लगातार मौसम की मार झेल रहे महाराष्ट्र के किसान बुरे हाल में हैं। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो विदर्भ और मराठवाड़ा के इलाके में रोजाना औसतन एक किसान खुदकुशी कर रहा है। पिछले तीन-चार सालों से कभी अतिवृष्टि तो कभी सूखा पड़ने से फसलें चौपट होती रही हैं। ऐसे में निराशा का माहौल कुछ ज़्यादा है। इतना कि अब दिल दहलाने वाली खबर आई है कि एक बुजुर्ग किसान ने अपने ही खेत में खुद की चिता जलाकर जिंदगी समाप्त कर दी।
यह दर्दनाक घटना पश्चिमी विदर्भ के अकोला जिले के एक गांव की है, जहां 76 साल के हताश निराश किसान काशीराम को यह कदम उठाना पड़ा। जिस बुजुर्ग से सब सलाह लेते थे, उसी के इस कदम से पूरा गांव सन्न रह गया।
कांशीराम फसल चौपट होने से निराश थे। एक एकड़ खेत में उन्हें कम से कम दस क्विंटल सोयाबीन की उम्मीद थी, लेकिन हाथ आई डेढ़ क्विंटल। फिर तुअर में भी इल्लियां नज़र आईं तो हौसला टूट गया। खास बात यह है कि इस बुजुर्ग पर किसी बैंक का कोई कर्ज नहीं था, लेकिन फसलें बार−बार चौपट होती रहीं। इस बार तो ऐसा सूखा पड़ा कि अगले मॉनसून तक गुजारा मुश्किल लगने लगा। ऐसा सिर्फ कांशीराम के साथ ही नहीं हुआ।
आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा इलाके में हर रोज औसतन एक किसान खुदकुशी कर रहा है। विदर्भ के 11 में से सबसे अधिक पीड़ित छह जिलों में पिछले 50 दिनों में 42 किसान जान दे चुके हैं। यह वही इलाका है, जहां 13 सालों में 10 हजार से ज्यादा किसान आत्महत्याएं कर चुके हैं।
किसानों की खुदकुशी का यह मुद्दा समय−समय पर उठता रहा है, लेकिन राज्य सरकारें ऐसे मामलों को भी सियासी लड़ाई में घसीटती रही हैं। अब नई राज्य सरकार ने ऐसे किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार से मदद मांगी है।
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