वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि जमीन अधिग्रहण कानून में संशोधन को अगर विपक्षी दलों का समर्थन नहीं मिलता है तो भी सरकार इस दिशा में कदम उठाएगी।
उन्होंने यहां भारत वैश्विक मंच की बैठक में कहा, ‘‘भूमि कानून में कुछ बदलाव जरूरी हो सकते हैं। हम पहले इस पर आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे और अगर यह संभव नहीं होता है तो हम आगे बढ़ेंगे और निर्णय करेंगे।’’
राज्य पहले ही खुलेआम नए भूमि अधिग्रहण कानून के विरोध में आ चुके हैं। उनकी शिकायत है कि यह बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रभावित करता है। जेटली ने कहा कि भारत में स्मार्ट सिटी की धारणा को क्रियान्वित करने के लिए सर्वप्रथम जमीन अधिग्रहण कानून में बाधाओं को दूर किया जाएगा।
वित्तमंत्री ने कहा कि देश में 100 स्मार्ट शहरों के विकास के लिए बजट में चालू वित्त वर्ष में 7,060 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय पहले ही जमीन अधिग्रहण कानून में कई संशोधनों का सुझाव दे चुका है जिससे सार्वजनिक-निजी भागीदारी वाली परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर कम-से-कम 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों की सहमति तथा निजी परियोजनाओं के लिए 80 प्रतिशत लोगों की सहमति जैसे प्रावधान हल्के होंगे।
पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान बने कानून में संशोधन मुख्य रूप से अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल बनाने के मकसद से किया जाएगा और इसमें जो मुआवजा ढांचे का प्रावधान है, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
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