
- जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल की यह भारत की पहली आधिकारिक यात्रा है, जो बेंगलुरु और नई दिल्ली में होगी.
- वाडेफुल ने भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण साझेदार और सदी में निर्णायक भूमिका वाला बताया.
- भारत और जर्मनी के बीच राजनयिक संबंध 1951 से हैं, और वे मजबूत रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं.
जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर मंगलवार, 2 सितंबर की सुबह बेंगलुरु पहुंच गए हैं. यह यात्रा अपने आप में भारत-जर्मन संबंधों के बढ़ते रणनीतिक महत्व को बताती है. 2 से 3 सितंबर तक होने वाली इस यात्रा की घोषणा भारत के विदेश मंत्रालय ने की थी, जिसमें दोनों लोकतंत्रों के बीच मजबूत और विकसित संबंधों पर जोर दिया गया था. यह मंत्री वाडेफुल की विदेश मंत्री के रूप में भारत की पहली यात्रा है.
ट्रंप को झटका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ के बीच जर्मन विदेश मंत्री जोहान वेडफुल का यह भारत दौरा हो रहा है. यह दौरा अमेरिका के लिए बड़ा झटका साबित हो रहा है. जब ट्रंप ने यूरोपीय देशों से भी भारत पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है, उस समय न सिर्फ जर्मनी के विदेश मंत्री भारत आए हैं बल्कि कहा है कि भारत आज की सदी की अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाता है.
विदेश मंत्री वाडेफुल ने खुद बताया भारत क्यों है अहम?
वाडेफुल ने भारत के लिए निकलने से पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर विस्तार से बताया कि भारत जर्मनी के लिए क्यों अहम पार्टनर है. उन्होंने लिखा, “भारत इंडो-पैसिफिक में एक प्रमुख पार्टनर है. हमारे संबंध राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक रूप से घनिष्ठ हैं. हमारी रणनीतिक साझेदारी के विस्तार में काफी संभावनाएं हैं: सुरक्षा सहयोग से लेकर इनोवेशन और टेक्नोलॉजी से लेकर कुशल वर्कर्स की भर्ती तक.”
जर्मन विदेश मंत्री वाडेफुल ने लिखा, “दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश और सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की आवाज रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र से परे भी सुनी जाती है. इसीलिए मैं आज बातचीत के लिए बेंगलुरु और नई दिल्ली की यात्रा कर रहा हूं.”
भारत के लिए जर्मनी अहम पार्टनर
भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार जर्मनी यूरोप में भारत के सबसे अहम पार्टनर में से एक है. दोनों देश एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं, जो 1951 में राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से दशकों में लगातार बढ़ी है. मार्च 2021 में, दोनों देशों ने राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरे किए थे.
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने द्विपक्षीय और प्रमुख वैश्विक शिखर सम्मेलनों के मौके पर नियमित बैठकें की हैं. दरअसल, पिछले दो साल में वे छह बार मिल चुके हैं.
उनकी आखिरी बैठक जून 2024 में अपुलिया, इटली में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई, जहां उन्होंने दोनों देशों के बीच सहयोग की समीक्षा की. इससे पहले, दोनों नेता सितंबर 2023 में नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन में और मई 2023 में हिरोशिमा में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान भी मिले थे. चांसलर स्कोल्ज ने फरवरी 2023 में भारत की एक स्टैंडअलोन राजकीय यात्रा (यानी सिर्फ भारत के लिए आना) भी की थी. यह अंतर-सरकारी परामर्श (IGC) प्रारूप के लॉन्च के बाद से किसी जर्मन चांसलर द्वारा भारत की पहली स्टैंडअलोन यात्रा थी.
भारत में वाडेफुल का शेड्यूल
वह 2 सितंबर को बेंगलुरु पहुंच गए हैं और इसके बाद वो दिन में दिल्ली रवाना होने से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का दौरा करेंगे. यह भारत के साथ स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में पार्टनरशिप करने में जर्मनी की बढ़ती दिलचस्पी को दिखाता है.
3 सितंबर को नई दिल्ली में वाडेफुल वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करेंगे. साथ ही उनकी विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक भी होगी. यहां व्यापार, सुरक्षा, ग्रीन इनर्जी, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और ग्लोबल गवर्नेंस सहित कई क्षेत्रों पर चर्चा होने की उम्मीद है. 3 सितंबर को ही वो वापस जर्मनी के लिए प्रस्थान करेंगे.
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