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This Article is From Jul 13, 2022

Exclusive:"राष्‍ट्रपति से इस्‍तीफा देने को कहा था, श्रीलंका छोड़ने के लिए नहीं" - पूर्व क्रिकेटर सनथ जयसूर्या की दो टूक

लोगों की बढ़ती नाराजगी के बीच राष्ट्रपति गोटाबाया ने वादा किया था कि वो 13 जुलाई को इस्तीफा दे देंगे लेकिन गिरफ्तारी की बढ़ती आशंका को देखते हुए वो इस्तीफे से पहले ही देश से भाग गए. 

सनथ जयसूर्या ने कहा, ने कहा, शुरुआत से ही भारत हमारे लिए बेहद मददगार रहा है.

कोलंबो/नई दिल्‍ली:

Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर सनथ जयसूर्या (Sanath Jayasuriya) ने अपने देश में 9 जुलाई के बाद हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन का दोष गोटाबाया राजपक्षे और रानिल विक्रमसिंघे पर (Gotabaya Rajapaksa  and Ranil Wickremesinghe) मढ़ा है जो अभूतपूर्व आर्थिक संकट और विरोध के शुरुआती दौर में इस्‍तीफे की लगातार मांग के बावजूद सत्‍ता से चिपके रहे. NDTV के साथ विशेष बातचीत में जयसूर्या ने विभिन्‍न मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी. श्रीलंका के मौजूदा शासन के कटु आलोचक सनथ जयसूर्या ने कहा, "उन्‍होंने कहा वे इस्‍तीफा दे देंगे लेकिन उन्‍होंनें वादा नहीं निभाया. ऐसे में लोगों का उन पर से भरोसा पूरी तरह से उठ गया." श्रीलंका के पूर्व धमाकेदार ओपनर और हरफनमौला जयसर्या ने यह भी कहा कि विरोध खत्‍म करने का यही एक तरीका है कि प्रधानमंत्री और राष्‍ट्रपति तत्‍काल प्रभाव से इस्‍तीफा दें.   

मौजूदा शासन के आक्रामक अंदाज में 'बैटिंग' करते हुए जयसूर्या ने कहा, "लोग शुरुआत से ही राष्‍ट्रपति के इस्‍तीफे की मांग कर रहे थे लेकिन उन्‍होंने इस्‍तीफा दिए बिना देश छोड़ दिया और फिलहाल सत्‍ता प्रधानमंत्री को सौंप दी. ऐसे में लोग अब उन पर भरोसा नहीं करेंगे. "लोगों की बढ़ती नाराजगी के बीच राष्ट्रपति गोटाबाया ने वादा किया था कि वो 13 जुलाई को इस्तीफा दे देंगे और सत्‍ता के शांतिपूर्ण स्‍थानांतरण का मार्ग प्रशस्‍त करेंगे लेकिन गिरफ्तारी की बढ़ती आशंका को देखते हुए वो इस्तीफे से पहले ही देश से भाग गए. 

इस सवाल कि क्‍या राष्‍ट्रपति को रुकना चाहिए था, पर जयसूर्या ने कहा, "यह व्‍यक्ति पर निर्भर करता है. लोगों ने उन्‍हें कभी देश छोड़ने के लिए नहीं कहा, वे केवल इस्‍तीफे की मांग का रहे थे. देश छोड़ने का फैसला गोटाबाया का खुद का है." पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि कोई भी प्रदर्शन को जारी नहीं रखना चाहता लेकिन परिस्थितियों के चलते लोग ऐसा करने को मजबूर हैं. उन्‍होंने कहा, "हमें कहीं न कहीं रुकना होगा. हम जल्‍द ही शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं."

श्रीलंका में सत्‍ता के 'अभाव' के कारण हालात और बिगड़ने संबंधी सवाल पर सनथ ने कहा, "यह वाकई चिंता कारण है. हम केवल यह कर सकते हैं कि संसद के स्‍पीकर, पूर्व नेताओं और विपक्ष के नेताओं सहित सबके साथ एक योजना को लेकर आएं. हमारे सिस्‍टम में काफी अनुभवी लोग हैं, उन्‍हें संविधान के मुताबिक हल तलाशना चाहिए." उन्‍होंने कहा, "शुरुआत से ही भारत हमारे लिए बेहद मददगार रहा है. भारत ने हमारी काफी मदद की है लेकिन कब तक हम भारत से मदद मांग सकते हैं? संकट से उबरने के लिए हमारे पास अपनी योजना होनी चाहिए. श्रीलंका और मैं, अब तक मदद के लिए भारत को धन्‍यवाद देते हैं." 

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