नई दिल्ली:
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज पूर्व सैनिकों की करीब 40 साल पुरानी लंबित मांग वन रैंक-वन पेंशन (OROP) का ऐलान कर दिया। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि 'यह मांग चार दशकों से लंबित थी। सरकार इसे लागू कर रही है और इस पर 8 से 10 हजार करोड़ का सालाना खर्चा होगा। पूर्व सैनिकों को 1 जुलाई 2014 से इसका लाभ मिलेगा। सैनिकों को 4 किस्तों में बकाया पैसा मिलेगा। हालांकि शहीदों के परिवारों को एक किश्त में बकाया दे दिया जाएगा। वीआरएस लेने वाले सैनिकों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। हर पांच साल में पेंशन की समीक्षा होगी।'
'पूर्व सैनिक पूरी तरह सहमत नहीं'
रक्षा मंत्री के OROP पर ऐलान के बाद पूर्व सैनिकों ने कहा कि 'हम सरकार के ऐलान से संतुष्ट हैं। रक्षा मंत्री ने हमारी मांगें मान ली हैं।' हालांकि उन्होंने वीआरएस के मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए सरकार से सफाई मांगी और कहा कि 'वीआरएस लेने वाले सैनिकों को इसका लाभ न दिए जाने वाली बात हमें मंजूर नहीं। उन्हें भी इसका फायदा दिया जाना चाहिए। साथ ही हमें एक सदस्यीय आयोग भी मंजूर नहीं। हम 5 सदस्यों की कमेटी चाहते हैं। इस आयोग को 6 महीने नहीं सिर्फ 30 दिन मिलें।' पूर्व सैनिकों ने कहा, 'हमें पेंशन पर पांच साल पर समीक्षा भी मंज़ूर नहीं है। सरकार ने हमारा सिर्फ़ एक प्वाइंट माना, 6 नहीं माने।' इसके साथ ही पूर्व सैनिकों ने इस मुद्दे पर भूख हड़ताल जारी रखने का फैसला लिया। हालांकि कहा कि प्रदर्शन जारी रहेगा।
सभी को खुश करना संभव नहीं : रक्षा राज्यमंत्री
पूर्व सैनिकों के वन रैंक-वन पेंशन के मुद्दे पर पूरी तरह संतुष्ट न होने के बीच रक्षा राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि सरकार के लिए सभी को खुश करना संभव नहीं है। उधर, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मामले में जो भी कमी रह गई है, उसे दूर किया जाएगा।
'OROP के ऐलान से पहले रक्षा मंत्री से मिले पूर्व सैनिक'
इससे पहले इस मसले पर पूर्व सैनिकों ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात भी की। रक्षा मंत्री से मिलने के बाद मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने बताया कि उनकी रक्षा मंत्री के साथ अच्छे वातावरण में बैठक हुई। बताया कि वन रैंक, वन पेंशन कॉन्सेप्ट को सरकार ने मंज़ूर किया है। सरकार मोटे तौर पर पूर्व सैनिकों की बातों से सहमत हो गई है। बाकी आज सरकार की तरफ से वन रैंक-वन पेंशन पर बयान आने के बाद वे अपना रूख साफ करेंगे। उधर, पूर्व सैनिकों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने उनके आवास पहुंचे।
'वीआरएस लेने वालों, फैमिली पेंशनरों और विकलांग पेंशनरों पर समझौता नहीं'
रक्षा मंत्री से मुलाकात से पहले जंतर-मंतर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूर्व सैनिकों ने साफ कह दिया कि वह वीआरएस लेने वालों, फैमिली पेंशनरों और विकलांग पेंशनरों के मामले में कोई समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा, अगर सरकार की पेंशन योजना का खाका उनके मुद्दों से नहीं मिला तो वे इसे नहीं मानेंगे। पूर्व सैनिकों ने आगे कहा कि हमें सरकार से कुछ संकेत मिले हैं। हम खुले मन से रक्षा मंत्री से मिलने के लिए जाएंगे और उनकी बात सुनने के बाद निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा, हमारी मांग है कि सारे पेंशनरों को फायदा मिलना चाहिए। वीआरएस लेने वाले सैनिकों को भी पेंशन का लाभ मिलना चाहिए।
कल ही पूर्व सैनिकों ने कहा था सरकार एक साल में पेंशन की समीक्षा को तैयार नहीं हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं होगा तो ये वन रैंक-वन पेंशन नहीं होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि वो दो साल में समीक्षा के लिए तैयार हैं, लेकिन तीन साल या पांच साल मानने का कोई सवाल ही नहीं है। पूर्व सैनिकों ने कहा था कि सरकार ने कहा है कि थोड़े पैसे बचाने हैं, इसलिए अगर वो वन रैंक-वन पेंशन को एक जून 2014 से लागू करती है तो भी उन्हें एेतराज़ नहीं होगा।
