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This Article is From Jul 20, 2018

मोटी रकम हड़पकर देश से चंपत होने वालों पर नकेल, लोकसभा में बिल पारित

विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे लोगों से सबक लेकर जागी सरकार, लोकसभा में भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 पारित

मोटी रकम हड़पकर देश से चंपत होने वालों पर नकेल, लोकसभा में बिल पारित
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018  को ध्वनिमत से पारित कर दिया. विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे लोगों के देश से भाग जाने के बाद जागी सरकार भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश 2018 लेकर आई थी, जिससे कि ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जा सके. 

वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को लोकसभा में यह विधेयक पेश किया. गोयल ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह एक सुलझा हुआ विधेयक है और इसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर लाया गया है. उन्होंने कहा कि बजट सत्र को विपक्षी दलों ने चलने नहीं दिया जिस वजह से यह बिल उस समय नहीं लाया जा सका. गोयल ने कहा कि सरकार का अध्यादेश लाने का मकसद यह संदेश देने के लिए था कि सरकार सख्त है और कालेधन पर प्रहार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस कानून में यह प्रावधान किया गया है कि आर्थिक अपराध करने वाले भगोड़ों की देश के भीतर और बाहर सभी बेनामी संपत्तियां जब्त की जाएंगी. 

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गोयल ने कुछ सदस्यों की इस चिंता को खारिज किया कि कानून के प्रावधानों की वजह से निर्दोष लोग भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह कानून भगोड़ों के लिए है और अगर कोई व्यक्ति निर्दोष है तो उसे भागने की क्या जरूरत है और उसे तो खुद को कानून के हवाले करना चाहिए.

क्यों लाया गया भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक
गौरतलब है कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कारोबारियों के बैंकों से हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लेने के बाद देश से फरार होने के बाद सरकार की बहुत किरकिरी हुई. इसके बाद सरकार ऐसे सभी मामलों को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक लाई.

क्या है विधेयक का उद्देश्य
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि आर्थिक अपराधी दंडात्मक कार्रवाई प्रारंभ होने की संभावना में या कभी-कभी ऐसी कार्रवाइयों के लंबित रहने के दौरान वह भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से दूर चले जाते हैं. इससे देश को ऐसे अपराधियों की अनुपस्थिति के कारण नुकसान होता है, साथ ही साथ इससे दंडात्मक मामलों की जांच में बाधा उत्पन्न होती है और अदालतों का कीमती समय व्यर्थ होता है. आर्थिक अपराधों के ऐसे अधिकांश मामलों में बैंक के कर्ज से संबंधित मामलों के कारण भारत में बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय स्थिति और खराब होती जा रही है. इस समय सिविल एवं न्यायिक उपबंध इस समस्या की गंभीरता से निपटाने के लिए पर्याप्त नहीं है. इसलिए इस समस्या का समाधान करने के लिए और भारतीय न्यायालयों के आधिकार क्षेत्र से बाहर रहने वाले आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के मकसद से भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 लाया गया है.

क्या है इस विधेयक में
इस विधेयक में कहा गया है कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अनुसूचित अपराध किया है और ऐसे अपराध किए हैं जिनमें 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की रकम शामिल है और वे भारत से फरार हैं या भारत में दंडात्मक अभियोजन से बचने या उसका सामना करने के लिए भारत आने से इनकार करते हैं. इसमें भगोड़ा आर्थिक अपराधी की सम्पत्ति की कुर्की करने की व्यवस्था की गई है. इसमें कहा गया है कि कोई भी भगोड़ा आर्थिक अपराधी कोई सिविल दावा करने या बचाव करने का हकदार नहीं होगा. ऐसे मामलों में विशेष न्यायालयों द्वारा जारी आदेशों के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है.

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