उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में बारिश कम होने से देश भर में खरीफ की बुवाई में 13 फीसदी की कमी देखी जा रही है. सबसे ज्यादा प्रभावित उत्तर प्रदेश है, जहां 35 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है. इसके चलते धान की फसल सूख रही है और किसान परेशान हैं.
उप्र में देवरिया के परसिया मल्ल गांव में धान के खेतों से रेत उड़ रही है. ऊपर तीखी धूप नीचे सूखती धान की फसल के बीच राम कलफ प्रजापति बदहवास बैठे हैं. बारिश न होने के चलते हजारों की लागत और दिन रात की गई मेहनत मिट्टी में मिल गई. ढाई बीघे की धान की फसल बरबाद होने के बाद अब उनके सामने मजदूरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
किसान राम कलफ प्रजापति कहते हैं कि बारिश नहीं हुई है. सब धान की फसल ही सूख गई है. इसमें अब क्या होगा कैसे गुजर बसर होगा कुछ समझ नहीं आ रहा है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सैंतिया गांव के किसान भी परेशान हैं. बारिश न होने के चलते अब मानसून के मौसम में ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है. बंटी जैसे किसान के 20 बीघे धान के खेतों में पानी भरा दिख रहा है, लेकिन इसके लिए इनको अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ रही है. किसान बंटी बताते हैं कि ट्यूबवेल न होता तो मूंजी सूख जाती. अब तक 10 हजार रुपए का पानी दे चुका हूं. इस साल पानी ही नहीं बरसा.
पश्चिमी उप्र में सिंचाई के साधन मौजूद हैं, लेकिन उप्र के सोनभद्र जैसे इलाकों में हालात खराब हैं. इस जिले के 10 में से 5 ब्लॉक में धान की रोपाई महज 30 फीसदी ही हो पाई है. धान के साथ मक्का औल अरहर जैसी फसल भी प्रभावित हो रही है.
सोमवार को जारी किए गए मौसम विभाग के आंकड़े अगर देखें तो पता चलता है कि धान का कटोरा कहे जाने वाले उप्र, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में 50 फीसदी से कम बारिश हुई है. इसके चलते 13 फीसदी खरीफ की कम रोपाई हुई है. जानकार मानते हैं कि बारिश न होने से फसल की लागत बढ़ेगी और उत्पादन कम होगा.
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