तस्वीर : Reuters
नई दिल्ली:
सरकार ने राजधानी दिल्ली में फैले काले धुएं से निपटने के लिए एक योजना बनाई है लेकिन दो वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो इस कार्यवाही में परिवहन उद्योग को निशाना नहीं बनाया जाएगा। योजना के अनुसार कूड़ा और निर्माण के दौरान उड़ने वाली धूल जैसे सूत्रों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा जो पर्यावरण विदों के मुताबिक तुलनात्मक रूप से कम मात्रा में प्रदूषण करते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल कहा था कि दुनिया के 20 सबसे प्रूदषित शहरों में से 13 भारत में हैं जिसमें नई दिल्ली की हालत सबसे ख़राब है। प्रदूषण को कम करने के लिए जब सरकार की ओर से कुछ कड़े कदम नहीं उठाए गए तब कोर्ट को मामले में कार्यवाही करनी पड़ी। इसके बाद डीज़ल की लक्ज़री गाड़ियों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया और शहर में घुसने वाले ट्रकों पर कर लगाने की मांग की गई।
अधिकारियों के मुताबिक यह राज्य संबंधी योजना जनता के सामने अगले दो हफ्ते में लाई जाएगी। बताया जा रहा है कि दिल्ली और उसके आसपास के तीन राज्यों में कूड़ा और टायर जलाने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, साथ ही निर्माणाधीन साइट पर पर्दे लगाना और सड़क पर आने वाली धूल को साफ करना भी शामिल होगा। इन अधिकारियों की मानें तो उन्हीं पुराने नियमों को दोबारा लागू किया जा रहा है जिन्हें सफलतापूर्वक अंजाम नहीं दिया गया है।
वहीं पर्यावरण कार्यकर्ता के मुताबिक यह योजना व्यावहारिक कम और दिखावटी ज्यादा है। प्रदूषण के खिलाफ अभियान चला रहे बी सेनगुप्ता की मानें तो इस योजना से हवा में कुछ खासा बदलाव नहीं आने वाला है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल कहा था कि दुनिया के 20 सबसे प्रूदषित शहरों में से 13 भारत में हैं जिसमें नई दिल्ली की हालत सबसे ख़राब है। प्रदूषण को कम करने के लिए जब सरकार की ओर से कुछ कड़े कदम नहीं उठाए गए तब कोर्ट को मामले में कार्यवाही करनी पड़ी। इसके बाद डीज़ल की लक्ज़री गाड़ियों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया और शहर में घुसने वाले ट्रकों पर कर लगाने की मांग की गई।
अधिकारियों के मुताबिक यह राज्य संबंधी योजना जनता के सामने अगले दो हफ्ते में लाई जाएगी। बताया जा रहा है कि दिल्ली और उसके आसपास के तीन राज्यों में कूड़ा और टायर जलाने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, साथ ही निर्माणाधीन साइट पर पर्दे लगाना और सड़क पर आने वाली धूल को साफ करना भी शामिल होगा। इन अधिकारियों की मानें तो उन्हीं पुराने नियमों को दोबारा लागू किया जा रहा है जिन्हें सफलतापूर्वक अंजाम नहीं दिया गया है।
वहीं पर्यावरण कार्यकर्ता के मुताबिक यह योजना व्यावहारिक कम और दिखावटी ज्यादा है। प्रदूषण के खिलाफ अभियान चला रहे बी सेनगुप्ता की मानें तो इस योजना से हवा में कुछ खासा बदलाव नहीं आने वाला है।
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