नई दिल्ली:
उड़ी हमले के जवाब में नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद केंद्र सरकार अब देश के भीतर आतंकवादियों के स्लीपर सेल पर कार्रवाई के लिए सतर्क हो गई है. गृह मंत्रालय की ओर से राज्य सरकारों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है.
सरकार को आशंका है कि पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई जवाबी सैनिक कार्रवाई के बजाए भारत के भीतर स्लीपर सेल के एजेंटों को सक्रिय कर गड़बड़ी फैला सकती है. सर्जिकल स्ट्राइक पर सरकार और बीजेपी की जोश के बजाए सधी प्रतिक्रिया के लिए यही वजह बताई जा रही है.
सूत्रों के अनुसार, अगर स्लीपर सेल की ओर से कोई आतंकवादी कार्रवाई होती है तो देश की जनता सरकार से वैसी ही जवाबी कार्रवाई की उम्मीद करेगी जैसी उड़ी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक के ज़रिए की गई, लेकिन सरकार के लिए ऐसा करना मुश्किल है, क्योंकि भारतीय नागरिकों के खिलाफ कानून के मुताबिक ही कार्रवाई संभव है.
जश्न नहीं मनाएगी बीजेपी...
यही वजह है कि बीजेपी नेताओं को अधिक जोश से बचने के लिए कहा गया है. उनसे कहा गया कि वो प्रतिक्रिया देते समय संयम दिखाएं और सेना के जवानों के शौर्य को रेखांकित करें. पार्टी इस बात से भी नाराज है कि गुरुवार को डीजीएमओ की प्रेस कॉंफ़्रेंस के बाद मुंबई बीजेपी कार्यालय के बाहर आतिशबाज़ी हुई. यही वजह है कि शुक्रवार को जब पार्टी के केंद्रीय कार्यालय के बाहर कुछ आम लोगों ने पटाखे चलाए तो उनसे विनम्रता से ऐसा करने से मना कर दिया गया.
जवाब की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, शीर्ष स्तर पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद की कार्रवाई को लेकर व्यापक योजना तैयार की गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया था कि इस बारे में सिर्फ डीजीएमओ की ओर से ही ऐलान किया जाएगा.
वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बीजेपी नेताओं और प्रवक्ताओं की बैठक भी हुई. जिस समय डीजीएमओ जवाहर भवन में सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में ऐलान कर रहे थे, पार्टी मुख्यालय पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली और सूचना प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू भी मौजूद थे. शाह के कमरे में सभी पार्टी प्रवक्ताओं को भी बुलाया गया था, जिन्होंने टीवी पर इस प्रेस कॉंफ़्रेंस को देखा. सीसीएस की बैठक से जेटली सीधे यहां पहुंचे थे. बाद में बीजेपी प्रवक्ताओं को बताया गया कि उन्हें क्या प्रतिक्रिया देनी है.
मंत्रियों की ज़िम्मेदारी
सूत्रों के अनुसार, सभी वरिष्ठ मंत्रियों को ज़िम्मेदारी दी गई थी कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद किसे क्या करना है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के ज़िम्मे विभिन्न राजदूतों से संपर्क कर उन्हें भारतीय जवाबी कार्रवाई के बारे में जानकारी देना था. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर उन्हें इस बारे में बताने का काम भी उन्हें दिया गया.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह से कहा गया कि वे सीमाई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर उन्हें सतर्क रहने को कहें. राजनीतिक मोर्चा भी उन्होंने संभाला. उनकी अगुवाई में गृह मंत्रालय में सभी दलों की बैठक हुई, जिसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भी शामिल हुए.
वित्त मंत्री जेटली से कहा गया कि वे उन मुख्यमंत्रियों से बात करें, जिनसे उनके मधुर संबंध हैं. जेटली को विदेशी वित्तीय संस्थाओं और निवेशकों से बात करने की ज़िम्मेदारी भी दी गई, ताकि उन्हें आश्वस्त किया जा सके कि इस जवाबी कार्रवाई का वित्तीय व्यवस्था पर असर नहीं पड़ेगा और भारत इसके लिए तैयार है.
रक्षा मंत्री पर्रिकर पर पूरे ऑपरेशन के समन्वय की ज़िम्मेदारी थी. वो पूरे समय प्रधानमंत्री और सेना के संपर्क में थे. उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में उन मंत्रियों और बीजेपी नेताओं को भी ब्रीफ़ किया, जिन्हें जनता तक इसकी जानकारी देने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी.
