G-20 in Kashmir: कश्मीर पर PM मोदी के विजन को अमित शाह ने दिया अंजाम - पाक परेशान, दुनिया हैरान!

सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियों के बीच आयोजित की गई यह बैठक भारत सरकार, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह, और सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी कामयाबी की तरह आई.

हाल ही में नए कश्‍मीर ने G-20 की बैठक के लिए 27 देशों से पहुंचे 60 प्रतिनिधियों का स्‍वागत किया, और इन तीन दिनों में विचार, कूटनीति के साथ-साथ संगीत, नृत्‍य और प्राकृतिक दर्शन भी चलते रहे. विदेशी मेहमानों को कश्मीर के सौंदर्य और संस्कृति को तीन दिन तक करीब से देखने का मौका मिला. मशहूर डल झील पर शिकारा की सैर, सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्थानीय हस्तशिल्प बाज़ारों का जायज़ा और श्रीनगर के मशहूर बागों में घूमते हुए स्थानीय लोगों से बातचीत का सुख, साथ ही साथ कुछ गोल्‍फ खेलना भी. G-20 प्रतिनिधि मानते हैं कि कश्मीर की खूबसूरती और मेहमाननवाज़ी को देखकर वे बेहद प्रभावित हैं और यह दौरा यादगार रहेगा, जिसे वे कभी नहीं भूलेंगे.

सुरक्षाबलों और केंद्र सरकार की बड़ी कामयाबी
सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियों के बीच आयोजित की गई यह बैठक भारत सरकार, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह, और सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी कामयाबी की तरह आई. अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने संविधान में संशोधन कर जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 का खात्मा कर दिया, और उसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने सुरक्षा के मुद्दे पर ज़ीरो टॉलरेन्स की नीति अपनाकर व्यवस्थाएं कीं. कानूनों का सख्ती से पालन करवाया गया, सुरक्षा एजेंसियों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया, आतंकवाद पर कड़ी कार्रवाई की और कट्टरपंथ पर काबू पाकर युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास किए गए, जो कामयाब दिख रहे हैं. अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद केंद्र की नीतियों का असर भी दिखा और आतंकवाद की घटनाओं में 2016-19 की तुलना में 2019-22 के दौरान 32 फीसदी की गिरावट आई, और सुरक्षाबलों की शहादत में 52 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई. इसी अवधि में नागरिकों की मौतों में भी 14 फीसदी की गिरावट हुई.

इसके अलावा, जम्मू एवं कश्मीर में पर्यटन के विकास के लिए भी केंद्र सरकार ने ढेरों प्रयास किए. पर्यटन नीति 2020 को अधिसूचित किया गया, जिसके बाद पहले छह माह में ही 80 लाख से ज़्यादा पर्यटकों ने जम्मू-कश्मीर की सैर की. मई, 2022 में 22 लाख पर्यटक यहां आए थे, जो अब तक का रिकॉर्ड सर्वोच्च आंकड़ा है. इसी के साथ प्रधानमंत्री ने भी जम्मू-कश्मीर के लिए 80,000 करोड़ रुपये के 63 प्रोजेक्ट मंज़ूर किए. 58,477 करोड़ के 53 प्रोजेक्ट पर काम जारी है, औ, 29 प्रोजेक्ट पूरा होने की कगार पर हैं.

अब हट सकेगी कश्मीर के ख़िलाफ़ ट्रैवल एडवायज़री?
 

G-20 की बैठक के दौरान NDTV से बातचीत में दक्षिण कोरिया के राजदूत चांग जे. बॉक ने कहा कि कश्मीर धरती पर जन्नत है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पश्चिमी देशों को कश्मीर को लेकर अपनी ट्रैवल एडवाइज़री में सुधार करने पर विचार करना चाहिए.

बॉक ने कहा, "कश्मीर धरती पर स्वर्ग है... उम्मीद है, यहां और भी फ़िल्में बनेंगी और कश्मीर और भी ज़्यादा समृद्ध होगा... यहां आने पर कई तरह की सीमाएं हैं, फिर भी आप यहां आकर सुंदरता का लुत्फ़ उठा सकते हैं..."

इस महाआयोजन ने स्थानीय लोगों में भी नई उम्मीद पैदा की है. जितनी सहजता से G-20 की बैठक हुई, और जिस तरह दुनियाभर की नज़र इस पर रही, उससे कश्मीर एक आकर्षक और सुरक्षित सैलानी स्थल के रूप में सामने आएगा और स्थानीय लोगों को अपना समृद्ध हस्तशिल्प दुनिया को दिखाने का मौका मिलेगा.

मुस्तफा कादवी G-20 की बैठक के दौरान एक्सक्विज़िट कश्मीर आर्ट्स एंड क्राफ़्ट प्रदर्शनी के आयोजकों में रहे हैं. उनका कहना है कि आए हुए मेहमान इलाके की खूबसूरती और उनके हस्तशिल्प से बेहद प्रभावित थे. उन्हें उम्मीद है कि इस कामयाब बैठक के बाद कई पश्चिमी देशों द्वारा कश्मीर जाने के खिलाफ जारी ट्रैवल एडवायज़री हटाने में मदद मिलेगी.