दरअसल, ये करीब 40 साल से चला आ रहा पुराना मुद्दा है, जिसका सरकार सम्मानजनक हल निकालने में जुटी हुई थी। सरकार उम्मीद कर रही है कि इस ऐलान के बाद करीब तीन महीने से चला आ रहा पूर्व सैनिकों का आंदोलन खत्म होगा। हालांकि पूर्व सैनिकों ने अपने विरोध को खत्म नहीं करने की बात कही है। सरकार इसलिए भी ये ऐलान जल्द कर रही है, क्योंकि अगले हफ्ते किसी भी दिन बिहार चुनाव का ऐलान हो सकता है और उसके बाद वह वन रैंक-वन पेंशन का ऐलान नही कर सकती।
'पूर्व सैनिक पूरी तरह सहमत नहीं'
रक्षा मंत्री के OROP पर ऐलान के बाद पूर्व सैनिकों ने कहा कि 'हम सरकार के ऐलान से संतुष्ट हैं। रक्षा मंत्री ने हमारी मांगें मान ली हैं।' हालांकि उन्होंने वीआरएस के मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए सरकार से सफाई मांगी और कहा कि 'वीआरएस लेने वाले सैनिकों को इसका लाभ न दिए जाने वाली बात हमें मंजूर नहीं। उन्हें भी इसका फायदा दिया जाना चाहिए। साथ ही हमें एक सदस्यीय आयोग भी मंजूर नहीं। हम 5 सदस्यों की कमेटी चाहते हैं। इस आयोग को 6 महीने नहीं सिर्फ 30 दिन मिलें।' पूर्व सैनिकों ने कहा, 'हमें पेंशन पर पांच साल पर समीक्षा भी मंज़ूर नहीं है। सरकार ने हमारा सिर्फ़ एक प्वाइंट माना, 6 नहीं माने।' इसके साथ ही पूर्व सैनिकों ने इस मुद्दे पर भूख हड़ताल जारी रखने का फैसला लिया। हालांकि कहा कि प्रदर्शन जारी रहेगा।
सभी को खुश करना संभव नहीं : रक्षा राज्यमंत्री
पूर्व सैनिकों के वन रैंक-वन पेंशन के मुद्दे पर पूरी तरह संतुष्ट न होने के बीच रक्षा राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि सरकार के लिए सभी को खुश करना संभव नहीं है। उधर, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मामले में जो भी कमी रह गई है, उसे दूर किया जाएगा।
'OROP के ऐलान से पहले रक्षा मंत्री से मिले पूर्व सैनिक'
इससे पहले इस मसले पर पूर्व सैनिकों ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात भी की। रक्षा मंत्री से मिलने के बाद मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने बताया कि उनकी रक्षा मंत्री के साथ अच्छे वातावरण में बैठक हुई। बताया कि वन रैंक, वन पेंशन कॉन्सेप्ट को सरकार ने मंज़ूर किया है। सरकार मोटे तौर पर पूर्व सैनिकों की बातों से सहमत हो गई है। बाकी आज सरकार की तरफ से वन रैंक-वन पेंशन पर बयान आने के बाद वे अपना रूख साफ करेंगे। उधर, पूर्व सैनिकों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने उनके आवास पहुंचे।
'वीआरएस लेने वालों, फैमिली पेंशनरों और विकलांग पेंशनरों पर समझौता नहीं'
रक्षा मंत्री से मुलाकात से पहले जंतर-मंतर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूर्व सैनिकों ने साफ कह दिया कि वह वीआरएस लेने वालों, फैमिली पेंशनरों और विकलांग पेंशनरों के मामले में कोई समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा, अगर सरकार की पेंशन योजना का खाका उनके मुद्दों से नहीं मिला तो वे इसे नहीं मानेंगे। पूर्व सैनिकों ने आगे कहा कि हमें सरकार से कुछ संकेत मिले हैं। हम खुले मन से रक्षा मंत्री से मिलने के लिए जाएंगे और उनकी बात सुनने के बाद निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा, हमारी मांग है कि सारे पेंशनरों को फायदा मिलना चाहिए। वीआरएस लेने वाले सैनिकों को भी पेंशन का लाभ मिलना चाहिए।
कल ही पूर्व सैनिकों ने कहा था सरकार एक साल में पेंशन की समीक्षा को तैयार नहीं हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं होगा तो ये वन रैंक-वन पेंशन नहीं होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि वो दो साल में समीक्षा के लिए तैयार हैं, लेकिन तीन साल या पांच साल मानने का कोई सवाल ही नहीं है। पूर्व सैनिकों ने कहा था कि सरकार ने कहा है कि थोड़े पैसे बचाने हैं, इसलिए अगर वो वन रैंक-वन पेंशन को एक जून 2014 से लागू करती है तो भी उन्हें एेतराज़ नहीं होगा।
दरअसल, ये करीब 40 साल से चला आ रहा पुराना मुद्दा है, जिसका सरकार सम्मानजनक हल निकालने में जुटी हुई थी। सरकार उम्मीद कर रही है कि इस ऐलान के बाद करीब तीन महीने से चला आ रहा पूर्व सैनिकों का आंदोलन खत्म होगा। हालांकि पूर्व सैनिकों ने अपने विरोध को खत्म नहीं करने की बात कही है। सरकार इसलिए भी ये ऐलान जल्द कर रही है, क्योंकि अगले हफ्ते किसी भी दिन बिहार चुनाव का ऐलान हो सकता है और उसके बाद वह वन रैंक-वन पेंशन का ऐलान नही कर सकती।
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