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This Article is From Jan 16, 2024

"सोते समय पैर दीवार से टकराते थे, अब पूरा होगा बड़े घर का सपना" : अदाणी ग्रुप के धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर बोले लोग

Dharavi Redevelopment Project: मुंबई का दिल कहने जाने वाले धारावी को 1882 में अंग्रेजों ने बसाया था. अब यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और एशिया की सबसे बड़ी बस्ती है. एक अनुमान के मुताबिक, 240 हेक्टेयर की इस बस्ती में 8 लाख लोग रहते हैं और 13 हजार छोटे बिजनेस हैं.

"सोते समय पैर दीवार से टकराते थे, अब पूरा होगा बड़े घर का सपना" : अदाणी ग्रुप के धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर बोले लोग
मुंबई का दिल कहने जाने वाले धारावी को 1882 में अंग्रेजों ने बसाया था.
मुंबई:

मुंबई में स्थित एशिया के सबसे बड़े झुग्गी-बस्ती धारावी (Dharavi Redevelopment Project) की तस्वीर जल्द ही बदलने वाली है. यहां के लोगों को अब मिनिमम 350 स्क्वायर फीट के फ्लैट मिलेंगे. महाराष्ट्र सरकार और अडाणी ग्रुप के ज्‍वॉइंट वेंचर में बन रहे इन फ्लैट के साइज को करीब 17% बढ़ाया जाएगा. धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (DRPPL) के तहत बनने वाले इन फ्लैट्स में सेपारेट किचन और बाथरूम भी होगा. अदाणी ग्रुप (Adani Group) धारावी स्लम रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. अदाणी ग्रुप ने सोमवार को बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है.

धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट को दुनिया की सबसे बड़ी शहरी विकास योजना के तौर पर देखा रहा है. दशकों से यहां के लोग बदलाव का इंतजार कर रहे थे. अब अदाणी ग्रुप के ऐलान के बाद लोगों में खुशी का माहौल है. धारावी का पुनर्विकास यहां के लोगों के लिए ऑक्सीजन देने का काम करेगा. पढ़िए NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट:-

धारीदार टिन की चद्दरों से बनी छत. बिना पलस्तर की दीवारें. संकरी गलियां. इन गलियों में एक-दूसरे को टक्कर मारते लोग. एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती धारावी में कदम रखने के लिए हौसला चाहिए. हालांकि, ज़िद्दी धारावी कभी रुकती नहीं! दशकों से यहां के लोग बदलाव का इंतज़ार कर रहे हैं.

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NDTV की टीम सबसे पहले धारावी के रहने वाले शेख अंसारी के घर पहुंची. उनकी ज़िंदगी 6X8 के कमरे में गुज़री है. 6 सदस्यों का परिवार है. अब वह अपनी आने वाली पीढ़ी को नये-बड़े घर में देखना चाहते हैं. 350 वर्गफुट का मकान इनके और ऐसे कइयों के लिए सपने जैसा है. 

शेख अंसारी कहते हैं, "देखिए हम यहां कैसे रहते हैं. सोते हैं तो मेरा पैर दीवार पर रहता है. जैसे तैसे जी रहे हैं. नया घर हमारा सपना है. जो लोग इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं, वो ऐसे लोग हैं जो कई मंज़िला का मकान बनाकर उसे किराए पर चढ़ा देते हैं. उनको तो तकलीफ होगी ही. वो झुंड इकट्ठा करते हैं. लेकिन हमें तो विकास चाहिए."

शेख अंसारी के बाद NDTV की टीम मस्जिद गली में स्थित 3 मुस्लिम परिवारों से मिली. रोती हुई एक महिला ने बताया, "तकलीफ को सबसे करीब से देखा है. आंसू निकल आते हैं. बच्चे साफ-सफाई और खुली जगह को तरस रहे हैं. इस गंदगी से जल्दी छुटकारा चाहती हूं."

दरअसल, बढ़ते परिवार और बढ़ती जरूरतों पर एक कमरे के ऊपर एक कमरा चढ़ता जाता है. खर्चे निकालने के लिए कोई किरायेदार बसाता है, तो कोई कारखाना ये पूरी बस्ती ही असंगठित रूप से बस चल रही है. घुटन और गंदगी के बीच इनका जीवन दशकों से यूं ही कट रहा है. बदलाव की उम्मीद में कई पीढ़ियां निकल गईं. उत्तर भारतीय, दक्षिण भारतीय, दलित, मुसलमान यहां सब एकसाथ रहते हैं. सभी एक सुर में बदलाव की मांग कर रहे हैं.

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धारावी की क्या हैं प्रमुख समस्याएं?
पीने का साफ पानी और साफ टॉयलेट धारावी की सबसे बड़ी समस्याओं में टॉप पर है. एक महिला ने बताया, "पीने के पानी के लिए बड़ी दिक्कत होती है. पानी की किल्लत भी है. टॉयलेट जाने के लिए बहुत परेशानी होती है. गंदगी की वजह से तबीयत भी खराब होता है. नए घर में किचन-टॉयलेट अलग मिलने से बड़ी सहूलियत होगी."

20 साल पुराना है प्रोजेक्ट
एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती धारावी के पुनर्विकास की योजना करीब 20 साल पुरानी है. साल 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने धारावी पुनर्विकास प्राधिकरण का गठन किया था. इसके बाद वहां रह रहे परिवारों और घरों की पात्रता का आधार, प्रक्रिया और जांच में ही कई साल बीत गए. फिर धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट कभी टेक ऑफ नहीं कर पाया. अब अदाणी ग्रुप जल्द ही इस प्रोजेक्ट को शुरू कर रहा है. 

