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"हम बहुमूल्य सीख के साथ और मजबूत बने..." हिंडनबर्ग पर गौतम अदाणी

अदाणी ग्रुप को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सभी आरोपों से क्लीन चिट मिल चुकी है. इन आरोपों को लेकर अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी (Gautam Adani On Hindenburg Research) ने टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए लिखा," इस अनुभव से कंपनी को बहुमूल्य सीख भी मिली."

अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी.

नई दिल्ली:

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को एक साल पूरा हो चुका है. 24 जनवरी 2023 को शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अदाणी ग्रुप पर तमाम आरोपों के साथ एक रिपोर्ट पब्लिश की थी. इस रिपोर्ट के बाद अदाणी ग्रुप ने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन अदाणी ग्रुप बेहद मजबूती के साथ निकलकर सामने आया. इस एक साल की यात्रा को लेकर अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी (Gautam Adani On Hindenburg Research) ने टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों और चुनौतियों का जिक्र किया है. उन्होंने कहा है कि इन चुनौतियों से अदाणी ग्रुप और मजबूत बनकर सामने आया है.

  1. "हमारे खिलाफ झूठ और बेबुनियाद आरोप कोई नई बात नहीं थी, लेकिन एक समग्र प्रतिक्रिया देने के बाद मैंने इसके बारे में सोचना बंद कर दिया, लेकिन जैसा कि कहते हैं कि जब तक सच अपने जूते के फीते बंधा होता है, तब तक झूठ पूरी दुनिया घूम चुका होता है. मैं सच्चाई की ताकत के साथ बड़ा हुआ हूं, लेकिन ये घटना मेरे लिए झूठ की ताकत से जुड़ी सीख थी."
  2. "शॉर्ट-सेलिंग अटैक का प्रभाव आमतौर पर फायनेंशियल मार्केट तक ही सीमित होता है. हालांकि ये बहुत ही अलग और दोतरफा हमला था. पहला जो निश्चितरूप से वित्तीय था, लेकिन इसके साथ-साथ  राजनीतिक क्षेत्र से भी आरोप लगाए गए.  कैपिटल मार्केट तार्किक से ज्यादा इमोशन से जुड़े होते हैं. मुझे इस बात का ज्यादा दुख है कि हजारों छोटे निवेशकों को अपनी बचत से हाथ धोना पड़ा."
  3. "अगर हमारे विरोधियों की योजना पूरी तरह से सफल हो जाती, तो इसका दूरगामी प्रभाव होता, कई अहम बुनियादी ढांचों के एसिट्स, बंदरगाहों और एयरपोर्ट से लेकर पावर सप्लाई चेन तक को अपंग बना सकता था, जो किसी भी देश के लिए एक भयावह स्थिति होती." 
  4. "हम इस स्थिति को संभालने से पीछे नहीं हट सकते थे.हमारे दृढ़ विश्वास ने इस विपरीत परिस्थिति से निपटने में काफी हद तक हमारी मदद की. हमारी मजबूत एसेट्स, तेज-तर्रार ऑपरेशंस और हाई क्वालिटी डिस्क्लोजर्स, बेहतर जानकारी रखने वाली फाइनेंशियल कम्युनिटी ने हमारा साथ नहीं छोड़ा और मजबूती से हमारे साथ खड़ी रही."
  5. "इस युद्ध में हमारा सबसे बड़ा हथियार पर्याप्त लिक्विडिटी थी. हमारे 30,000 करोड़ रुपये के रिजर्व को और मजबूत करने के लिए हमने 40,000 करोड़ रुपये और जुटाए, जो हमारी अगले दो साल की डेट रीपेमेंट के बराबर थे. ये पैसा हमने अपनी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर जुटाया. इसके खरीदारों में GQG पार्टनर्स और QIA जैसे दिग्गज शामिल थे. इसके बाद हमने 17,500 करोड़ रुपये की मार्जिन लिंक्ड फाइनेंसिंग की प्रीपेमेंट कर अपने पोर्टफोलियो को बाजार की अनिश्चित्ताओं से सुरक्षित कर लिया. इस दौरान मैंने अपनी लीडरशिप टीम को बिजनेस पर फोकस करने के लिए कहा, जिसके FY24 के पहले हाफ में शानदार नतीजे रहे."
  6. "हमने इस दौरान एक जोरदार एंगेजमेंट प्रोग्राम भी चलाया, जिसके तहत हमने अपने हिस्सेदारों से बातचीत की. शुरुआती 150 दिनों में ही हमारी फाइनेंस टीम ने दुनियाभर में 300 मीटिंग कीं. इसके चलते 104 एंटिटीज में 9 रेटिंग एजेंसीज ने रेटिंग्स बरकरार रखीं."
  7. "हमने तथ्यों के साथ अपने पक्ष को पारदर्शी तरीके से सामने रखने पर ध्यान केंद्रित किया, इससे हमारे ग्रुप के खिलाफ निगेटिव कैंपेन का प्रभाव कम हुआ."
  8. "हमारे शेयरहोल्डर बेस में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी बदलाव का एक बड़ा प्रमाण है, जो FPO का पहला लक्ष्य है. इस चुनौतीपूर्ण साल में हमारे शेयरहोल्डर्स के आधार में 43% की बढ़ोतरी हुई, हमारा शेयरहोल्डर बेस करीब 70 लाख तक पहुंच गया." 
  9. "पिछले साल कानूनी दांव-पेंच ने कई अहम सीख दीं. हम इससे मजबूत बनकर बाहर निकले और भारतीय संस्थानों में हमारे विश्वास को साबित किया. इस हमले पर हमारी मजबूत प्रतिक्रिया बेशक एक केस स्टडी है.मैंने अपनी सीख को साझा करना जरूरी समझा, क्योंकि आज हम हैं, कल कोई और हो सकता है."
  10. "गौतम अदाणी ने आगे लिखा कि मैं इस भ्रम में नहीं हूं कि मेरे ऊपर अब हमले होने बंद हो जाएंगे, लेकिन हम इस अनुभव से मजबूती के साथ उबरकर सामने आए हैं. भारत की विकास गाथा में विनम्रता के साथ अपना योगदान जारी रखे हुए हैं वो भी और अधिक मजबूत संकल्प के साथ. "

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