गोवा में एक नागरिक आंदोलन से जुड़े नागरिक समूह ने शनिवार को कहा कि उसने तटीय राज्य में दो संरक्षित वन क्षेत्रों को काटकर रेलवे लाइन के विस्तार के खिलाफ देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) से संपर्क किया है. ‘सेव मोल्लेम‘ नामक इस समूह ने माजूदा रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण का विरोध किया है जो कर्नाटक से शुरू होकर गोवा स्थित मोल्लेम राष्ट्रीय पार्क और भगवान महावीर वन्यजीव अभ्यारण्य से गुजरता है.
समूह की ओर से कहा गया कि यह कार्य पर्यावरण के साथ गोवा की संस्कृति को भी नुकसान पहुंचाएगा. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के तहत आने वाले स्वायत्तशासी संस्थान डब्ल्यूआईआई को लिखे अपने पत्र में समूह ने कहा कि रेलवे ट्रैक के आसपास के कई गांवों में 200 साल पुराने धरोहर आवास हैं.
इसमें दावा किया गया कि 25 प्रतिष्ठित वास्तुकारों और योजनाकारों ने परियोजना के खिलाफ समूह की लड़ाई का समर्थन किया है. उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने अप्रैल, 2021 में कहा था कि उसे गोवा में रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण से जुड़ी परियोजना शुरू करने का कोई औचित्य नहीं नजर आया, जिसका पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा भी विरोध किया जा रहा है.
‘सेव मोल्लेम' ने कहा कि डब्ल्यूआईआई निदेशक को लिखे पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं ने उल्लेख किया है कि गोवा के 179 वास्तुकारों के एक समूह ने राज्य के भविष्य और इसकी अनूठी सांस्कृतिक विरासत के लिए खतरे के बारे में पहले से ही आगाह कर दिया है.
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