हरियाणा में सूरजमुखी के बीज के लिए MSP की मांग को लेकर किसानों का प्रदर्शन जारी है. किसानों ने दिल्ली- चंडीगढ़ नेशनल हाइवे को जाम कर दिया है. किसान आंदोलन के चलते ट्रैफिक रूट डायवर्ट किया गया है. कुरूक्षेत्र में महापंचायत के बाद किसानों ने पिपली में NH44 को जाम किया. प्रदर्शन करने वाले किसानों की दो प्रमुख मांगे हैं. पहली मांग ये है कि जिन किसानों को हिरासत में लिया गया है उन्हें छोड़ा जाए.
किसानों की दूसरी मांग ये कि सूरजमुखी के बीजों को तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही खरीदा जाए. दिल्ली से चंडीगढ़, चंडीगढ़ से करनाल, दिल्ली चंड़ीगढ़ से हिसार, ये सभी रास्ते किसानों के प्रदर्शन की वजह से प्रभावित बताए जा रहे हैं और साथ ही इनका रूट भी बदला गया है. आज सुबह किसान नेता राकेश टिकैत सड़क पर नजर आए और किसान धरने पर बैठे हैं.
क्या होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य
न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी वो मूल्य है जिसे सरकार फसलों के लिए तय करती है. जब किसान फसल को मंडी में बेचता है तो सरकार की तरफ़ से तय की हुई क़ीमत किसानों को मिलती है. दरअसल एमएसपी सरकार द्वारा किसानों को दिया जाने वाला एक आर्थिक भरोसा है. जिससे किसानों को फसल उगाने से पहली उसकी क़ीमत का अंदाज़ा हो जाता है कि उसे इस फसल की कितनी क़ीमत मिलेगी.
बाजार में मांग और सप्लाई को आसान बनाने के लिए किसान के फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय की जाती है, ताकि कुछ भी हो उस किसान को उस फसल के लिए कम से कम इतनी रकम तो मिलेगी ही. लेकिन हरियाणा की मंडी में सूरजमुखी इस समय मंडी में 4,000 से 4,800 रुपये के भाव बिक रही है. सरकार ने भावांतर योजना के तहत किसानों को प्रति क्विंटल 1,000 रुपये देने का ऐलान किया है.
ऐसे में किसानों को प्रति क्विंटल अधिकतम 5,800 रुपये मिल सकते हैं. लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार ने सूरजमुखी की एमएसपी 6,400 रुपये तय की है तो सरकार एमएसपी पर सूरजमुखी को ख़रीदे.
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