फारूक अब्दुल्ला (फाइल फोटो)
श्रीनगर:
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि भारत और पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे के हल के लिए सभी संभावित विकल्पों पर विचार करना चाहिए. उनकी टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की दूत निकी हेली के उस बयान के बचाव में आई जिसमें निकी ने कहा था कि अमेरिका भारत तथा पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने के प्रयासों में अपनी ‘जगह बनाने की कोशिश’ करेगा.
ट्रंप मंत्रिमंडल की वरिष्ठ भारतीय-अमेरिकी सदस्य निक्की ने उम्मीद जताई थी कि अमेरिकी प्रशासन बातचीत करेगा और ‘‘तनाव को कम करने के प्रयासों का हिस्सा बनेगा.’’
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत एवं पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश से जुड़े अमेरिकी बयान को लेकर मेरी टिप्पणी पर काफी शोर शराबा हो रहा है. पिछले 70 सालों में भारत एवं पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का समाधान करने में नाकाम रहे हैं और जम्मू-कश्मीर के लोगों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
बता दें, हाल ही में फारूक अब्दुल्ला ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों और कश्मीर में पत्थर मारने वाले युवाओं पर बड़ा बयान दिया था, जिससे एक बार फिर राजनीति गरमा गई थी. फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि कश्मीर में जो बच्चे पत्थर मारते हैं, उनका राज्य के टूरिज्म से कोई लेना-देना नहीं है वह अपने देश के लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर कहा था कि कश्मीर मसले पर अमेरिका मध्यस्थता करे तो कोई परेशानी नहीं. फारुक श्रीनगर सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने यह भी कहा था कि वे (पत्थरबाज) भूखे रहेंगे, लेकिन देश के लिए पथराव करेंगे और यही हमें समझने की जरूरत है. फारुख ने भारत-पाक के रिश्तों पर कहा था कि अगर भारत और पाकिस्तान मिलकर इस मुद्दे को नहीं सुलझा पा रहे हैं, तो अमेरिका को बीच में आकर समझौता करने चाहिए. यह किसी पार्टी में लड़ाई नहीं है बल्कि सांप्रदायिकता के खिलाफ एक जंग है.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
ट्रंप मंत्रिमंडल की वरिष्ठ भारतीय-अमेरिकी सदस्य निक्की ने उम्मीद जताई थी कि अमेरिकी प्रशासन बातचीत करेगा और ‘‘तनाव को कम करने के प्रयासों का हिस्सा बनेगा.’’
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत एवं पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश से जुड़े अमेरिकी बयान को लेकर मेरी टिप्पणी पर काफी शोर शराबा हो रहा है. पिछले 70 सालों में भारत एवं पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का समाधान करने में नाकाम रहे हैं और जम्मू-कश्मीर के लोगों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
बता दें, हाल ही में फारूक अब्दुल्ला ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों और कश्मीर में पत्थर मारने वाले युवाओं पर बड़ा बयान दिया था, जिससे एक बार फिर राजनीति गरमा गई थी. फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि कश्मीर में जो बच्चे पत्थर मारते हैं, उनका राज्य के टूरिज्म से कोई लेना-देना नहीं है वह अपने देश के लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर कहा था कि कश्मीर मसले पर अमेरिका मध्यस्थता करे तो कोई परेशानी नहीं. फारुक श्रीनगर सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने यह भी कहा था कि वे (पत्थरबाज) भूखे रहेंगे, लेकिन देश के लिए पथराव करेंगे और यही हमें समझने की जरूरत है. फारुख ने भारत-पाक के रिश्तों पर कहा था कि अगर भारत और पाकिस्तान मिलकर इस मुद्दे को नहीं सुलझा पा रहे हैं, तो अमेरिका को बीच में आकर समझौता करने चाहिए. यह किसी पार्टी में लड़ाई नहीं है बल्कि सांप्रदायिकता के खिलाफ एक जंग है.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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