हेलीकॉप्टर से बाढ़ का जायजा लेते नीतीश कुमार
पटना:
बिहार एक बार फिर बाढ़ की मार झेल रहा है. इस बार गंगा और सोन नदी के जलस्तर में हुई वृद्धि के कारण 10 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मौके पर केंद्र से केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय और आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के एक दल को भेजकर तत्काल बिहार की बाढ़ और नदियों में बालू की समस्या का अध्ययन कर उसके स्थायी समाधान करने की मांग की.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को पटना में प्रभावित इलाकों के जिला अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग करने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वह बार-बार पश्चिम बंगाल में गंगा नदी पर फरक्का में बने बांध के बाद नदियों के पेट में बालू के जमे ढेर की तरफ सबका ध्यान दिलाते हैं, लेकिन उनकी बात को अनसुना किया गया है.
उन्होंने कहा, "मैं चौथी बार कह रहा हूं कि ये उपयुक्त अवसर है कि विशेषज्ञ आकर अभी देख लें क्योंकि बार-बार मेरी बात को नजरअंदाज किया जाता है.'' इसके साथ ही नीतीश ने जोड़ा कि फ़िलहाल राहत काम में कोई दिक्कत नहीं आएगी लेकिन यह भी कहा कि विशेषज्ञों को खुले दिल से आकर इसका समाधान तलाशना होगा.
नीतीश कुमार ने पिछले दिनों गंगा बेसिन अथॉरिटी की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया था लेकिन उसके बाद केंद्र द्वारा एक समिति के गठन का आश्वासन दिया गया था. लेकिन नीतीश के तेवर से साफ है कि वो इस बार आई बाढ़ को बालू की समस्या से जोड़कर केंद्र पर तत्काल स्थायी समाधान के लिए दबाब बना रहे हैं. दरअसल फ़िलहाल नदियों में जितना पानी है, उसके लिहाज से बिहार सरकार का मानना है कि बालू की मात्रा अधिक होने के कारण पानी का फैलाव इतना ज्यादा हो गया है.
पटना को नहीं खतरा
बिहार सरकार का मानना है कि फ़िलहाल राजधानी पटना को बाढ़ के पानी से कोई खतरा नहीं है और जिन इलाकों में पानी फैला है वो अधिकांश दियारा का इलाका है, जहां से लोगों को निकालने का काम जारी है. गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि वर्षों के बाद देखी जा रही है.
इस बार छत्तीसगढ़ के वाणसागर बांध से सोन नदी में करीब 11 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई है. सोन नदी पटना से पहले गंगा नदी में मिलती है. हालांकि फरक्का बांध के सभी 104 गेट खोले जाने के बाद नदी के जलस्तर में अब कमी आ रही हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को पटना में प्रभावित इलाकों के जिला अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग करने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वह बार-बार पश्चिम बंगाल में गंगा नदी पर फरक्का में बने बांध के बाद नदियों के पेट में बालू के जमे ढेर की तरफ सबका ध्यान दिलाते हैं, लेकिन उनकी बात को अनसुना किया गया है.
उन्होंने कहा, "मैं चौथी बार कह रहा हूं कि ये उपयुक्त अवसर है कि विशेषज्ञ आकर अभी देख लें क्योंकि बार-बार मेरी बात को नजरअंदाज किया जाता है.'' इसके साथ ही नीतीश ने जोड़ा कि फ़िलहाल राहत काम में कोई दिक्कत नहीं आएगी लेकिन यह भी कहा कि विशेषज्ञों को खुले दिल से आकर इसका समाधान तलाशना होगा.
नीतीश कुमार ने पिछले दिनों गंगा बेसिन अथॉरिटी की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया था लेकिन उसके बाद केंद्र द्वारा एक समिति के गठन का आश्वासन दिया गया था. लेकिन नीतीश के तेवर से साफ है कि वो इस बार आई बाढ़ को बालू की समस्या से जोड़कर केंद्र पर तत्काल स्थायी समाधान के लिए दबाब बना रहे हैं. दरअसल फ़िलहाल नदियों में जितना पानी है, उसके लिहाज से बिहार सरकार का मानना है कि बालू की मात्रा अधिक होने के कारण पानी का फैलाव इतना ज्यादा हो गया है.
पटना को नहीं खतरा
बिहार सरकार का मानना है कि फ़िलहाल राजधानी पटना को बाढ़ के पानी से कोई खतरा नहीं है और जिन इलाकों में पानी फैला है वो अधिकांश दियारा का इलाका है, जहां से लोगों को निकालने का काम जारी है. गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि वर्षों के बाद देखी जा रही है.
इस बार छत्तीसगढ़ के वाणसागर बांध से सोन नदी में करीब 11 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई है. सोन नदी पटना से पहले गंगा नदी में मिलती है. हालांकि फरक्का बांध के सभी 104 गेट खोले जाने के बाद नदी के जलस्तर में अब कमी आ रही हैं.
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