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This Article is From Dec 31, 2018

FlashBack 2018: साल 2018 की वो 5 चर्चित किताबें, जो आपको जरूर पढ़नी चाहिए

5 Most Popular Books of 2018: साल 2018 किताबों के लिए महत्वपूर्ण रहा. इस साल कहानी, उपन्यास, कविता, कथेतर और तमाम विधाओं में किताबें प्रकाशित हुईं और इन किताबों की खूब चर्चा भी हुई.

FlashBack 2018: साल 2018 की वो 5 चर्चित किताबें, जो आपको जरूर पढ़नी चाहिए
2018 में हर विधा में तमाम किताबें प्रकाशित हुईं.
नई दिल्ली:

साल 2018 किताबों के लिहाज से महत्वपूर्ण रहा. इस साल कहानी, उपन्यास, कविता, कथेतर और तमाम विधाओं में किताबें प्रकाशित हुईं और इन किताबों की खूब चर्चा भी हुई. इस साल राजनेता से इतर एक लेखक के तौर पर पहचाने जाने वाले शशि थरूर की किताब 'व्हाई आई एम ए हिंदू' (Why i am a Hindu) आई. तो रामचंद्र गुहा की नई किताब  'गांधी: द ईयर दैट चेंज्ड द वर्ल्ड' (Gandhi the Years that Changed the World) ने भी खूब सुर्खियां बटोरी. हम आपके लिए 2018 की ऐसी ही 5 चर्चित किताबों (5 Most Popular Books of 2018) को लेकर आए हैं, जिन्हें आपको जरूर पढ़ना चाहिए. 

शशि थरूर की  'व्हाई आई एम ए हिंदू'

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लेखक शशि थरूर की किताब 'व्हाई आई एम ए हिंदू' (Why i am a Hindu) 2018 की चर्चित किताबों में से एक है. थरूर ने इस किताब में हिंदुत्व और हिंदूवाद की भारतीयता के संदर्भ में व्याख्या की है. उन्होंने एक तरफ हिन्दू धर्म के तमाम पहलुओं, जैसे प्रमुख पंथ-मत, गुरु और उनकी शिक्षा और तमाम विरोधाभास जैसे बिंदुओं को तो छुआ ही है. साथ ही हिंदुत्व के नाम पर होने वाली सियासत पर प्रकाश डाला है. अंग्रेजी में ऐलेफ बुक कंपनी से प्रकाशित इस किताब का हिंदी अनुवाद 'मैं हिन्दू क्यों हूँ' के नाम से हाल ही में वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. 

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'द आरएसएस : ए विव्यू टू द इनसाइड' (The RSS: A View to the Inside)

2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो इसका श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को गया. कहा गया कि आरएसएस की संगठनात्मक शक्ति की बदौलत ही बीजेपी यह करिश्मा कर पाई. 2014 के बाद एक तरफ आरएसएस की शाखाओं में जाने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ, तो दूसरी तरफ लोगों में RSS को और करीब से जानने-समझने की इच्छा भी जगी. इस इच्छा को पूरा किया जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वाल्टर के. एंडरसन और अमेरिकी मूल के लेखक श्रीधर डी दामले की किताब 'द आरएसएस : ए विव्यू टू द इनसाइड' (The RSS: A View to the Inside) ने. साल की सर्वाधिक चर्चित किताबों में से शुमार 'द आरएसएस : ए विव्यू टू द इनसाइड' में संघ की शुरुआत से लेकर उसके दृष्टिकोण और काम करने के तौर-तरीकों जैसे पहलुओं पर विस्तार से नजर डाली गई है.  

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रामचंद्र गुहा की नई किताब 

रामचंद्र गुहा की पहचान एक इतिहासकार के तौर पर तो है ही. साथ ही उनका जिक्र छिड़ते ही महात्मा गांधी पर लिखी उनकी किताबों की भी याद आती है.  इस साल रामचंद्र गुहा की नई किताब 'गांधी: द ईयर दैट चेंज्ड द वर्ल्ड (1914-1948)' (Gandhi the Years that Changed the World) आई.  एक हजार से अधिक पन्नों की यह किताब गुहा की 'गांधी बिफोर इंडिया' की अगली कड़ी है. इस किताब में महात्मा गांधी के मुंबई (तत्कालीन बांबे) पहुंचने से लेकर अगले तीन दशकों तक के उनके संघर्ष का विस्तार से लेखा-जोखा है.

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कश्मीर पर एक प्रमाणिक दस्तावेज (Kashmirnama)

कश्मीर का जिक्र आते ही हमारे दिमाग में तमाम तरह के नक्शे उभरते हैं. ऐसा नक्शा जहां, बंटवारे के बाद से ही दो मुल्क आमने-सामने हैं. स्थानीय लोग 'कश्मीरियत' बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, तो कश्मीरी पंडितों का दर्द भी है और अलगाववादियों की करतूत भी. अगर आप कश्मीर की कहानी और उसके दुख-दर्द को बारीकी से जानना-समझना चाहते हैं तो लेखक और कवि अशोक कुमार पांडेय की किताब 'कश्मीरनामा' (Kashmirnama) से बेहतर ही शायद कुछ मिले. 'कश्मीरनामा' उन किताबों में शुमार है, जिसकी 2018 में खूब चर्चा हुई.

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'जल, थल मल' यानी स्वच्छता का आईना

वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन कुछ चीजों पर जोर दिया, स्वच्छता उनमें से एक है. स्वच्छता के आइने में देखें तो सोपान जोशी की किताब 'जल, थल मल' (Jal Thal Mal) 2018 में प्रकाशित महत्वपूर्ण किताबों में से एक है. वैसे तो यह किताब पहले गांधी शांति प्रतिष्ठान से छप चुकी है, लेकिन राजकमल प्रकाशन ने इस किताब को वृहद पाठकों तक पहुंचाने के लिए नए सिरे से प्रकाशित किया है. यह किताब स्वच्छता के तमाम आयामों पर प्रकाश डालती है. सोपान जोशी ने इस किताब में उन तमाम बिंदुओं को पकड़ा है, जो स्वच्छता के सपने के साकार होने में बाधा बन रही हैं. यह किताब सरकारों के लिए एक ऐसे दस्तावेज की तरह है जिसको अगर ढंग से अमल में लाया जाए तो सही मायने में साफ-सफाई और स्वच्छता के मोर्चे पर काफी कुछ बदला जा सकता है.

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