किसानों के दिल्ली चलो मार्च का आज दूसरा दिन है. किसान आज फिर दिल्ली कूच की कोशिश करेंगे. कल शंभू बॉर्डर पर जमकर बवाल हुआ था. पुलिस ने किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. यहां किसानों के साथ पुलिस की झड़प में कई लोग ज़ख़्मी भी हुए. इनमें पुलिस के एक डीएसपी भी शामिल हैं.
किसानों को रोकने के लिए दिल्ली से लगे सभी बॉर्डर सील किए गए. सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है. बॉर्डर को कंटीले तार, सीमेंट के बैरिकेड से कवर किया गया है. किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. किसानों का कहना है कि सरकार हमारी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है. ऐसे में किसान आज तमाम बाधाओं के बावजूद दिल्ली कूच करने की पूरी कोशिश करेंगे. मंगलवार शाम को प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा, "आज के लिए सीजफायर, कल फिर करेंगे कोशिश."
प्रदर्शन, झड़प और जाम...फिलहाल दिल्ली की यही कहानी है. दिल्ली से 200 किलोमीटर दूर शंभू बॉर्डर पर किसान जमे हुए हैं. कल के बवाल के बाद किसानों की आज फिर से दिल्ली कूच की तैयारी है. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरियाणा के 8 जिलों में 15 फरवरी तक इंटरनेट बंद रखने का ऐलान किया गया है.
केंद्र से नहीं बनी- किसान
सरकार और किसानों के बीच देर रात तक चली बातचीत बेनतीजा रही. किसानों का प्लान है कि वे पहले दिल्ली के पास बॉर्डर पर जमा होंगे और उसके बाद आगे की रणनीति के बारे में फैसला करेंगे. सरकार का कहना है बातचीत जारी रहेगी वहीं दूसरी तरफ़ किसान भी आगे बातचीत को लेकर तैयार हैं.
दिल्ली पुलिस अलर्ट
दिल्ली पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने की तैयारियों के बीच एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को सुरक्षा कर्मियों को निर्देश दिया कि अगर आंदोलनकारी आक्रामकता दिखाते हैं तो उन्हें ‘‘रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं'' है. विशेष पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) रवींद्र यादव ने मंगलवार शाम सिंघू सीमा का दौरा किया जहां सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी गई है. उन्होंने वहां तैनात पुलिस कर्मियों और अर्द्धसैनिक बल के जवानों से कहा कि अगर किसान दिल्ली में प्रवेश करने में कामयाब होते हैं तो ‘‘हमारा पूरा अभियान विफल हो जाएगा.''
किसानों से बनी नहीं बात- केंद्रीय मंत्री
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Union Minister Arjun Munda) ने किसान आंदोलन पर बात करते हुए आज कहा कि दो बार की किसानों से बातचीत बेनतीजा नहीं रही है. समाधान के लिए और चर्चा जरूरी है. एनडीटीवी से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि बातचीत से समाधान मुमकिन है. रास्ता निकालने को तैयार हैं. किसान ध्यान रखें कि कुछ तत्व इसका लाभ लेने की कोशिश न करें.
सरकार सुन नहीं रही है
सोमवार देर रात को केंद्र सरकार के साथ पांच घंटे से अधिक समय तक चली दूसरे चरण की बैठक के बाद किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा था, “हमें नहीं लगता कि सरकार हमारी किसी भी मांग पर गंभीर है. हमें नहीं लगता कि वे हमारी मांगों को पूरा करना चाहते हैं... हम कल सुबह 10 बजे दिल्ली की ओर मार्च करेंगे.”
किसानों की मांगें
आंदोलनकारी किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों व कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि कर्ज माफ करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, लखीमपुरी खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को बहाल करने और 2021 में हुए आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
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