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This Article is From Nov 22, 2020

जब तक हम कांग्रेस की कार्यशैली में बदलाव नहीं लाते, चीजें नहीं बदलेंगी : गुलाम नबी आजाद

जब तक हम हर स्तर पर कांग्रेस की कार्यशैली में बदलाव नहीं लाते, चीजें नहीं बदलेंगे. नेतृत्व को चाहिए कि वह कार्यकर्ताओं को एक कार्यक्रम दे और पदों के लिए चुनाव कराए. हर किसी को जरूरी लगना चाहिए कि उनकी गैरमौजूदगी पर नेतृत्व उनसे सवाल पूछ सकता है.

जब तक हम कांग्रेस की कार्यशैली में बदलाव नहीं लाते, चीजें नहीं बदलेंगी : गुलाम नबी आजाद
Ghulam Nabi Azad ने कांग्रेस की हार पर खुलकर अपनी राय रखी
नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने भी बिहार विधानसभा चुनाव और उपचुनाव में कांग्रेस (Congress) की हार पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. आजाद ने कहा कि चुनाव में हार के लिए वह पार्टी नेतृत्व को दोष नहीं देते, लेकिन हमने जमीनी स्तर पर जनता से संपर्क खो दिया है. जब तक हम हर स्तर पर कांग्रेस की कार्यशैली में बदलाव नहीं लाते, चीजें नहीं बदलेंगी. नेतृत्व को चाहिए कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं को एक कार्यक्रम दे और पदों के लिए चुनाव कराए. इससे पहले पी चिदंबरम और कपिल सिब्बल बिहार चुनाव में हार को लेकर खुलकर सामने आए हैं.

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आजाद ने कहा कि वह गांधी परिवार (Gandhi Family) को दोष नहीं दे सकते, क्योंकि इस वक्त कोरोना की महामारी के कारण ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता. उन्होंने हमारी ज्यादातर मांगों को माना है. कांग्रेस नेतृत्व को चुनाव कराने चाहिए अगर वे राष्ट्रीय स्तर पर विकल्प बनने के साथ पार्टी को पुनरोद्धार करना चाहते हैं.हम सभी को पार्टी से प्यार करना चाहिए और इसे दोबारा मजबूत बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए.

पांच सितारा संस्कृति छोड़नी होगी
जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) से ताल्लुक रखने वाले आजाद ने कहा कि पार्टी को पांच सितारा संस्कृति को नहीं भाती, आज जब किसी नेता को टिकट मिलता है तो वह पहले 5 स्टार होटल बुक करता है. अगर सड़क खराब है तो वह उधर जाता ही नहीं है. जब तक फाइव स्टार संस्कृति नहीं छोड़ी जाती, तब तक चुनाव नहीं जीता जा सकता. वरिष्ठ कांग्रेस नेता (Congress Leader) ने कहा कि जब तक पदाधिकारी नियुक्त किए जाते हैं, वे अपने जिम्मेदारी नहीं समझेंगे. लेकिन अगर कांग्रेस के सभी पदाधिकारियों का चुनाव होगा तो उन्हें जिम्मेदारी का अहसास होगा. आज पार्टी में कोई भी किसी भी पद को हासिल कर सकता है.

72 साल में सबसे बुरा दौर
वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस 72 सालों में सबसे बुरे दौर में है. पिछले दो बार से कांग्रेस लोकसभा में नेता विपक्ष का पद हासिल करने लायक संख्या भी नहीं जुटा सकी. लेकिन कांग्रेस ने लद्दाख पर्वतीय परिषद के चुनाव में 9 सीटें जीतीं, जबकि ऐसे सकारात्मक नतीजों की उम्मीद नहीं थी.

असंतुष्ट नेताओं से एक रहे हैं आजाद
आजाद उन 23 अंसतुष्ट नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था. इससे पहले पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल समेत कई नेता बिहार और विधानसभा उपचुनाव में पार्टी की करारी हार को लेकर चिंता जता चुके हैं. चिदंबरम ने भी कहा था कि कांग्रेस ग्राउंड पर मज़बूत नहीं है. कांग्रेस गिरती अर्थव्यवस्था और कोरोना संकट के मुद्दे होने के बावजूद अच्छी मौजूदगी नहीं जता पाई.

चिदंबरम और सिब्बल ने भी दी थी प्रतिक्रिया
चिदंबरम ने कहा कि 'मुझे गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के उपचुनावों की चिंता ज्यादा है. ये नतीजे दिखाते हैं कि या तो पार्टी की जमीन पर संगठन के तौर पर मौजूदगी ही नहीं है, या फिर बहुत ज्यादा कम हुई है.' जबकि सिब्बल ने कहा था कि जनता कांग्रेस को मजबूत विकल्प के तौर पर नहीं मान रही है. कांग्रेस ने न केवल बिहार चुनाव बल्कि देश के अन्य राज्यों में हुए विधानसभा उपचुनाव को भी पार्टी ने गंभीरता से नहीं लिया. हालांकि लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और सलमान खुर्शीद जैसे वरिष्ठ नेताओं ने आलोचकों को आड़े हाथों लिया है.

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