गीता प्रेस सिर्फ प्रेस नहीं, साहित्य का मंदिर है : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

राष्ट्रपति ने कहा - सनातन धर्म को बचाए रखने में हमारे मंदिरों, तीर्थ स्थलों का जितना योगदान है, उतना ही योगदान गीता प्रेस से प्रकाशित साहित्य का है

गीता प्रेस सिर्फ प्रेस नहीं, साहित्य का मंदिर है : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (फाइल फोटो).

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि ‘गीता प्रेस सिर्फ प्रेस नहीं है, साहित्य का मंदिर है.' राष्ट्रपति कोविंद ने शनिवार को यहां गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष के उद्घाटन समारोह में कहा, ‘‘मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति की एक अवधारणा रही है कि एक प्रेस होगा, लेकिन आज देखने को मिला कि गीता प्रेस सिर्फ प्रेस नहीं, साहित्य का मंदिर है.'' उन्होंने कहा, ‘‘सनातन धर्म को बचाए रखने में हमारे मंदिरों, तीर्थ स्थलों का जितना योगदान है, उतना ही योगदान गीता प्रेस से प्रकाशित साहित्य का है.''

उन्होंने कहा कि भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान को जन जन तक ले जाने में गीता प्रेस ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

गौरतलब है कि गीता प्रेस सर्वाधिक हिंदू धार्मिक पुस्तकें प्रकाशित करने वाली संस्था है. गोरखपुर शहर में स्थापित गीता प्रेस में धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन और मुद्रण होता है. गीता प्रेस की स्थापना 1923 में गीता मर्मज्ञ जयदयाल गोयन्दका ने की थी.

कोविंद ने कहा, ‘‘यहां आने से पहले मुझे गीता प्रेस के कर्मचारियों से मिलने का अवसर मिला. इस प्रेस के लिए जो मैंने उनकी निष्ठा, ईमानदारी और सद्भावना देखी वह अद्वितीय थी.'' उन्होंने गीता प्रेस के लीला चित्र मंदिर की भी खूब सराहना की.

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘लीला चित्र मंदिर के चित्र अद्भुत हैं और जिन कलाकारों ने इसे बनाया है उन्हें भगवान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त है. गीता की एक पांडुलिपि छह इंच व्यास में लिखी गई है और मैंने इसे माइक्रोस्कोप की मदद से देखा और यह अद्भुत था.''

राष्ट्रपति ने कहा कि गीता प्रेस को आगे ले जाने में हनुमान प्रसाद पोद्दार की अहम भूमिका रही. कोविंद ने गीता प्रेस के संस्थापक जयदयाल गोयन्दका के योगदान को भी याद किया.

कोविंद ने कहा, ‘‘योगी (आदित्यनाथ) इस प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी. एक व्यक्ति में दोनों समाहित होना बहुत बड़ी बात है.''

राष्ट्रपति ने कहा कि गीता प्रेस ने हिंदू धार्मिक प्रसंगों को जनमानस तक पहुंचाया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘सनातन हिंदू धर्म के प्रकाशन के सबसे प्रमुख केंद्र (गीता प्रेस) ने 100 वर्षों में हिंदू धर्म से संबंधित 90 करोड़ से अधिक ग्रंथों का प्रकाशन कर देश और धर्म की सराहनीय सेवा की है.''

उन्होंने कहा कि 1923 में मात्र 10 रुपये किराये के भवन में गोयन्दका ने गीता प्रेस की स्थापना की और यह विशाल वटवृक्ष बनकर धर्म और संस्कार के साथ—साथ देश की सेवा कर रहा है. योगी ने कहा, ‘‘1955 में इस संस्था के मुख्य द्वार का उद्घाटन करने के लिए उस समय के राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद आए थे.''

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने संबोधन में शताब्दी समारोह की शुभकामना दी और कहा कि मानव जीवन में धर्म, कर्म और ज्ञान का महत्व है. उन्होंने कहा कि भारत में घर-घर गीता और रामचरितमानस पहुंचाने का श्रेय गीता प्रेस को जाता है.

राष्ट्रपति शनिवार शाम गीता प्रेस शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल होने के बाद सीधे गोरखनाथ मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना की. योगी ने मंदिर के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ राष्ट्रपति, प्रथम महिला सविता कोविंद और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का स्वागत किया.

मंदिर परिसर में लोक कलाकारों ने उनका स्वागत करने के लिए लोक नृत्य और गीतों की प्रस्तुति दी. मंदिर में 101 वेदपाठियों के मंत्रोच्चार के बीच राष्ट्रपति ने गुरु गोरखनाथ की पूजा अर्चना की और इसके बाद ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की. कोविंद ने मंदिर की गौशाला में गायों को गुड़, रोटी और हरा चारा खिलाया. उन्होंने वहां जनप्रतिनिधियों और प्रमुख लोगों से मुलाकात की.

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राष्ट्रपति ने मंदिर में दर्शन करने के बाद रामगढ़ ताल क्षेत्र में 'लाइट एंड साउंड शो' देखा और कलाकारों के बीच जाकर ताली बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया. कोविंद जब रामगढ़ ताल घाट पर पहुंचे तो बड़ी संख्या में बच्चों ने 'गोरखपुर में आपका स्वागत है' तख्तियों के साथ उनका स्वागत किया.



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