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This Article is From Jan 12, 2021

किसानों के दबाव में MLAs? सरकार बचाने की कवायद में जुटे CM खट्टर-दुष्यंत चौटाला!

हरियाणा की राजनीति में आई हलचल के बीच मनोहर लाल खट्टर और दुष्यंत चौटाला आज अमित शाह से मुलाकात करने वाले हैं. इसके पहले दुष्यंत चौटाला दिल्ली के अपने फार्महाउस पर अपने विधायकों के साथ मीटिंग करने वाले हैं.

किसानों के दबाव में MLAs? सरकार बचाने की कवायद में जुटे CM खट्टर-दुष्यंत चौटाला!
किसान आंदोलन के चलते मुसीबत में खट्टर की सरकार. (फाइल फोटो)
चंडीगढ़:

दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ बैठे किसानों ने हरियाणा की राजनीति (Haryana Politics) में हलचल पैदा कर रखी है. किसान आंदोलन ने राज्य की मनोहर लाल खट्टर सरकार को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में मुख्यमंत्री खट्टर और उनके उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पार्टी के वरिष्ठ नेताओं सहित आज गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने वाले हैं. ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि क्या हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी के विधायक दबाव में हैं? 

दुष्यंत चौटाला, अमित शाह से मिलने से पहले दिल्ली में अपने फार्म हाउस में अपनी पार्टी जेजेपी के विधायकों से मुलाकात करने वाले हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि वो अपने विधायकों को विश्वास में रखने के लिए यह बैठक कर रहे हैं.

दरअसल, सोमवार को इनेलो के प्रमुख अभय चौटाला ने एक चिट्ठी लिखकर खट्टर का विरोध किया है और कहा है कि अगर 26 जनवरी तक किसानों की बात नहीं मानी जाती है तो उनकी इस चिट्ठी को ही इस्तीफा माना जाए. उन्होंने कहा था कि वो ऐसी संवेदनहीन विधानसभा में नहीं रहना चाहते. अब उनकी इस धमकी से विधायकों के बीच दबाव बन गया है.

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गठबंधन के साथ पहले ही जो लोग मौजूद हैं, वो किसानों का विरोध झेल रहे हैं. बता दें कि हरियाणा की सत्ता में बीजेपी के पास 40 सीटें, जेजेपी के पास 10 और पांच स्वतंत्र विधायक हैं.

मुसीबत इसलिए भी है क्योंकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस खट्टर सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाएगी. उन्होंने अभय चौटाला का समर्थन भी किया था.

बता दें कि बीजेपी-जेजेपी के विधायक कई गांवों में विरोध झेल रहे हैं. वहीं, इस रविवार को आंदोलनकारी किसानों ने करनाल के कैमला गांव में ‘किसान महापंचायत' के स्थल पर तोड़फोड़ की थी जहां खट्टर तीनों विवादस्पद केंद्रीय कृषि कानूनों का ‘फायदा' बताने वाले थे.

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