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पाकिस्तान लाख कोशिश कर ले, रद्द ही रहेगी सिंधु जल संधि... एक्सपर्ट्स ने बताए- भारत का फैसला कितना सही

10 साल तक सिंधु जल संधि के तकनीकी सलाहकार रहे एके बजाज ने कहा कि इंडस वॉटर ट्रीटी को स्थगित करने का भारत सरकार का जो फैसला है, वह अंतरराष्ट्रीय संधियों से जुड़े नियम और कायदों के अनुरूप है.

नई दिल्ली:

Indus Water Treaty: भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु समझौते को भारत ने पहलगाम हमले के बाद रद्द कर दिया है. पाकिस्तान इस समझौते के सस्पेंशन को 'एक्ट ऑफ वॉर' बताया था. पाकिस्तान इस समझौते को फिर से बहाल करने की हरसभंव कोशिश कर रहा है. वो भारत पर इंटरनेशनल दवाब भी बनाने की कोशिश में जुटा है. लेकिन इंडस के पूर्व कमिश्नर (INDUS Commissioner) और 10 साल तक सिंधु जल संधि के तकनीकी सलाहकार रहे एके बजाज ने कहा कि इंडस वॉटर ट्रीटी को स्थगित करने का भारत सरकार का जो फैसला है, वह अंतरराष्ट्रीय संधियों से जुड़े नियम और कायदों के अनुरूप है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत का फैसला कानूनी है.

एके बजाज ने बताया- पाकिस्तान ने कई बार संधि की शर्तों को तोड़ा

रविवार को एनडीटीवी से खास बातचीत में एके बजाज ने कहा कि पाकिस्तान सरकार ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) के प्रावधानों का सैकड़ो बार उल्लंघन किया है. Indus Water Treaty के प्रस्तावना में साफ तौर पर लिखा गया है कि इंडस वॉटर ट्रीटी दोस्ती और आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए किया गया है. 

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संधि में प्रावधान कि भारत समझौते को रद्द कर सकता है

लेकिन पाकिस्तान ने सीमापार आतंकवाद को खुलकर समर्थन देकर दोनों देशों के बीच माहौल को खराब किया है. जिस वजह से भारत में इंडस वॉटर ट्रीटी को स्थगित करने का फैसला किया. इंडस वॉटर ट्रीटी में यह प्रावधान है कि भारत अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए सिंधु जल संधि को रद्द भी कर सकता है.

'भारत ढाई साल पहले संधि को दुरुस्त करने की सोच चुका था'

एके बजाज ने आगे बताया कि पिछले कुछ साल में सिंधु नदी सिस्टम में कुछ टेक्नोलॉजिकल एस्पेक्ट और क्लाइमेट चेंज का असर बढ़ा है. जिसकी वजह से भारत करीब ढाई साल पहले तय कर चुका था कि वह Indus Water Treaty को पुनर्गठन करना चाहता है.

डाटा शेयर नहीं करेगा भारत, पाक को झेलनी होगी बाढ़ की तबाही 

भारत से पाकिस्तान की ओर बहने वाली 3 नदियों के जलस्तर के बारे में अब भारत पाकिस्तान सरकार के साथ इन नदियों के जलस्तर या बाढ़ के खतरे के बारे में कोई जानकारी साझा नहीं करेगा. इस वजह से आने वाले मॉनसून सीजन के दौरान पाकिस्तान को बाढ़ की मुश्किल चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है.

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