भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड अंतर्गत जवइनिया गांव में रातों रात गंगा के बढ़ते जलस्तर ने लोगों के घरों को तबाह कर दिया. ऐसे में नदी किनारे रह रहे घर के सभी लोगों ने पलायन करना ही मुनासिब समझा. गंगा का विकराल रूप अब तक करीब चार से पांच घरों को बहा ले गया है. अब भी करीब दस से ज्यादा ऐसे घर हैं जो खतरे के निशान पर हैं. ऐसे में जिला प्रशासन की टीम भी मौके पर लोगों की समस्याओं की जानकारी ले रही हैं.
गांव के लोगों के पलायन का मंजर काफी दुख भरा है. घर के साथ साथ लोग अपने सपनों को भी छोड़कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचकर शरण ले रहे हैं. गंगा किनारे रहने वाले दो सौ से ढाई सौ लोग अपना आशियाना छोड़ अपने रिश्तेदारों के यहां तो गांव के एक सरकारी विद्यालय में अपना गुजारा कर रहे हैं.
औरतें हों या बच्चे सभी अपनी दुखों की पोटरी लेकर पलायन कर अपनी जान बचा रहे हैं. कोई दुधमुंहे बच्चों को अपनी गोद में लेकर तो कोई कंधे पर बैठाकर घर छोड़कर जाने पर मजबूर हैं. ट्रैक्टरों की मदद से घरों के सामान बाहर निकाले जा रहे हैं. घरों से जितना हो सके उतना सामान लोग अपने साथ ले गए हैं. दरवाजे खिड़की बर्तन लोग सर पर उठा कर बाहर निकल रहे हैं. मुसीबत इस कदर है कि इन घरों में सोमवार के बाद खाना नहीं बन पाया है. छोटे छोटे बच्चे बुजुर्ग औरतें जो अपने मकान छोड़कर बाहर जा रहे हैं, उन्होंने कल से अभी तक कुछ खाया नहीं है क्योंकि सारा घर उजड़ चुका है. खाना बनाने के लिए कोई जगह नहीं बची है.
गंगा के पानी ने इस रास्ते को भी डूबा दिया है. गांव में जाने वाला एक मात्र रास्ता भी पानी से भर गया है. यहां सड़कों पर पैर के घुटना तक पानी भरा हुआ है. इसी रास्ते से सभी लोग सर पर सामान उठाकर स्कूल की ओर आ रहे हैं. कोई गैस सिलेंडर तो कोई बच्चे को गोद में लेकर आ रहा है. एक हाथ में झोला तो एक हाथ से परिवार को पकड़ कर लोग पानी से बाहर निकल रहे हैं.
गंगा के बढ़ते जलस्तर की वजह से 24 घंटो में परेशान हुआ 300 परिवार
बीते 24 घंटे में गंगा ने अपना विकराल रूप ले लिया है. लगातार तेज धार से बह रही गंगा अपने रास्ते में आने वाले सभी चीजों को उखाड़ अपने साथ बहा ले जा रही है. गांव में बिजली के खंभे भी गंगा में समा चुका है. गंगा के कटाव से प्रभावित हुए सतेंद्र पांडेय ने बताया कि इस गांव में करीब दस हजार लोग रहते हैं और गंगा किनारे करीब तीन सौ लोग रहता है. तकरीबन 60 घर है. सतेंद्र पांडेय ने बताया कि दो तीन दिनों से गंगा के पानी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा था लेकिन रविवार को करीब तीन बजे शाम से गंगा ने अपना विकराल रूप ले लिया और देखते ही देखते गंगा ने अपने अंदर कई घरों को समा लिया. चार से पांच घर तो है इसमें बह गए हैं.
वहीं कटाव में ग्रामीण राम जी पाठक का भी घर का हिस्सा बह गया है. उन्होंने बताया कि उनके बगल में रह रहे चाचा स्वर्गीय राजेंद्र पाठक की बेटी की शादी 6 फरवरी को होने वाली थी. शादी का सारा इंतजाम कर दिया गया था. सभी तरीके से धूमधाम से शादी करने का सपना था लेकिन वो एक सपना टूट गया है. अब ऐसा हुआ है या तो शादी की तारीख बढ़ानी पड़ेगी या फिर कहीं और औचारिक व्यवस्था देखनी होंगी क्योंकि अब घर बह गया है. वहीं अभी तक जिला प्रशासन की टीम ने भी राम जी पाठक का हाल चाल नहीं जाना है. हम सभी अपने ही खर्चे पर ही सब सामान ले जा रहे है। मदद करने अभी तक कोई नहीं आया है.
बीवी और दुधमुंहे बच्चे को स्कूल में दूर छोड़कर सामान ले जा रहे ग्रामीण
वहीं गांव के रहने वाले और गंगा के कटाव से प्रभावित होकर अपना घर छोड़कर बाहर गुजारा कर रहे अक्षय कुमार यादव ने बताया कि मैं थक गया हूं. सब लोगों से इसकी शिकायत की है। लेकिन अब तक कोई व्यवस्था नहीं मिली है. बीते दिनों से अपनी बीवी और दुधमुंहे बच्चे को स्कूल में छोड़कर घर से सामान बाहर सुरक्षित जगह पर ले जा रहे हैं.
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