रिकॉर्ड तादाद में कश्मीर पहुंचे हैं पर्यटक
केंद्र सरकार कहती है कि बीते एक साल में 1.88 करोड़ सैलानी जम्मू-कश्मीर आए, लेकिन इनमें से ज़्यादातर वैष्णों देवी जाने वाले थे, और सिर्फ 26 लाख घाटी में सैर के लिए पहुंचे. इस साल यह तादाद दो करोड़ पार हो जाने की उम्मीद है. सूचना प्रसारण विभाग के सचिव अपूर्व चंद्रा का कहना है, "जितने भी लोग इस समय कश्मीर घूमने आ रहे हैं, यह रिकॉर्ड लेवल है... पिछले साल देशभर से 1.88 करोड़ टूरिस्ट जम्मू-कश्मीर पहुंचे और कश्मीर घाटी में लगभग 26 लाख पर्यटक आए, जो रिकॉर्ड आंकड़ा है... ऐसा पहले कभी नहीं हुआ..."

दावोस से भी खूबसूरत है कश्मीर : G-20 के शेरपा अमिताभ कांत

G-20 के शेरपा अमिताभ कांत का कहना है, "जो पोटेन्शियल कश्मीर में है, वह कहीं नहीं है... मैं कई बार दावोस जा चुका हूं, लेकिन कश्मीर दावोस से भी बहुत ज़्यादा सुंदर है... यहां सबसे ज़्यादा जॉब क्रिएशन टूरिज़्म सेक्टर से ही निकलेगा, और इसके लिए गवर्नमेंट जो कुछ कर रही है, टूरिज़्म उसे आगे ले जाएगा... G-20 में भी यही चर्चा हुई है..."

पाकिस्तान को गया है सख्त संदेश
G-20 की इस बैठक के कामयाब आयोजन से बार-बार कश्मीर का मुद्दा उठाने वाले पाकिस्तान और उसका समर्थन करने वाले चीन और तुर्की जैसे देशों को एक सख्त संदेश भी गया, जो खुद इस बैठक से दूर रहे. हाल ही में पाकिस्तान के विदेशमंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने G-20 की बैठक को लेकर ही टिप्पणी की थी, जिससे उनकी बौखलाहट साफ़ ज़ाहिर हो रही थी. उन्होंने G-20 की बैठक के कश्मीर में आयोजन को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करार दिया था.

उनके बयान के जवाब में भारतीय विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था, "उन्हें (पाकिस्तान को) G-20 से कोई लेना-देना नहीं है... उन्हें दरअसल, कश्मीर और श्रीनगर से भी कोई लेना-देना नहीं है... उन्हें तो इस बात का जवाब देना चाहिए कि वे जम्मू एवं कश्मीर के गैरकानूनी तरीके से कब्ज़ाए हुए हिस्सों को कब खाली करेंगे..."

G-20 की यह बैठक कश्मीर में ग्लोबल प्लेयर्स की ओर से अमन और समृद्धि की वापसी की यह ज़ोरदार पुष्टि है. G-20 की यह बैठक सरकार और ब्रांड कश्मीर के लिए बड़ी कामयाबी मानी जा रही है. इससे समूची दुनिया में यह संदेश गया है कि कश्मीर पुरअमन है और यहां कोई भी इंटरनेशनल ईवेन्ट आयोजित किया जा सकता है. सुरक्षा के इससे बेहतर इंतज़ाम नहीं हो सकते थे, और पर्यटन इंडस्ट्री से जो लोग जुड़े हैं, उनका कहना है कि इस मीटिंग ने उन्हें यकीन दे दिया है कि अब दुनियाभर के पर्यटक कश्मीर का रुख करेंगे.

आतंक और शटडाउन अब अतीत की बात
श्रीनगर में G-20 समिट के सफल समापन ने देश और दुनिया को जम्मू-कश्मीर की एक नई छवि दिखाई है. अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त किए जाने के बाद यहां पहली बार कोई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ. यह जम्मू-कश्मीर के लिए एक नए युग का प्रतीक है. यह केंद्र की तरफ से एक वादा है कि आतंकवाद, हिंसा, संघर्ष और शटडाउन के दिन अब अतीत की बात है.

घाटी के प्रसिद्ध हाउसबोट फिर से रोशनी से जगमगा उठे हैं. पर्यटन भी पटरी पर लौट रहा है. G-20 समिट में विदेशी मेहमानों को यहां योग करते, कश्मीर सूफीवाद के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते, लोकल मार्केट में खरीदारी और स्थानीय खानपान का लुत्फ उठाते देखा गया. यह एक तरह से अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति की शुरुआत है. प्रतिनिधियों को कश्मीर के प्राचीन इतिहास, कला, संगीत और व्यंजनों की झलक भी दिखाई गई. स्थानीय कारीगरों, संगीतकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं. सांस्कृतिक आदान-प्रदान की शुरुआत भी हुई. सिंगापुर से दक्षिण कोरिया और नीदरलैंड से फ्रांस तक, G-20 समिट में भाग लेने वाले सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने इस आयोजन को एक बड़ी सफलता बताया है.
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आर्थिक अवसर भी
G-20 समिट के बाद से यहां से एक मैसेज गया है कि जम्मू-कश्मीर अब बदल रहा है. यहां व्यावसायिक गतिविधि और निवेश के लिए दरवाजे खुले हैं. यहां फिल्मों की शूटिंग फिर से शुरू होने से घाटी को आर्थिक गति मिलेगी.