहीं है. उन्होंने दावा किया कि विधानसभा चुनाव में एक वोट से हार और लोकसभा चुनाव में सात वोटों से हार को मामूली अंतर माना जाएगा.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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