ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या 261 हो चुकी है. जबकि अभी भी 900 लोग घायल है. पीएम मोदी ने शनिवार को घटनास्थल का दौरा भी किया है. घटनास्थल का दौरा करने के बाद पीएम मोदी घायलों से मिलने कटक के अस्पताल भी गए. NDTV कटक के उस अस्पताल भी पहुंची जहां जाकर पीएम मोदी ने घायलों से मुलाकात की. NDTV ने यहां घायलों के परिजनों और घायलों की मदद में जुटे लोगों से बात भी की.
NDTV से बातचीत में एक शख्स ने बताया कि उन्हें इस घटना की जानकारी रात साढ़े आठ बजे के आसपास मिली. उन्होंने पहले इस हादसे के बारे में टीवी पर देखा, इसके बाद उनके पास किसी ने फोन करके बताया कि आपके परिजन को कटक के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. सूचना के मिलने के बाद से ही वो कटक अस्पताल के बाहर हैं ताकि उन्हें अपने परिजन की सेहत के बारे में अपडेट मिल सके.
"मामा के सिर में चोट है और भाई की हालत बेहद गंभीर है"
वहीं एक अन्य शख्स ने NDTV से बताया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस में उसके मामा और भाई सफर कर रहे थे. मामा जी को सिर में ज्यादा चोट है जबकि उसके भाई को गंभीर हालत में भर्ती किया गया है. एक अन्य शख्स ने बताया कि इस दुर्घटना में उनके भांजे को भी चोटें आई हैं. उन्होंने NDTV से बताया कि उनका भांजा बालासोर से चेन्नई जा रहा था. उनका बहुत चोट आई है. वो फिलहाल आईसीयू में हैं. मैं उन्हें आईसीयू में देखा है. वो बीते 15 घंटे से बेहोश है.
"मुझे आज यहां शिफ्ट किया गया है"
शुक्रवार को कोरोमंडल एक्सप्रेस से सफर करने वाले एक यात्री कुलोमल मल्लिक ने NDTV से अपनी आप बीती बताई. उन्होंने कहा कि सर हमें तो कुछ पता नहीं चला. हम तो जेनरल कोच में थे. एकाएक ब्रेक लगने जैसा एहसास हुआ. फिर हमने देखा कि ट्रेन की कई बोगियां पटरी स उतर चुकी हैं. मलिक ने बताया कि घटना के बाद उन्हें पहले पेन किलर दिया गया और आज जब आराम नहीं मिला है तो उन्हें कटक के अस्पताल लेकर आया गया है.
कटक के सीबी मेडिकल अस्पताल में शनिवार सुबह से बड़ी संख्या में घायलों को शिफ्ट किया जा रहा है. यहां जिन मरीजों को लाया जा रहा है इनमें से कुछ मरीज वो भी हैं जिनको कल बालासोर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बता दें कि 900 से ज्यादा घायलों को पांच अलग-अलग अस्पताल में शिफ्ट किया गया है. जिनका फिलहाल इलाज चल रहा है.
मदद के लिए आम लोग भी आए आगे
घायलों की सेवा के लिए भी बड़ी संख्या में लोग आगे आ रहे हैं. कटक के अस्पताल के बाहर भी ऐसे कई लोग हैं जो घायलों की मदद के लिए खड़े हैं. कई लोग ऐसे भी हैं जो घायलों को खून की कमी ना हो इसलिए ब्लड डोनेट करने भी आएं हैं.
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