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क्या है असम का हमार ग्रुप, कोर्ट ने 3 उग्रवादियों के शव सेफ रखने को क्यों कहा है?

असम पुलिस का दावा है कि तीनों उग्रवादी थे, जिन्हें उन्होंने पिछले दिन पकड़ा था. पुलिस का दावा है कि ये लोग अन्य उग्रवादियों के खिलाफ एक "विशेष अभियान" में थे, जिसके दौरान गोलीबारी में उनकी मौत हो गई थी.

क्या है असम का हमार ग्रुप, कोर्ट ने 3 उग्रवादियों के शव सेफ रखने को क्यों कहा है?
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

असम पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ में तीनों हमार लोगों की हत्या किए जाने के उनके परिवारों के आरोप की पृष्ठभूमि में, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि तीनों हमार लोगों के शवों को अगली सुनवाई तक मुर्दाघर में सुरक्षित रखा जाए, जब राज्य अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश करेगा. जानकारी के मुताबिक, मणिपुर के फेरजावल जिले के सेनवोन गांव के निवासी जोशुआ, और असम के कछार जिले के के बेथेल गांव के निवासी ललुंगावी हमार और लालबीक्कुंग हमार – की 17 जुलाई को कछार पुलिस की हिरासत में हत्या कर दी गई थी.

"विशेष अभियान" में हुई थी तीनों की मौत

असम पुलिस का दावा है कि तीनों उग्रवादी थे, जिन्हें उन्होंने पिछले दिन पकड़ा था. पुलिस का दावा है कि ये लोग अन्य उग्रवादियों के खिलाफ एक "विशेष अभियान" में थे, जिसके दौरान गोलीबारी में उनकी मौत हो गई थी. तीनों के परिवार हाई कोर्ट में पहुंचे हैं और उन्होंने असम के बाहर के डॉक्टरों से पोस्ट-मार्टम कराए जाने की मांग की है.

कोर्ट में सौंपी गई थी पोस्टमार्टम रिपोर्ट

शुक्रवार को असम के महाधिवक्ता देवजीत सैकिया ने सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में न्यायमूर्ति कल्याण राय सुराना और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की उच्च न्यायालय की खंडपीठ को सौंप दी थी. हालांकि, कोर्ट ने देखा कि मृत्यु के कारण पर अंतिम राय के बारे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं लिखा गया था क्योंकि फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय से रिसिप्ट नहीं आई थी. 

2 अगस्त को अगली सुनवाई तक मोर्चरी में शव रखे जाने का आदेश

इस चूक के कारण, अदालत ने निर्देश दिया कि राज्य 2 अगस्त को अगली सुनवाई से पहले अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट की एक प्रति के साथ अपना विरोध-हलफ़नामा दायर करें. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने अदालत को बताया कि वे चाहते हैं कि पोस्टमार्टम "स्वतंत्र डॉक्टरों द्वारा किया जाए, संभवतः मिजोरम से क्योंकि यह पास में है" और मामले की जांच सीबीआई द्वारा कराई जाए.

शवों को बाहर निकालने पर वकील ने दिया तर्क

महाधिवक्ता सैकिया ने मिजोरम के डॉक्टरों को इसमें शामिल करने के खिलाफ तर्क दिया है. उन्होंने कहा, शवों को बाहर निकाला जाना चाहिए क्योंकि पोस्टमार्टम के दौरान सब कुछ रिकॉर्ड किया गया था. इस वजह से शवों को बाहर निकाला जाए और उचित सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाए. और वो विशेष रूप से मिजोरम के ही डॉक्टरों को क्यों बुला रहे हैं? सभी मणिपुर में हिंसा के बारे में जानते हैं. असम में, बराक घाटी में मणिपुर के लोगों की एक बड़ी संख्या रहती है. 30 प्रतिशत एक समुदाय से जुड़े लोग हैं. अन्य 70 प्रतिशत दूसरे समुदाय से जुड़े लोग हैं. मैं यहां किसी का नाम नहीं ले रहा हूं. पिछले डेढ़ साल से लगातार प्रयास हो रहे हैं… वे उस हिंसा को असम राज्य में फैलाना चाहते हैं, और असम पुलिस इस पर बहुत सख्त आपत्ति जता रही है… अब, कुछ बाहरी ताकतों के कहने पर, वे असम पुलिस को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं."

मणिपुर की कछार सीमा पर 1 महीने से गर्माया हुआ है माहौल

कछार मणिपुर के जिरीबाम जिले की सीमा पर है, जहां पिछले महीने से ही इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, जिसकी वजह से वहां का माहौल गर्माया हुआ है और हमार समुदाय कुकी-ज़ो जातीय समूह का हिस्सा है जो राज्य में मेइती लोगों के साथ संघर्ष में है. संघर्ष के कारण कई लोग कछार में चले गए हैं. मिज़ोरम में भी हमार की एक बड़ी आबादी है. 

याचिकार्ताओं की अन्य राज्य के डॉक्टर से पोस्टमार्टम कराए जाने की मांग

गोंजालवेज़ ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं ने विशेष रूप से मिजोरम के डॉक्टरों द्वारा स्वतंत्र पोस्टमार्टम किए जाने पर जोर नहीं दिया, तथा वो अन्य किसी भी राज्य के डॉक्टरों द्वारा दोबारा से पोस्टमार्टम कराए जाने के लिए तैयार हैं. अदालत ने कहा कि शवों को मुर्दाघर से निकालने के बारे में अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद फैसला किया जाएगा. न्यायमूर्ति सुराना ने कहा, "अगर रिपोर्ट बाद में आती है और हम उससे असंतुष्ट हैं, तो हमें शव नहीं मिलेंगे. इसलिए तीन दिनों तक हमें शवों को सुरक्षित रखना होगा." 

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