केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने महिलाओं पर विवादास्पद बयान देने के कुछ ही घंटे बाद माफी मांग ली। फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि मर्दों को महिलाओं से बात तक करने में डर लगता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि कहीं जेल न जाना पड़ जाए।
फारूक अब्दुल्ला के बेटे और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने पिता के बयान पर कहा कि उन्हें (फारूक को) माफी मांगनी चाहिए।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा था, आजकल मुझे महिलाओं से बात करने में भी डर लगता है। वास्तव में मैं किसी महिला को सचिव भी नहीं रखना चाहता, क्या पता कोई शिकायत दर्ज हो जाए और मुझे जेल जाना पड़ जाए। आजकल ऐसा माहौल बन गया है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि आजकल रेप की वारदात बढ़ गई है... लेकिन कहीं तो कोई रुकावट होनी चाहिए।
उन्होंने फौरन यह भी कहा कि वह महिलाओं को दोष नहीं दे रहे हैं, बल्कि समाज को दोष दे रहे हैं। फारूक का यह बयान तहलका के संस्थापक तरुण तेजपाल और जस्टिस एके गांगुली के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के संदर्भ में आया था।
अब्दुल्ला के बयान से विवाद उठ खड़ा हुआ, और सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी दल के नेताओं ने अब्दुल्ला की बातों को अनुचित बताया। भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने कहा, बहुत ही अनुचित बयान है, खासकर संसद की सीढ़ियों पर ऐसा बयान देना, तो बेहद अनुचित है। उनका यह बयान यह संकेत देता है कि महिलाओं को सिर्फ इसलिए काम पर रखा जाता है कि उन्हें अपमानित किया जा सके या नीचा दिखाया जा सके।
बाद में विवाद को शांत करने की कोशिश में फारूक ने कहा, लोगों को बातें समझनी चाहिए और वे कई चीजों को कई तरह से गलत ढंग से पेश कर रहे हैं। फारूक ने कहा कि उन्हें महसूस होता है कि अब समय आ गया है, जब न्याय होना चाहिए और संसद में जल्द से जल्द 33 प्रतिशत आरक्षण (महिलाओं के लिए) होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि वह कुछ गलत कह गए हैं, तो उन्हें उसका अफसोस है। मेरा ऐसा आशय कतई नहीं था, जैसा जनता ने महसूस किया है।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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