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29 नवंबर 2022 अदाणी ग्रुप ने लगाई थी बोली
29 नवंबर 2022 को अदाणी ग्रुप की कंपनी 'अदाणी प्रॉपर्टीज' ने धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए बोली जीती थी. कंपनी ने इसके लिए 5069 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. अडाणी ग्रुप के अलावा बोली लगाने वालों में दूसरे नंबर पर DLF ग्रुप रहा था, जिसने 2,025 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी.

अलग-अलग फेज में रीडेवलप होगा स्लम एरिया
धारावी के स्लम एरिया को अलग-अलग फेज में रीडेवलप किया जाएगा. सबसे पहले वहां रहने वाले लोगों को कैंप में भेजा जाएगा. इसके बाद वहां पर नए घरों को बनाया जाएगा. शुरुआत रेलवे की जगह पर इमारतें बनाकर चरणबद्ध तरीके से पात्र लोगों को वहां पुनर्वासित करने से होगी. 

1 जनवरी 2000 से पहले तय होगी पात्रता
इस प्रोजेक्ट के तहत, जो लोग 1 जनवरी 2000 से पहले से धारावी में रह रहे हैं, उन्हें दस्तावेज़ों के आधार पर पात्र मानते हुए मुफ्त में पक्का मकान दिया जाएगा. पात्र निवासियों को 350 वर्गफुट का मकान मिलेगा. जो लोग 2000 से 2011 के बीच आकर यहां बसे हैं, उन्हें इसके लिए कीमत चुकानी होगी.

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रीडेवलपमेंट के बाद मिलेंगी ये सुविधाएं
इसके अलावा धारावी में स्कूल, कम्युनिटी हॉल, रेक्रिएशनल एरिया, पब्लिक पार्क, अस्पताल और बच्चों के लिए डे केयर सेंटर भी होंगे. इंडस्ट्रियल यूनिट्स के लिए रीडेवलपमेंट प्लान में इंडस्ट्रियल-बिज़नेस ज़ोन होगा. इसमें एक कॉमन फैसिलिटी सेंटर भी होगा. 

अपात्र श्रेणी के लोगों को किराए पर मिलेंगे मकान
इतना ही नहीं, झुग्गी-बस्तियों की ऊपरी मंज़िलों पर रह रहे अपात्र श्रेणी के करीब 7 लाख लोग भी इस प्रोजेक्ट में ख्याल रखा जा रहा है. धारावी से 10 किलोमीटर के रेडिएस में प्रधानमंत्री आवास योजना या अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम के तहत इन्हें भी किराए पर मकान दिये जाएंगे. 

SPV का हुआ गठन
प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए एक ‘स्पेशल पर्पज वेहिकल' कंपनी एसपीवी बनाई जाएगी. इस SPV में अडानी प्रॉपर्टीज़ की 80% हिस्सेदारी होगी और महाराष्ट्र सरकार की 20% हिस्सेदारी रहेगी. SPV के जरिए ही रीडेवलपमेंट के बाद धारावी के योग्य लोगों को फ्री में घर दिए जाएंगे. इस परियोजना की कुल समयसीमा 7 साल बताई जा रही है. चूंकि अभी तक कोई सर्वे नहीं किया गया है. इसलिए पात्र और अपात्र मकानों की कुल संख्या ज्ञात नहीं है.

रियल एस्टेट एक्सपर्ट विशाल भार्गव ने कहा, "धारावी का प्रोजेक्ट सबसे चैलेंजिंग होगा. अदाणी ग्रुप से बेहतर इस लेवल के रिडेवलपेंट प्रोजेक्ट को कोई हैंडल कर नहीं सकता. दुनियाभर में स्लम रेहबिलिटेशन की चुनौतियों को देखते हुए ये मिसाल पेश करेगा. स्लमलॉर्ड्स चुनौतियां बनेंगे, जिनका स्ट्रॉन्ग होल्ड है. हालांकि, राजनीतिक महात्वाकांक्षा के साथ एक डेवलपर का रोल सबसे बड़ा मायने रखता है. SRA प्रोजैक्ट्स को लेकर एक कहावत है कि जो डेवलपर ये काम शुरू करते हैं, ख़त्म नहीं कर पाते. इस बार शायद ये गलत साबित हो.”

धारावी को 1882 में अंग्रेजों ने बसाया था
मुंबई का दिल कहने जाने वाले धारावी को 1882 में अंग्रेजों ने बसाया था. अब यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और एशिया की सबसे बड़ी बस्ती है. धारावी में कितने लोग रहते हैं इसका सही आंकड़ा नहीं है. एक अनुमान के मुताबिक, 240 हेक्टेयर की इस बस्ती में 8 लाख लोग रहते हैं और 13 हजार छोटे बिजनेस हैं.

फिल्मों से बढ़ी धारावी की लोकप्रियता
साल 2008 में 'स्लमडॉग मिलियनेयर' फिल्म के रिलीज होने के बाद इस क्षेत्र को लोकप्रियता मिली. फिल्म ने कई अवॉर्ड भी जीते. इसके बाद फिल्म गली बॉय में ये देखने को मिली थी. 

एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी के लोगों को मिलेंगे 350 वर्ग फुट के फ्लैट, अटैच किचन-बाथरूम भी होगा- अदाणी ग्रुप

(Disclaimer: New Delhi Television is a subsidiary of AMG Media Networks Limited, an Adani Group Company.)

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