
साल 2023 में दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी का सामना करना पड़ सकता है. विश्व बैंक ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सभी बड़ी और दिग्गज अर्थव्यवस्था अमेरिका, यूरोप और चीन के विकास दर में गिरावट के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था मौजूदा वर्ष में मंदी के करीब रहेगी. विश्व बैंक ने अपने सलाना रिपोर्ट में कहा कि उसने 2023 के लिए ग्लोबल ग्रोथ रेट को घटाकर 1.7 फीसदी कर दिया है, जो पहले 3 फीसदी हुआ करता था.
अगर विश्व बैंक की ये भविष्यवाणी सच साबित हुई, तो तीन दशक में ये तीसरा मौका होगा; जब आर्थिक विकास सबसे कमजोर रहेगा. इससे पहले 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट गहराया था. फिर 2020 में कोरोना महामारी के चलते ग्लोबल ग्रोथ रेट में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका इस वर्ष मंदी से बच सकता है, लेकिन इसके बाद भी अमेरिका का ग्रोथ रेट केवल 0.5 फीसदी रहने का अनुमान है.
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका में सप्लाई चेन में रुकावट पैदा हो सकती है. चीन की कमजोर अर्थव्यवस्था का यूरोप को खामियाजा उठाना पड़ सकता है. विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका और यूरोप में बढ़ती ब्याज दरों के चलते गरीब देशों से निवेश को आकर्षित करेगा, जिससे इन देशों में निवेश का संकट पैदा हो सकता है.
विश्व बैंक ने कहा, 'कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए कोई भी नया प्रतिकूल घटनाक्रम... वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकता है. इनमें अपेक्षा से अधिक मुद्रास्फीति, कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए ब्याज दरों में अचानक वृद्धि, या महामारी का फिर से उभरना शामिल है.' इस बीच, यूरो क्षेत्र के फ्लैटलाइन होने की उम्मीद है, क्योंकि यह रूस के आक्रमण से संबंधित गंभीर ऊर्जा आपूर्ति व्यवधानों और मूल्य वृद्धि से जूझ रहा है.
IMF ने कही थी विकास दर में गिरावट की बात
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी 2023-24 में भारत के आर्थिक विकास दर 6.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया है, जो 2022-23 में 6.8 फीसदी रहने की उम्मीद है. आईएमएफ ने कहा है कि कच्चे तेल के दामों में उछाल, कमजोर बाहरी मांग और सख्त मॉनिटरी पॉलिसी के चलते आर्थिक विकास दर में गिरावट आ सकती है.
आईएमएफ ने कहा है कि अगले दो वर्षों में भारत में महंगाई में कमी आ सकती है. हालांकि, उसने ये चेतावनी भी दी है कि कोरोना वायरस के खतरनाक वेरिएंट से ट्रेड और आर्थिक विकास पर असर पड़ सकता है. आईएमएफ के मुताबिक, यूक्रेन में युद्ध और रूस पर लगाये गए प्रतिबंधों के चलते भारत पर कई प्रकार से प्रभाव डाल रहा है. जिसमें कमोडिटी के दामों में बढ़ोतरी, कमजोर बाहरी मांग और भरोसे में कमी शामिल है.
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