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भारतीय वायुसेना के सी 17 ग्लोबमास्टर को 'हवाई जहाजों में हाथी' कहना गलत नहीं होगा. वहीं, आकार में कहें तो यह 'विमानों का सरदार' है. अमेरिका की बोइंग कंपनी द्वारा निर्मित यह शक्तिशाली फौजी मालवाहक, जहां दुनिया के सबसे बड़े और बेहतरीन मालवाहक विमानों में से एक है. वहीं, भारतीय वायुसेना के बेड़े का सबसे मजबूत स्तंभ भी है. यह इतना बड़ा है कि इसे आप छोटा खेल का मैदान भी कह सकते है. ग्लोबमास्टर करगिल, लद्दाख और उत्तर पूर्वी सीमा सहित कठिन इलाकों में आसानी से उतर सकता है. इसकी रिवर्स थ्रस्ट क्षमता के कारण ये विशाल जहाज छोटे रनवे पर भी आसानी से उतर सकता है.
चीन से तनातनी के समय निभाई अहम भूमिका
साल 2013 में भारतीय वायुसेना का हिस्सा बना ग्लोबमास्टर अब 13 विमानों के बेड़े के साथ देश की सबसे बड़ी परिवहन ताकत है. सेना के लिये यह विमान कितना अहम है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि जब पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनातनी हुई थी, तो उस समय सैनिकों को जल्द तैनाती के लिये इसी जहाज से बॉर्डर पर भेजा गया था. यही नहीं, कोविड के दौरान आम लोगों को मदद पहुंचनी हो या फिर विदेश में फंसे अपने नागरिकों को रेस्क्यू कर सुरक्षित देश लाना हो… हर जगह सी 17 ही मौजूद रहा.
53 मीटर लंबा और 52 मीटर ऊंचा है ग्लोबमास्टर
चार इंजन का ग्लोबमास्टर विमान करीब 77 टन पेलोड उठा सकता है. लगभग 53 मीटर लंबे इस विमान की विंग्स समेत चौड़ाई 52 मीटर और ऊंचाई करीब 17 मीटर है. 950 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भरने वाला यह जहाज 28 हजार फ़ीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है. एक बार में बिना रिफ्यूलिंग के करीब 5000 किलोमीटर तक उड़ सकता है. इसके अंदर इतनी जगह है कि यह एक बार में 150 से अधिक जवानों को उनके हथियार के साथ ले जा सकता है. वहीं, 400 से ज़्यादा यात्रियों, तीन हेलीकॉप्टर या दो ट्रकों को एयरलिफ्ट कर सकता है.
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ग्लोबमास्टर पर वायुसेना का अटल भरोसा
इस विमान में बख्तरबंद गाड़ियों और टैंक को भी आराम से ले जाया सकता है. जरूरत पड़ने पर दिन और रात में कभी भी उबड़-खाबड़ जमीन पर यह 914 मीटर के रनवे पर भी उतर सकता है. इस पर छोटे हथियारों और राइफल का कोई असर नहीं होता है. अपने टैक्टिकल और स्ट्रेटेजिक महत्व के कारण यह जहाज जरूरत के वक्त हमेशा देश के काम आया है, इसलिए इस जहाज पर भारतीय वायुसेना का भरोसा अटल हो गया है.
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