सरकार को आशंका है कि पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई जवाबी सैनिक कार्रवाई के बजाए भारत के भीतर स्लीपर सेल के एजेंटों को सक्रिय कर गड़बड़ी फैला सकती है. सर्जिकल स्ट्राइक पर सरकार और बीजेपी की जोश के बजाए सधी प्रतिक्रिया के लिए यही वजह बताई जा रही है.
सूत्रों के अनुसार, अगर स्लीपर सेल की ओर से कोई आतंकवादी कार्रवाई होती है तो देश की जनता सरकार से वैसी ही जवाबी कार्रवाई की उम्मीद करेगी जैसी उड़ी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक के ज़रिए की गई, लेकिन सरकार के लिए ऐसा करना मुश्किल है, क्योंकि भारतीय नागरिकों के खिलाफ कानून के मुताबिक ही कार्रवाई संभव है.
जश्न नहीं मनाएगी बीजेपी...
यही वजह है कि बीजेपी नेताओं को अधिक जोश से बचने के लिए कहा गया है. उनसे कहा गया कि वो प्रतिक्रिया देते समय संयम दिखाएं और सेना के जवानों के शौर्य को रेखांकित करें. पार्टी इस बात से भी नाराज है कि गुरुवार को डीजीएमओ की प्रेस कॉंफ़्रेंस के बाद मुंबई बीजेपी कार्यालय के बाहर आतिशबाज़ी हुई. यही वजह है कि शुक्रवार को जब पार्टी के केंद्रीय कार्यालय के बाहर कुछ आम लोगों ने पटाखे चलाए तो उनसे विनम्रता से ऐसा करने से मना कर दिया गया.
जवाब की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, शीर्ष स्तर पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद की कार्रवाई को लेकर व्यापक योजना तैयार की गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया था कि इस बारे में सिर्फ डीजीएमओ की ओर से ही ऐलान किया जाएगा.
वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बीजेपी नेताओं और प्रवक्ताओं की बैठक भी हुई. जिस समय डीजीएमओ जवाहर भवन में सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में ऐलान कर रहे थे, पार्टी मुख्यालय पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली और सूचना प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू भी मौजूद थे. शाह के कमरे में सभी पार्टी प्रवक्ताओं को भी बुलाया गया था, जिन्होंने टीवी पर इस प्रेस कॉंफ़्रेंस को देखा. सीसीएस की बैठक से जेटली सीधे यहां पहुंचे थे. बाद में बीजेपी प्रवक्ताओं को बताया गया कि उन्हें क्या प्रतिक्रिया देनी है.
मंत्रियों की ज़िम्मेदारी
सूत्रों के अनुसार, सभी वरिष्ठ मंत्रियों को ज़िम्मेदारी दी गई थी कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद किसे क्या करना है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के ज़िम्मे विभिन्न राजदूतों से संपर्क कर उन्हें भारतीय जवाबी कार्रवाई के बारे में जानकारी देना था. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर उन्हें इस बारे में बताने का काम भी उन्हें दिया गया.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह से कहा गया कि वे सीमाई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर उन्हें सतर्क रहने को कहें. राजनीतिक मोर्चा भी उन्होंने संभाला. उनकी अगुवाई में गृह मंत्रालय में सभी दलों की बैठक हुई, जिसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भी शामिल हुए.
वित्त मंत्री जेटली से कहा गया कि वे उन मुख्यमंत्रियों से बात करें, जिनसे उनके मधुर संबंध हैं. जेटली को विदेशी वित्तीय संस्थाओं और निवेशकों से बात करने की ज़िम्मेदारी भी दी गई, ताकि उन्हें आश्वस्त किया जा सके कि इस जवाबी कार्रवाई का वित्तीय व्यवस्था पर असर नहीं पड़ेगा और भारत इसके लिए तैयार है.
रक्षा मंत्री पर्रिकर पर पूरे ऑपरेशन के समन्वय की ज़िम्मेदारी थी. वो पूरे समय प्रधानमंत्री और सेना के संपर्क में थे. उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में उन मंत्रियों और बीजेपी नेताओं को भी ब्रीफ़ किया, जिन्हें जनता तक इसकी जानकारी देने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी.
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