फॉरेक्स कार्ड की क्लोनिंग कर लाखों की चपत लगाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, दो गिरफ्तार

DCP सागर सिंह कलसी ने बताया कि उनके पास पिछले साल एक महिला शिकायत लेकर आई थी कि जब वह यूनाइटेड किंगडम में थी. तो उसे पता चला कि उसके फॉरेक्स कार्ड से 11 लाख रुपए निकाल लिए गए हैं.

फॉरेक्स कार्ड की क्लोनिंग कर लाखों की चपत लगाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, दो गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने दो आरोपियों को किया गिरफ्तार(प्रतीकात्मक चित्र)

नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो फॉरेक्स कार्ड की क्लोनिंग कर लोगों को लाखों रुपये की चपत लगाता था. पुलिस ने ठगी करने वाले इस गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार भी किया है. पुलिस के मुताबिक गैंग के सदस्य विदेश में कैश निकालने के लिए बैंक से जारी होने वाले ग्राहकों के फॉरेक्स कार्ड का क्लोन कर एक डमी फॉरेक्स कार्ड बनाते थे. और बाद में इसी कार्ड के इस्तेमाल से पैसे ट्रांसफर कर लेते थे . फिर हवाला के जरिए या क्रिकेट सट्टेबाजी के चैनल का उपयोग करके पैसा भारत लाया जाता था. पुलिस फिलहाल गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के आधार पर गिरोह से जुड़े अन्य अपराधियों की भी तलाश में जुटी है. 

महिला ने की थी ठगी की शिकायत

उत्तरी दिल्ली के डीसीपी सागर सिंह कलसी ने बताया कि उनके पास पिछले साल एक महिला शिकायत लेकर आई थी कि जब वह यूनाइटेड किंगडम में थी. तो उसे पता चला कि उसके फॉरेक्स कार्ड से 11 लाख रुपए निकाल लिए गए हैं. भारत आने पर उसने बैंक और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. बैंक अधिकारियों से बातचीत में उसे पता चला कि इस तरह की घटनाएं बैंक के अन्य फॉरेक्स कार्ड धारकों के साथ भी हुआ है.  इसके बाद हमें बैंक की ओर से भी इसी तरह के तथ्यों के साथ एक शिकायत मिली.

मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी बदलकर करते थे ठगी

पूछताछ में यह पाया गया कि कस्टमर केयर पर कॉल आने के बाद ग्राहक का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी बदल दी गई थी और रिचार्ज राशि को उपयोगकर्ता के पुराने कार्ड से नए कार्ड में ट्रांसफर कर दिया गया था. इसी तरह से अप्रैल और मई 2022 के महीने में थाईलैंड में कई जगहों से 64,05,496/- रुपये निकाले गए. पुलिस ने ये जानकारी मिलने के बाद मामले की जांच और तेज कर दी. 

पुलिस की जांच मे पता चला कि बीते 3 साल में और 4 देशों में इस तरह से लोगों को चूना लगाया गया है. जांच के दौरान फॉरेक्स कार्ड से 4 देशों के 3 साल के लेनदेन का डेटा बैंक से लिया गया. कथित फॉरेक्स कार्ड कॉलिंग से संबंधित कॉल की पहचान करने के लिए कस्टमर केयर पर हजारों कॉल देखी गईं और घंटों सुनी गईं. मोबाइल नंबरों की पहचान की गई और कथित मोबाइल नंबर से बैंक कस्टमर केयर को कॉल करने की जगहों पर टीम भेजी है. इसके बाद एक आरोपी की पहचान पश्चिम विहार दिल्ली के रहने वाले सोनल के रूप में हुई.

थाईलैंड जाकर निकालते थे पैसे

सोनल इसी साला अप्रैल में थाईलैंड गया था जैसे ही वो भारत लौटा उसे एयरपोर्ट पर पकड़ लिया गया. पूछताछ के दौरान आरोपी ने खुलासा किया कि उसने फॉरेक्स कार्ड ग्राहकों का डेटा और डमी फॉरेक्स कार्ड एक पारस चौहान से लिया जो 2019 में बैंक का कर्मचारी था. पारस ने एक कार्ड से दूसरे कार्ड में पैसे के ट्रांसफर के बारे में बताया . आरोपी सोनल और एक अन्य सह-आरोपी संदीप ओझा ने कॉल करने के लिए सिम कार्ड की व्यवस्था की और फरवरी 2022 से बैंक कस्टमर केयर पर कॉल करना शुरू किया.

एक और आरोपी की है तलाश

आरोपी ने यह भी खुलासा किया कि उसने और संदीप ओझा ने अप्रैल और मई 2022 में बैंकाक की यात्रा की, जहां उन्होंने एक थाई नागरिक अनुराग की मदद से फॉरेक्स कार्ड का उपयोग कर एटीएम से पैसे निकाले. इसके बाद हवाला और क्रिकेट सट्टे के जरिए पैसा भारत भेजा जाता था. आरोपी पैसे निकालने के बाद बार-बार थाईलैंड की यात्रा कर रहा था. आरोपी ने यह भी खुलासा किया कि इससे पहले भी इसी तरह से 2019 में हॉन्गकॉन्ग और दुबई से पैसे निकाले गए थे. आरोपी पारस चौहान ने यह भी खुलासा किया कि वो बैंक में सेल्स एंड ऑपरेशन विभाग में कंसल्टेंट था और एक कार्ड से दूसरे कार्ड में पैसे ट्रांसफर करने की प्रक्रिया के बारे में अच्छी तरह से जानता था.

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