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बेंगलुरु:
बाहरी बेंगलुरु के वेरतूर झील को शहर से जोड़ने वाले बड़े नाले 'यमलूर नहर' में शुक्रवार रात आग की लपटें दिखाई दीं। पानी में आग की खबर तेज़ी से पूरे इलाके में फैल गई। यमलूर में रहने वाले निरंजन सिंह ने एनडीटीवी को बताया कि उन्होंने खुद पानी में आग लगते हुए देखी।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास रेड्डी ने जानकारी दी कि आग शुक्रवार रात तक़रीबन 9.45 बजे पहली बार देखी गई और बाद में शनिवार देर शाम भी कुछ देर तक आग देखी गई। राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एएम ने जांच शुरू कर दी है कि ये किसी रासायनिक प्रक्रिया की वजह से हुआ या फिर किसी ने शरारत की।
दरअसल यमलूर झील एक नाले में तब्दील हो चुकी है, जिसके जरिए शहर का गंदा पानी वेरतूर झील तक पहुंचाया जाता है। इस नाले के आसपास पिछले एक महीने से झाग जमा हो रहा है, जो कई बार इतनी ऊंचाई तक पहुंच जाता है कि झाग का टीला नज़र आता है। इसकी वजह ज़हरीले रसायनों की गंदे पानी में मौजूदगी बताई जा रही है।
इसमें आग लगने की एक संभावित वैज्ञानिक वजह जो फिलहाल समझ में आ रही है वो है इसमें मौजूद मिथेन और वेजिटेबल ऑयल एक ही जगह बड़ी मात्रा में जमा होना है, जिसे रासायनिक प्रक्रिया ने बायो गैस में बदल दिया और इस गैस ने आग पकड़
विशेषज्ञ डॉ. रमा मूर्ति ने बताया कि अगर किसी ने शरारत न की हो तो आग लगने की यही एक वैज्ञानिक वजह हो सकती है। उनका कहना है कि ये पर्यावरण के लगातार बिगड़ते स्तर की एक बड़ी चेतावनी है।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास रेड्डी ने जानकारी दी कि आग शुक्रवार रात तक़रीबन 9.45 बजे पहली बार देखी गई और बाद में शनिवार देर शाम भी कुछ देर तक आग देखी गई। राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एएम ने जांच शुरू कर दी है कि ये किसी रासायनिक प्रक्रिया की वजह से हुआ या फिर किसी ने शरारत की।
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इसमें आग लगने की एक संभावित वैज्ञानिक वजह जो फिलहाल समझ में आ रही है वो है इसमें मौजूद मिथेन और वेजिटेबल ऑयल एक ही जगह बड़ी मात्रा में जमा होना है, जिसे रासायनिक प्रक्रिया ने बायो गैस में बदल दिया और इस गैस ने आग पकड़
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