न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान नेताओं के 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक के किसान नेता शामिल थे. राहुल गांधी से मुलाकात के बाद किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने उनकी मांगों पर गौर नहीं किया. लिहाजा किसान दिल्ली की ओर मार्च जारी रखेंगे.
MSP की कानूनी गारंटी के लिए बनाएंगे दबाव
वहीं, संसद में किसान नेताओं से मुलाकात के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा- "कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में MSP की कानूनी गारंटी देने की बात कही थी. हमने आकलन किया है, ये बिल्कुल किया जा सकता है." कांग्रेस सांसद ने कहा, "इस बारे में हमने किसान नेताओं के साथ बैठक की. हमने तय किया है कि INDIA गठबंधन के नेताओं से चर्चा कर, हम सरकार पर MSP की कानूनी गारंटी के लिए दबाव बनाएंगे."
राहुल गांधी के साथ किसान नेताओं के साथ बैठक में कांग्रेस के सीनियर नेता केसी वेणुगोपाल, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, सांसद अमरिंदर सिंह राजा वारिंग और सुखजिंदर सिंह रंधावा भी मौजूद रहे.
22 जुलाई को किसान संगठनों ने किया था ऐलान
दरअसल, 22 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने कहा था कि वे देशभर में सरकार के खिलाफ लामबंद होंगे. MSP गारंटी को कानूनी बनाने की अपनी कानून की गारंटी, ऋण माफी, फसल बीमा, किसानों और खेतिहर मजदूरों की पेंशन, बिजली के निजीकरण को वापस लेने समेत अन्य मांगों को पूरा करने के लिए नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू किया जाएगा. प्रदर्शनकारी किसानों ने 15 अगस्त को आजादी के दिन देशभर में ट्रैक्टर रैली निकालने की बात कही है.
31 अगस्त को 'दिल्ली चलो' मार्च के 200 दिन होंगे पूरे
किसान संगठनों ने कहा था कि किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च 31 अगस्त को 200 दिन पूरा करेगा. संगठनों ने किसानों से पंजाब-हरियाणा के खनौरी-शंभू बॉर्डर पर पहुंचने की अपील भी की है.
कुछ किसान मुझसे मिलना चाहते थे, इसलिए मैंने उन्हें अंदर ऑफिस में बुलाया था।
— Congress (@INCIndia) July 24, 2024
लेकिन उन्हें अंदर आने नहीं दिया गया, इसका कारण आपको प्रधानमंत्री से पूछना पड़ेगा।
: नेता विपक्ष श्री @RahulGandhi
📍 संसद परिसर, नई दिल्ली pic.twitter.com/jbidAjAFqV
राहुल गांधी का आरोप- किसानों को नहीं दी गई थी एंट्री की परमिशन
इस बैठक से कुछ देर पहले राहुल गांधी ने किसानों को संसद के अंदर नहीं आने देने का आरोप लगाया. नेता प्रतिपक्ष का कहना था, "हमने उन्हें (किसान नेताओं को) यहां मिलने के लिए आमंत्रित किया था. लेकिन वे उन्हें यहां (संसद में) नहीं आने दे रहे हैं."
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किसानों को दिल्ली आकर विरोध करने का अधिकार
किसान नेताओं के साथ बैठक के बाद कांग्रेस सांसद वारिंग ने NDTV से कहा, "राहुल गांधी संसद के अंदर किसानों की आवाज उठाएंगे..." किसानों के दिल्ली मार्च की खबरों पर उन्होंने कहा, "उन्हें दिल्ली आकर विरोध करने का पूरा अधिकार है. अगर एक निजी विधेयक की जरूरत होगी, तो हम वह भी लाएंगे."
दिल्ली की ओर मार्च जारी रखेंगे
किसानों नेताओं में शामिल जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा, "सरकार अब तक आश्वासनों को पूरा करने में नाकाम रही है. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट का कार्यान्वयन जरूरी है. हम दिल्ली की ओर मार्च जारी रखेंगे..."
इससे पहले सूत्रों ने कहा कि किसानों ने राहुल गांधी से अपने-अपने राज्यों के मुद्दों के बारे में बात की. किसानों ने नेता प्रतिपक्ष से लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करने के लिए एक निजी विधेयक पेश करने के लिए भी कहा है. ये मांगें 2020 में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के मूल में रही हैं.
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क्या है किसान संगठनों की प्रमुख मांगें?
किसान संगठनों की मुख्य तौर पर 12 मांगें हैं:-
1. सभी फसलों की MSP पर खरीद की गारंटी का कानून बने.
2. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से तय हो फसलों की कीमतें.
3.किसान-खेतीहर मजदूरों का कर्जा माफ किया जाए.
4. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा से लागू किया जाए.
5. लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए.
6. मुक्त व्यापार समझौतें पर रोक लगाई जाए.
7. किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा मिले. एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.
8. मनरेगा में हर साल 200 दिन के काम की गारंटी हो. 700 रुपये की दिहाड़ी (दैनिक मजदूरी) तय की जाए.
9.विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए.
10. नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां और खाद वाली कंपनियों पर सख्त कानून बने.
11.मिर्च, हल्दी समेत अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए.
12. संविधान की 5वीं सूची को लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट पर लगाम लगाई जाए.
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