गोपालकृष्ण गांधी ने पाक राष्ट्रपति से कुलभूषण जाधव की रिहाई की गुजारिश की है.
सर,
पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाई गई है. इंसानियत और इंसाफ के तक़ाजे के आधार पर आपसे इस ऑर्डर को रद करने की गुजारिश करते हैं. जाधव भारतीय नौसेना के सीनियर लेवल के अधिकारी रहे हैं और भारत के नागरिक हैं. इस वक्त वह पाकिस्तान की कस्टडी में हैं. भले ही यह शख्स इस तरह का उच्च पदस्थ नहीं हो और हमारा नागरिक नहीं हो लेकिन फिर भी मैं, आपसे दया की गुजारिश करता हूं. जीवन का अधिकार मूलभूत सिद्धांत है और यह किसी के किसी भी देश में रहने या राष्ट्रीयता से स्वतंत्र है.
इस तरह की गुजारिश करना मेरी ड्यूटी है. हालिया अतीत में इसी तरह की दया की गुजारिश मैंने अपने राष्ट्रपति से भी की थी. आपसे गुजारिश है कि आप अपने उच्च पद के अंतर्गत निहित अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सैन्य अदालत के आदेश को रद कर दें. इस आदेश के जरिये राज्य की जो भयावह अमानवीयता, बर्बरता और नैतिक खोखलापन परिलक्षित हो रहा है और एक व्यक्ति के जीने के अधिकार से वंचित करने की दुर्भाभनापूर्ण आक्रामकता प्रकट हो रही है, उसको रोकने की आपसे अपील करता हूं.
यह गुजारिश केवल एक व्यक्ति का जीवन अधर में लटकने की पीड़ा से नहीं उपजा है, बल्कि दंड के आदिम तरीकों के इस्तेमाल के बरकरार रहने से उपजी है.
माननीय राष्ट्रपति, इसके साथ ही मैं यह भी कहना चाहता हूं कि इसके माध्यम से आपको एक ऐसा अवसर मिला है जिसके जरिये उन लोगों के बीच इस तरह के भरोसे और आशा का माहौल बन सकता है जो यह मानते हैं कि भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के खिलाफ घृणा के माहौल में नहीं रह सकते बल्कि एक-दूसरे की महान जनता के लिहाज से इनकी नियति एक-दूसरे के साथ आदर और सद्भाव के माहौल में रहना ही निहित है.
आपका
गोपालकृष्ण गांधी
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यहां देखें मूल कॉपी:
पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाई गई है. इंसानियत और इंसाफ के तक़ाजे के आधार पर आपसे इस ऑर्डर को रद करने की गुजारिश करते हैं. जाधव भारतीय नौसेना के सीनियर लेवल के अधिकारी रहे हैं और भारत के नागरिक हैं. इस वक्त वह पाकिस्तान की कस्टडी में हैं. भले ही यह शख्स इस तरह का उच्च पदस्थ नहीं हो और हमारा नागरिक नहीं हो लेकिन फिर भी मैं, आपसे दया की गुजारिश करता हूं. जीवन का अधिकार मूलभूत सिद्धांत है और यह किसी के किसी भी देश में रहने या राष्ट्रीयता से स्वतंत्र है.
इस तरह की गुजारिश करना मेरी ड्यूटी है. हालिया अतीत में इसी तरह की दया की गुजारिश मैंने अपने राष्ट्रपति से भी की थी. आपसे गुजारिश है कि आप अपने उच्च पद के अंतर्गत निहित अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सैन्य अदालत के आदेश को रद कर दें. इस आदेश के जरिये राज्य की जो भयावह अमानवीयता, बर्बरता और नैतिक खोखलापन परिलक्षित हो रहा है और एक व्यक्ति के जीने के अधिकार से वंचित करने की दुर्भाभनापूर्ण आक्रामकता प्रकट हो रही है, उसको रोकने की आपसे अपील करता हूं.
यह गुजारिश केवल एक व्यक्ति का जीवन अधर में लटकने की पीड़ा से नहीं उपजा है, बल्कि दंड के आदिम तरीकों के इस्तेमाल के बरकरार रहने से उपजी है.
माननीय राष्ट्रपति, इसके साथ ही मैं यह भी कहना चाहता हूं कि इसके माध्यम से आपको एक ऐसा अवसर मिला है जिसके जरिये उन लोगों के बीच इस तरह के भरोसे और आशा का माहौल बन सकता है जो यह मानते हैं कि भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के खिलाफ घृणा के माहौल में नहीं रह सकते बल्कि एक-दूसरे की महान जनता के लिहाज से इनकी नियति एक-दूसरे के साथ आदर और सद्भाव के माहौल में रहना ही निहित है.
आपका
गोपालकृष्ण गांधी
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