दिल्ली उच्च न्यायालय ने वसंत कुंज में एक निर्माण परियोजना के लिए हरित क्षेत्र को हटाए जाने पर रोक लगाते हुए कहा है कि सांस के लिए हांफ रहे शहर में पेड़ों की कटाई आखिरी उपाय होना चाहिए. न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने पाया कि भूमि वास्तव में सुंदर पेड़ों के साथ-साथ वन्यजीवों और पक्षियों के बसेरे वाला एक जैव-विविधता उद्यान बन गई है. न्यायाधीश ने कहा कि यदि परियोजना के लिए कोई अन्य वैकल्पिक स्थल उपलब्ध है, तो इस पर विचार किया जाना चाहिए.
अदालत ने 14 जून को पारित अपने आदेश में कहा, "सुनवाई की अगली तारीख तक, प्रतिवादियों को वसंत कुंज के सेक्टर-ए पॉकेट बी एंड सी में मौजूद भूखंड पर भूमि की सफाई और पेड़ों की कटाई से रोका जाता है. सांस के लिए हांफ रहे शहर में पेड़ों की कटाई आखिरी उपाय होना चाहिए."
याचिकाकर्ता रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसायटी ने अपनी याचिका में अदालत से निजी बिल्डर और दिल्ली विकास प्राधिकरण को निर्माण के लिए आगे नहीं बढ़े का निर्देश देने का अनुरोध किया है क्योंकि इसके लिए कई पेड़ काटने पड़ेंगे. याचिकाकर्ता ने परियोजना को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है.
अदालत ने याचिका पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई तीन जुलाई तय की.
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