जेल से रिहा होने के बाद संजय दत्त
मुंबई:
पुणे की येरवडा जेल में सजा काटने के बाद अभिनेता संजय दत्त गुरुवार को रिहा कर दिए गए। उन्हें उनके अच्छे आचरण की वजह से जल्दी रिहाई मिल गई। लेकिन बताया जाता है कि दत्त के लिए जेल के नए माहौल से सामंजस्य बैठाना इतना आसान नहीं रहा। मुंबई के ऑर्थर रोड जेल में बंद रहने के दौरान दत्त जेल के कपड़े पहनने के लिए तैयार नहीं थे और जब उनसे कठोर शब्दों में कहा गया तब जाकर उन्होंने इस निर्देश का पालन किया।
जेल की उप महानिरीक्षक स्वाति साठे बताती हैं कि ‘दत्त ऑर्थर रोड जेल में शुरुआत के दिनों में जेल के कपड़े पहनने के लिए तैयार नहीं थे लेकिन कठोर शब्दों में इसे पहनने के लिए कहे जाने के बाद वह तैयार हुए थे।’ साठे ने दत्त के रोज़मर्रा की गतिविधियों पर बात करते हुए कहा कि उन्होंने उसी दिनचर्या का पालन किया जैसा कि जेल के अन्य कैदी कर रहे थे। उन्होंने कहा ‘दिनचर्या में सुबह साढ़े पांच बजे उठना, सुबह की प्रार्थना करना, व्यायाम, चाय, नाश्ता और फिर आगे का काम करना शामिल था। अन्य कैदी अपने निर्धारित काम को करने के लिए वर्क शेड जाते थे जबकि संजय दत्त सुरक्षा कारणों से अपने सेल में ही अपना निर्धारित काम करते थे।'
'रेडियो जॉकी' संजू
जेल में दत्त को बेंत के सामान और कागज के लिफाफे बनाने का काम मिला था। साथ ही दत्त ने ‘रेडियो जॉकी’ की भूमिका निभाते हुए कैदियों का मनोरंजन करने का भी काम किया था। बताया जाता है कि संजय दत्त को आरजे के रूप में काफी प्रशंसा मिली थी, साथ ही कैदी अक्सर उनसे रेडियो पर उन्हीं की फिल्मों के गाने और उनके सुपरहिट डायलॉग सुनाने की फरमाइश करते थे।
हालांकि संजय के जेल में रहने के दौरान भी उनकी पेरोल और छुट्टियों के चलते वह विवादों के केंद्र में रहे। उनके आलोचकों ने आरोप लगाया कि अभिनेता के साथ ‘विशेष बर्ताव’ किया जा रहा है, जिसके कारण उन्हें छूट मिली है और जेल में रहने की अवधि में कटौती हुई है। दत्त की रिहाई से पहले सुबह कुछ प्रदर्शनकारियों ने जेल के बाहर नारे भी लगाए और आरोप लगाया कि संजय के साथ अधिकारियों का विशेष बर्ताव पक्षपात है।
जेल की उप महानिरीक्षक स्वाति साठे बताती हैं कि ‘दत्त ऑर्थर रोड जेल में शुरुआत के दिनों में जेल के कपड़े पहनने के लिए तैयार नहीं थे लेकिन कठोर शब्दों में इसे पहनने के लिए कहे जाने के बाद वह तैयार हुए थे।’ साठे ने दत्त के रोज़मर्रा की गतिविधियों पर बात करते हुए कहा कि उन्होंने उसी दिनचर्या का पालन किया जैसा कि जेल के अन्य कैदी कर रहे थे। उन्होंने कहा ‘दिनचर्या में सुबह साढ़े पांच बजे उठना, सुबह की प्रार्थना करना, व्यायाम, चाय, नाश्ता और फिर आगे का काम करना शामिल था। अन्य कैदी अपने निर्धारित काम को करने के लिए वर्क शेड जाते थे जबकि संजय दत्त सुरक्षा कारणों से अपने सेल में ही अपना निर्धारित काम करते थे।'
'रेडियो जॉकी' संजू
जेल में दत्त को बेंत के सामान और कागज के लिफाफे बनाने का काम मिला था। साथ ही दत्त ने ‘रेडियो जॉकी’ की भूमिका निभाते हुए कैदियों का मनोरंजन करने का भी काम किया था। बताया जाता है कि संजय दत्त को आरजे के रूप में काफी प्रशंसा मिली थी, साथ ही कैदी अक्सर उनसे रेडियो पर उन्हीं की फिल्मों के गाने और उनके सुपरहिट डायलॉग सुनाने की फरमाइश करते थे।
हालांकि संजय के जेल में रहने के दौरान भी उनकी पेरोल और छुट्टियों के चलते वह विवादों के केंद्र में रहे। उनके आलोचकों ने आरोप लगाया कि अभिनेता के साथ ‘विशेष बर्ताव’ किया जा रहा है, जिसके कारण उन्हें छूट मिली है और जेल में रहने की अवधि में कटौती हुई है। दत्त की रिहाई से पहले सुबह कुछ प्रदर्शनकारियों ने जेल के बाहर नारे भी लगाए और आरोप लगाया कि संजय के साथ अधिकारियों का विशेष बर्ताव पक्षपात है।
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