दिल्ली और नोएडा में आपने प्राइवेट बिल्डर्स के समय पर फ्लैट न देने, कीमत में धोखाधड़ी करने जैसे कई मामले सुने होंगे. लेकिन नोएडा के एक बिल्डर ने ऐसा कारनामा किया, जिसे जानकार आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल, इस बिल्डर ने तय एरिया से इतने छोटे फ्लैट बना दिया कि खरीदार अपने आपको ठगा-सा महसूस करने लगे. मामला नोएडा सेक्टर-20 का है, जहां के घर खरीदारों के एक समूह द्वारा नोएडा स्थित बिल्डर पर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाने के बाद दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने प्रतीक समूह के मालिकों और वरिष्ठ प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
पुलिस में एफआईआर सेक्टर 107 में प्रतीक एडिफ़िस के 20 खरीदारों की शिकायत के बाद हुई हैं. इसमें मालिकों प्रशांत और प्रतीक तिवारी, और वरिष्ठ प्रबंधकों सुनील कुमार मित्तल और अंशुमान शर्मा का नाम शामिल है. पुलिस दस्तावेज़ के अनुसार, डेवलपर्स ने 190 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की. शिकायतकर्ता का कहना है कि जो फ्लैट दिए गए, उनका आकार, किए गए वादे से काफी छोटा है. डेवलपर के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) से संपर्क करने के बाद सर्वेक्षण करने के लिए एक आर्किटेक्ट को नियुक्त किया गया था. उन्होंने न केवल हमें छोटे फ्लैट दिए, बल्कि हमसे सहमति लिए बिना स्वीकृत योजना से परे निर्माण भी किया है.
प्रतीक ग्रुप पर फ्लैट मालिकों से एकमुश्त लीज रेंट के रूप में 12.8 करोड़ रुपये वसूलने का भी आरोप लगाया गया है, जबकि नोएडा प्राधिकरण को देय राशि 6.4 करोड़ रुपये थी. खरीदारों के मुताबिक, डेवलपर ने प्राधिकरण को रकम का भुगतान भी नहीं किया. बिल्डर ने फ्लैटों को सौंपने में भी देरी की. अप्रैल 2012 में जो फ्लैट बुक किया था, उसे दिसंबर 2015 में देने का वादा किया गया था, लेकिन कब्जे की तारीख एक साल आगे बढ़ा दी गई. हालांकि, फ्लैट फरवरी 2019 में वितरित किये गए.
यही नहीं शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि डेवलपर ने ग्रिड बिजली, मीटर कनेक्शन, वाईफाई, रसोई गैस सुरक्षा और सीवर कनेक्शन के लिए भी अधिक शुल्क लिया. हालांकि, बिल्डर की ओर से अभी तक इस मामले में कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है.
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