नई दिल्ली:
गुजरात में IPS पीपी पांडे को एक्सटेंशन देकर कार्यकारी DGP बनाने का मामले में अब गुजरात के कार्यकारी डीजीपी पीपी पांडे तुरंत पद से मुक्त होंगे. गुजरात सरकार उन्हें दिए गए एक्सटेंशन को वापस लेने का नोटिफिकेशन जारी करेगी. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान का रुख देखते हुए गुजरात सरकार ने पीपी पांडे के तुरंत मुक्त होने के खत पर सहमति जता दी. शुरुआत में गुजरात सरकार चाहती थी कि पांडे को 30 अप्रैल तक पद पर बने रहने दिया जाए, लेकिन CJI खेहर ने कहा कि या तो सरकार कोई फैसला ले नहीं तो कोर्ट आदेश जारी करेगा. गुजरात सरकार ने कोर्ट में बताया कि पीपी पांडे ने खुद ही सरकार को लिखा है कि वह पद छोड़ना चाहते हैं. सरकार चाहती थी कि वह छह महीने तक पद पर रहें, लेकिन केंद्र ने उन्हें 30 अप्रैल तक ही एक्सटेंशन दिया है. इशरत केस में अभी चार्जशीट फाइल हुई है चार्ज फ्रेम नहीं हुए. वे गवाहों या सबूतों को प्रभावित नहीं कर सकते इसलिए उन्हें 30 अप्रैल को रिटायर होने दिया जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पहले ही रिटायर हो चुके हैं. ये सिर्फ एक्सटेंशन है.
1 अप्रैल को भेजे लेटर में पांडे ने लिखा है कि उनके एक्सटेंशन को सुप्रीम कोर्ट में कुछ असंतुष्ट लोगों ने बेवजह उठाया ताकि गुजरात सरकार और केंद्र सरकार की बदनामी हो सके. इसलिए इस विवाद को विराम देने के लिए और सरकार को शर्मिंदगी से बचाने के लिए मैं तुरंत अपने पद से मुक्त होना चाहता हूं और सरकार से आग्रह करता हूं कि वे तुरंत नोटिफिकेशन को वापस लें.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. रिटायर्ड IPS अफसर जूलियो रिबेरो की याचिका पर नोटिस जारी किया गया था. याचिका में कहा गया है कि पीपी पांडे इशरत जहां समेत कई केस में आरोपी रहे हैं, लेकिन सरकार ने रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देकर गुजरात का कार्यकारी DGP बना दिया है. इससे तमाम केसों की जांच के वे प्रभारी हो गए हैं और केसों में गवाही देने वाले पुलिसवालों के मुखिया हो गए हैं. ऐसे में वह केसों को प्रभावित करेंगे, इसलिए उनको पद से हटाया जाए.
पिछले साल मई में गुजरात सरकार के चार हत्या के आरोप झेल रहे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी पीपी पांडे को गुजरात राज्य का कार्यकारी पुलिस महानिदेशक बनाने के खिलाफ सेवा निवृत्त अधिकारी जूलियो फ्रांसिस रिबेरो ने गुजरात हाईकोर्ट में भी चुनौती देकर उक्त नियुक्ति को निरस्त करने की मांग की थी, हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था. याचिका में कहा गया कि इशरत एनकाउंटर मामले में अभी गवाही बाकी है. इस स्थिति में पुलिस महानिदेशक जो स्वयं इस मामले में आरोपी हैं. इसका प्रभाव निश्चित रूप से गवाहों और अधीनस्थ अधिकारियों को प्रभावित करने वाला है. रिबेरो ने इस नियुक्ति को न्याय हित और लोकहित के विपरीत बताया है. गुजरात के डीजीपी पीसी ठाकुर को अप्रैल 2016 में दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर भेजने के आदेश हुए. उनकी सेवानिवृत्ति के लिए केवल 7 माह का समय शेष था और उसके बाद पीपी पांडे को कार्यकारी डीजीपी बनाने के आदेश जारी हुए. पांडे की सेवानिवृत्ति के लिए भी केवल 9 माह का समय शेष था.
याचिका में यह भी कहा गया कि इशरत एनकाउंटर मामले को रफा-दफा करने और पांडे को डीजीपी बनाने के लिए सरकार ने जानबूझकर यह आदेश दिया है. सीबीआई के आरोप पत्र में पुलिस अधिकारियों के जो बयान है, वे सभी अधिकारी पांडे के नियंत्रण में होंगे. इससे आपराधिक प्रकरण पर असर पड़ना तय है.
1 अप्रैल को भेजे लेटर में पांडे ने लिखा है कि उनके एक्सटेंशन को सुप्रीम कोर्ट में कुछ असंतुष्ट लोगों ने बेवजह उठाया ताकि गुजरात सरकार और केंद्र सरकार की बदनामी हो सके. इसलिए इस विवाद को विराम देने के लिए और सरकार को शर्मिंदगी से बचाने के लिए मैं तुरंत अपने पद से मुक्त होना चाहता हूं और सरकार से आग्रह करता हूं कि वे तुरंत नोटिफिकेशन को वापस लें.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. रिटायर्ड IPS अफसर जूलियो रिबेरो की याचिका पर नोटिस जारी किया गया था. याचिका में कहा गया है कि पीपी पांडे इशरत जहां समेत कई केस में आरोपी रहे हैं, लेकिन सरकार ने रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देकर गुजरात का कार्यकारी DGP बना दिया है. इससे तमाम केसों की जांच के वे प्रभारी हो गए हैं और केसों में गवाही देने वाले पुलिसवालों के मुखिया हो गए हैं. ऐसे में वह केसों को प्रभावित करेंगे, इसलिए उनको पद से हटाया जाए.
पिछले साल मई में गुजरात सरकार के चार हत्या के आरोप झेल रहे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी पीपी पांडे को गुजरात राज्य का कार्यकारी पुलिस महानिदेशक बनाने के खिलाफ सेवा निवृत्त अधिकारी जूलियो फ्रांसिस रिबेरो ने गुजरात हाईकोर्ट में भी चुनौती देकर उक्त नियुक्ति को निरस्त करने की मांग की थी, हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था. याचिका में कहा गया कि इशरत एनकाउंटर मामले में अभी गवाही बाकी है. इस स्थिति में पुलिस महानिदेशक जो स्वयं इस मामले में आरोपी हैं. इसका प्रभाव निश्चित रूप से गवाहों और अधीनस्थ अधिकारियों को प्रभावित करने वाला है. रिबेरो ने इस नियुक्ति को न्याय हित और लोकहित के विपरीत बताया है. गुजरात के डीजीपी पीसी ठाकुर को अप्रैल 2016 में दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर भेजने के आदेश हुए. उनकी सेवानिवृत्ति के लिए केवल 7 माह का समय शेष था और उसके बाद पीपी पांडे को कार्यकारी डीजीपी बनाने के आदेश जारी हुए. पांडे की सेवानिवृत्ति के लिए भी केवल 9 माह का समय शेष था.
याचिका में यह भी कहा गया कि इशरत एनकाउंटर मामले को रफा-दफा करने और पांडे को डीजीपी बनाने के लिए सरकार ने जानबूझकर यह आदेश दिया है. सीबीआई के आरोप पत्र में पुलिस अधिकारियों के जो बयान है, वे सभी अधिकारी पांडे के नियंत्रण में होंगे. इससे आपराधिक प्रकरण पर असर पड़ना तय है.
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