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This Article is From Nov 21, 2021

कृषि कानून वापसी : वाहन चालकों को जगी उम्मीद, अब बॉर्डर पर रास्ता नहीं बदलना पड़ेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि केंद्र तीन कृषि कानूनों को वापस लेगा. मोदी की इस घोषणा का यह मतलब है कि सरकार किसानों की मांग को पूरा करेगी.

कृषि कानून वापसी : वाहन चालकों को जगी उम्मीद, अब बॉर्डर पर रास्ता नहीं बदलना पड़ेगा
कृषि कानून वापसी के बाद वाहन चालकों को जगी उम्मीद. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा किये जाने के बाद दिल्ली में यात्रियों, वाहन चालकों और वाणिज्यिक वाहन ऑपरेटरों के बीच यह उम्मीद जगी है कि उन्हें अब अंतरराज्यीय यात्रा के दौरान किसानों के विरोध स्थलों से बचने के लिए मार्ग परिवर्तन नहीं करना पड़ेगा जिसमें उन्हें मुश्किलें होती थीं. ऑल इंडिया लग्जरी बस यूनियन के अध्यक्ष श्याम लाल गोला के अनुसार प्रदर्शन के चलते सिंघू सीमा बिंदु पर नाकेबंदी के कारण हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जाने वाले वाहनों को केएमपी एक्सप्रेसवे के जरिये एक वैकल्पिक मार्ग लेना पड़ता है. उन्होंने बताया कि वाहनों को टिकरी सीमा से बचने के लिए झरोदा और सांपला से गुजरना पड़ता है. उन्होंने कहा कि वाहनों को वैशाली-नोएडा सेक्टर 62 और वहां से परी चौक होते हुए गाजीपुर जाना होता है.

तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर नवंबर 2020 से सैकड़ों किसान दिल्ली की सीमा के महत्वपूर्ण हिस्सों सिंघू, टिकरी और गाजीपुर में डेरा डाले हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि केंद्र तीन कृषि कानूनों को वापस लेगा. मोदी की इस घोषणा का यह मतलब है कि सरकार किसानों की मांग को पूरा करेगी.

गोला ने कहा, ‘‘यदि सीमा बिंदुओं को खोल दिया जाता है, तो वे मार्ग परिवर्तन के चलते घंटों के विलंब से बच सकेंगे जिस दौरान उन्हें गांवों और कस्बों में उबड़-खाबड़ एवं संकरी सड़कों से होकर गुजरना पड़ता है. साथ ही, ईंधन की भी काफी बचत होगी.'' व्यवसायी अमित गोयल ने कहा, ‘‘सीमा बिंदुओं को खोलने से गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा में हजारों यात्रियों को मदद मिलेगी.''

दक्षिण दिल्ली में किराना दुकान के मालिक भगत राम ने कहा कि पड़ोसी राज्यों से आपूर्ति प्राप्त करने के लिए वाहनों को सिंघू सीमा पर गांवों से गुजरना पड़ता है और रास्ते में यातायात जाम का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि सड़कों की खराब स्थिति से उनकी यात्रा में और विलंब होता है. आईटी पेशेवर प्रणव मिश्रा ने कहा, ‘‘दिल्ली जीटी करनाल रोड जहां आंदोलन चल रहा है, यात्रा के लिए सबसे अच्छा मार्ग था और कोई भी समय पर गंतव्य तक पहुंच सकता था, खासकर जब कोई चिकित्सा आपात स्थिति हो.''

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि सीमा बंद होने के चलते, हमें वैकल्पिक मार्ग लेना होता है और जोखिम भरे रास्तों से गुजरना होता है जिससे कारों को नुकसान पहुंच सकता है या दुर्घटना हो सकती है. इसलिए, इन सड़कों को तुरंत खोला जाना चाहिए.''
यातायात पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वे किसान समूहों के आह्वान का इंतजार करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘यदि किसान विरोध स्थलों को खाली करते हैं, तो निश्चित रूप से सीमाएं खोल दी जाएंगी.''

अधिकारियों ने कहा कि पिछले महीने, दिल्ली पुलिस द्वारा कृषि नेताओं के साथ बैठक के बाद टिकरी सीमा पर रोहतक-दिल्ली राजमार्ग के एक तरफ की सड़क को वाहनों के आवागमन के लिए खोला गया था. उन्होंने कहा कि साथ ही, दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर में कृषि विरोधी कानूनों के विरोध स्थल से बैरिकेड और कंटीले तार हटाये गए थे.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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