नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (आईएएफ) अगले सप्ताह जी-20 शिखर सम्मेलन के मद्देनजर दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों के आसमान को सुरक्षित करने के अपने विस्तृत प्रयासों के तहत अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान, रडार, एंटी-ड्रोन सिस्टम और सतह से हवा में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र तैनात कर रही है. सैन्य सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना ने संबंधित सुरक्षा एजेंसियों के साथ व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं के समन्वय के लिए पहले ही एक समर्पित ऑपरेशन डायरेक्शन सेंटर (ओडीसी) स्थापित कर लिया है.
भारत जी-20 के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में नौ और 10 सितंबर को नयी दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. सूत्रों ने कहा कि दिल्ली के हवाई क्षेत्र के साथ-साथ विभिन्न नेताओं के भारत के भीतर उड़ान मार्ग को सुरक्षित करने के लिए जो विमान शामिल किए जा रहे हैं, उनमें लड़ाकू विमान राफेल, मिराज-2000 और सुखोई-30 एमकेआई शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि स्वदेशी रूप से विकसित नेत्र एयरबोर्न प्रारंभिक चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली के साथ-साथ उच्च-स्तरीय निगरानी उपकरण उन प्रमुख प्लेटफॉर्म में शामिल हैं जिन्हें पहले ही तैनात किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि जिन प्रक्षेपास्त्रों को तैनात किया गया है उनमें आकाश के साथ-साथ मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआर-एसएएम) प्रणाली भी शामिल है.
पच्चीस किमी तक की मारक क्षमता वाली आकाश, सतह से हवा में मार करने वाली एक छोटी दूरी की मिसाइल है, जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से कमजोर क्षेत्रों और बिंदुओं को हवाई हमलों से बचाने के लिए किया जाता है.
समग्र सुरक्षा उपायों के तहत भारतीय वायुसेना ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और जम्मू कश्मीर में अपने सभी हवाई अड्डों को परिचालन के लिए तैयार रखा है. सूत्रों ने कहा कि समग्र सुरक्षा उपायों का विभिन्न अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय किया जा रहा है.
दिल्ली और पड़ोसी क्षेत्रों के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा मुख्य रूप से भारतीय वायुसेना के दिल्ली मुख्यालय पश्चिमी कमान द्वारा संभाली जा रही है. हालांकि, अन्य कमांडो भी तैनात किये जा रहे हैं.
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