विज्ञापन
This Article is From Sep 26, 2016

इस्राइल ने सुझाया उपाय, जिससे सुलझ सकता है दशकों पुराना कावेरी विवाद...

इस्राइल ने सुझाया उपाय, जिससे सुलझ सकता है दशकों पुराना कावेरी विवाद...
बेंगलुरू: पिछले कई सालों से कर्नाटक और तमिलनाडु, कावेरी के पानी को लेकर आमने सामने है. दशकों से चला आ रहा यह विवाद तब और गंभीर हो गया जब इस साल मॉनसून में भारी कमी देखी गई. लेकिन इसके साथ ही जानकारों ने यह चिंता भी जताई है कि बारिश में लगातार कमी के बावजूद इन राज्यों में उन फसलों को उगाया जा रहा है जिसमें पानी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है.

गौरतलब है कि कर्नाटक में गन्ना उगाया जाता है, वहीं तमिलनाडु में धान के खेत हैं. दोनों में ही पानी जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल होता है. पिछले चालीस सालों में जौ उगाना किसानों ने लगभग बंद कर दिया है. राज्य सरकार ने अपनी ओर से किसानों को नकदी फसल उगाने के प्रति जागरुक करने की कोई कोशिश नहीं की है.

----- ----- ----- ----- ----- -----
जानें कावेरी विवाद क्या है
----- ----- ----- ----- ----- -----

हालांकि हाल ही में बेंगलुरू में हुए एक कार्यक्रम में इस्राइल ने इस संकट से निपटने का एक तरीका सुझाया है. "Open a door to Israel" नाम के इस सम्मेलन में इस्राइल के वाणिज्यदूतावास ने दिखाया कि किस तरह 'माइक्रो ड्रिप इरिगेशन' के माध्यम से इस देश ने सिंचाई में पानी की खपत को 50 प्रतिशत तक कम किया है. इज़राइलियों का दावा है कि इस तकनीक को उपजाऊ बनाने के तरीके से जोड़कर गन्ने की उपज 133 प्रतिशत बढ़ सकती है.
 
बेंगलुरू में आयोजित कार्यक्रम में इस्राइल ने तकनीक और सिंचाई की बात की

बता दें कि इस्राइल को उसकी बंजर ज़मीन के लिए जाना जाता था लेकिन उसने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया. अब इस देश का दावा है कि उनके पास जरूरत से ज्यादा पानी है. ड्रिप सिंचाई, खराब पानी की रिसाइक्लिंग और समुद्र के पानी से नमक हटाने की तकनीक से यह मुमकिन हो सका है. वैसे इन सभी तकनीकों को पैराग्वे और अमेरिका के कैलिफोर्निया जैसे सूखाग्रस्त इलाकों में भी अपनाया गया है.

----- ----- ----- ----- ----- ----- ----- ----- ----- -----
कर्नाटक ने कहा कावेरी को पानी नहीं दे सकते
----- ----- ----- ----- ----- ----- ----- ----- ----- -----

इस्राइल की सरकार का कहना है कि उन्होंने जल संरक्षण योजना में भारत सरकार को मदद देने का प्रस्ताव दे दिया है. इस्राइल के वाणिज्यदूतावास की डिप्टी प्रमुख शाल्वी ने एनडीटीवी से कहा कि वह स्थापित श्रेष्ठ केंद्रों के ज़रिए इस क्षेत्र में अपने अनुभव साझा करने के लिए बिल्कुल तैयार हैं.

उन्होंने कहा अगर आप अपने खेत को लबालब कर देंगे तो इससे काफी पानी बर्बाद होगा. लेकिन अगर खेत में सिर्फ उतना ही पानी रिसाया जाए जितनी उस फसल को जरूरत है तो बात बन सकती है. यह प्रक्रिया काफी गुणकारी है और दुनिया भर में सफल भी है.

इस महीने सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को आदेश दिया था कि वह तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़े. तमिलनाडु में बारिश की कमी की वजह से पानी की भारी मार है और कोर्ट के इस फैसले के बाद कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में काफी हिंसक प्रदर्शन हुए. ऐसा अनुमान है कि कर्नाटक में सिंचाई के लिए कावेरी के पानी का 65 प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल किया जाता है. यही वजह है कि तमिलनाडु के लिए पानी छोड़े जाने के आदेश के बाद कर्नाटक में कई जगहों पर विरोध ने हिंसक रूप ले लिया जहां लोगों ने 'हम अपना खून देंगे, कावेरी का पानी नहीं' जैसे नारे लगाए.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
कावेरी विवाद, कर्नाटक सरकार, तमिलनाडु, बेंगलुरू में हिंसा, Cauvery Crisis, Cauvery Protest Karnataka, Cauvery Protest Bengaluru, Tamilnadu, Israel, इजराइल, इस्राइल
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com