चेन्नई:
तमिलनाडु के वित्त मंत्री डी जयकुमार ने मंगलवार को राज्य के मुख्यमंत्री ईके पलानीसामी से मुलाक़ात के बाद दो अहम बातें कहीं. पहली की AIADMK के तक़रीबन सभी विधायक चाहते हैं कि किसी भी परिवार का पार्टी या सरकार पर वर्चस्व न हो और साथ ही एक समिति का गठन किया जा रहा है जो ये तय करेगी कि AIADMK के अगले महासचिव के साथ-साथ दूसरे ऑफिस धारक कौन होंगे.
यानी साफ है कि बेंगलुरु जेल में बंद शशिकला को पार्टी के महासचिव पद से हटाया जाएगा और इसके साथ-साथ उनके भतीजे दिनाकरन को भी AIADMK के उप महासचिव पद से हटना पड़ेगा.
इसके साथ ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और AIADMK के बागी ओ पन्नीरसेल्वम और उनके समर्थकों की पार्टी में वापसी का दरवाजा खुला गया है, क्योंकि पन्नीरसेल्वम शुरू से कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री के पद की उन्हें चाह नहीं, बस वो शशिकला परिवार को सत्ता और पार्टी से दूर रखना चाहते हैं.
इससे पूर्व सोमवार सुबह दिल्ली पुलिस ने शशिकला के भतीजे और पार्टी के उप महासचिव दिनाकरन को पार्टी सिंबल के लिए एक शख्स को रिश्वत देने का आरोपी बनाया और एक शख्स को गिरफ्तार भी किया था. इसके बाद तमिलनाडु में सियासत तेज़ हो गई. दिनाकरन के खिलाफ मुकदमा और शशिकला का जेल में होना, दोनों ही पार्टी और सरकार के लिए एक बोझ से बन गए थे, क्योंकि चाहे वो मुख्यमंत्री हों या फिर दूसरे मंत्री और बड़े अधिकारी... उन्हें बड़े फैसले से पहले न सिर्फ दिनाकरन और शशिकला के पति एम नटराजन से सलाह लेनी पड़ती थी, बल्कि कहते हैं कि बेंगलुरु भी आना पड़ता था.. इससे भी मंत्रियों में खासा रोष था.
सबसे बड़ा डर उन्हें यह सता रहा था कि अगर क़ानूनी दांव-पेंच में फंसकर AIADMK का दो पत्ते वाला चुनाव चिन्ह पार्टी के हाथ से निकल गया तो अम्मा यानी जयललिता को अपना सबकुछ मानने वाली जनता उन्हें कभी माफ नही करेगी. सत्ता में आना तो दूर उनके लिए चुनाव जीतना भी मुश्किल होगा. ऐसे में पार्टी और सरकार के हितों को साधने के लिए शशिकला और उनके परिवार की बलि उन नेताओं ने ही चढ़ाने का फैसला किया है, जिन्हें जयललिता के निधन के बाद शशिकला ने सत्ता की बागडोर थमाई थी.
समिति का फैसला आते ही शशिकला और दिनाकरन को बाहर का रास्ता दिखाने के साथ साथ पन्नीरसेल्वम कैंप की वापसी पर औपचारिक मुहर लगा दी जाएगी.
यानी साफ है कि बेंगलुरु जेल में बंद शशिकला को पार्टी के महासचिव पद से हटाया जाएगा और इसके साथ-साथ उनके भतीजे दिनाकरन को भी AIADMK के उप महासचिव पद से हटना पड़ेगा.
इसके साथ ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और AIADMK के बागी ओ पन्नीरसेल्वम और उनके समर्थकों की पार्टी में वापसी का दरवाजा खुला गया है, क्योंकि पन्नीरसेल्वम शुरू से कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री के पद की उन्हें चाह नहीं, बस वो शशिकला परिवार को सत्ता और पार्टी से दूर रखना चाहते हैं.
इससे पूर्व सोमवार सुबह दिल्ली पुलिस ने शशिकला के भतीजे और पार्टी के उप महासचिव दिनाकरन को पार्टी सिंबल के लिए एक शख्स को रिश्वत देने का आरोपी बनाया और एक शख्स को गिरफ्तार भी किया था. इसके बाद तमिलनाडु में सियासत तेज़ हो गई. दिनाकरन के खिलाफ मुकदमा और शशिकला का जेल में होना, दोनों ही पार्टी और सरकार के लिए एक बोझ से बन गए थे, क्योंकि चाहे वो मुख्यमंत्री हों या फिर दूसरे मंत्री और बड़े अधिकारी... उन्हें बड़े फैसले से पहले न सिर्फ दिनाकरन और शशिकला के पति एम नटराजन से सलाह लेनी पड़ती थी, बल्कि कहते हैं कि बेंगलुरु भी आना पड़ता था.. इससे भी मंत्रियों में खासा रोष था.
सबसे बड़ा डर उन्हें यह सता रहा था कि अगर क़ानूनी दांव-पेंच में फंसकर AIADMK का दो पत्ते वाला चुनाव चिन्ह पार्टी के हाथ से निकल गया तो अम्मा यानी जयललिता को अपना सबकुछ मानने वाली जनता उन्हें कभी माफ नही करेगी. सत्ता में आना तो दूर उनके लिए चुनाव जीतना भी मुश्किल होगा. ऐसे में पार्टी और सरकार के हितों को साधने के लिए शशिकला और उनके परिवार की बलि उन नेताओं ने ही चढ़ाने का फैसला किया है, जिन्हें जयललिता के निधन के बाद शशिकला ने सत्ता की बागडोर थमाई थी.
समिति का फैसला आते ही शशिकला और दिनाकरन को बाहर का रास्ता दिखाने के साथ साथ पन्नीरसेल्वम कैंप की वापसी पर औपचारिक मुहर लगा दी जाएगी.
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