नोटबंदी के वक्त मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन बोले- बड़ा झटका था वह फैसला, गिर गई थी GDP

मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर चार साल रहने वाले सुब्रमण्यन अपनी वाली किताब में इस पर चुप्पी साधे हुए हैं कि क्या नोटबंदी के फैसले पर उनसे सलाह ली गई थी.

नोटबंदी के वक्त मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन बोले- बड़ा झटका था वह फैसला, गिर गई थी GDP

भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यन. (फाइल तस्वीर)

खास बातें

  • सीईए ने कहा- बड़ा, सख्त और मौद्रिक झटका था नोटबंदी
  • बोले- गिर गई थी जीडीपी
  • जीडीपी गिरने पर नहीं हुई कोई बहस
नई दिल्ली:

भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यन ने नोटबंदी को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि नोटबंदी का फैसला अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका था. सुब्रमण्यन ने कहा, नोटबंदी एक बड़ा, सख्त और मौद्रिक झटका था, जिससे सात तिमाहियों में अर्थव्यवस्था नीचे खिसकर 6.8 फीसदी पर आ गई थी, जो नोटबंदी से पहले आठ फीसदी थी. आठ नवंबर 2016 को लिए गए नरेंद्र मोदी के फैसले पर उन्होंने कहा कि मेरे पास इस तथ्य के अलावा कोई ठोस दृष्टीकोण नहीं है कि अनौपचारिक सेक्टर में वेल्फेयर कोस्ट उस वक्त पर्याप्त थी. मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर चार साल का कार्यकाल पूरा करने वाले सुब्रमण्यन अपनी वाली किताब में इस पर चुप्पी साधे हुए हैं कि क्या नोटबंदी के फैसले पर उनसे सलाह ली गई थी.

सुब्रमण्यन ने कहा, 'नोटबंदी एक बड़ा, सख्त और मौद्रिक झटका था. इसके बाद बाजार से 86 फीसदी मुद्रा हटा ली गई थी. इस फैसले की वजह से जीडीपी प्रभावित हुई थी. ग्रोथ पहले भी कई बार नीचे गिरी है, लेकिन नोटबंदी के बाद यह एक दम से नीचे आ गई.' अपनी किताब के एक चैप्टर 'द टू पज़ल्स ऑफ डिमोनेटाइजेशन- पॉलिटिकल एंड इकॉनोमिक' में उन्होंने लिखा है, 'नोटबंदी से पहले छह तिमाहियों में ग्रोथ औसतन आठ फीसदी थी, जबकि उसके बाद सात तिमाहियों में यह औसत 6.8 फीसदी रह गई.'

मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन की किताब खोलेगी 'मोदी-जेटली अर्थव्यवस्था' का राज

साथ ही पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि किसी ने नोटबंदी की वजह से ग्रोथ पर पड़े असर पर कोई बहस की है. पूरी बहस है इस पर रही है कि इस फैसले का असर कितना होगा? बेशक यह दो फीसदी हो या उससे कम. उन्होंने कहा, 'आखिरकार, इस अवधि में कई अन्य कारकों से भी वृद्धि प्रभावित हुई, विशेष रूप से उच्च वास्तविक ब्याज दरें, जीएसटी कार्यान्वयन और तेल की कीमतें।'

संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए RBI गवर्नर उर्जित पटेल, बोले- नोटबंदी का प्रभाव क्षणिक था

बता दें, अरविंद सुब्रमण्यन अपनी नई किताब में अपने कार्यकाल में हुए घटनाक्रमों के और भेद खोलेंगे. अरविंद सुब्रमण्यन के कार्यकाल के दौरान ही नोटबंदी हुई जब 500 रुपये और 1,000 रुपये के उच्च मूल्य वाले नोट चलन से बाहर हो गए. इसके बाद वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होते समय भी वह मुख्य आर्थिक सलाहकार थे. पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया  द्वारा प्रकाशित उनकी यह नई किताब जल्द ही लॉन्च होने वाली है. सुब्रमण्यन इस समय हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट में अतिथि प्राध्यापक हैं और पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकॉनोमिक्स में सीनियर फेलो हैं.

क्या मोदी सरकार सदन के पटल पर रखेगी नोटबंदी पर सीएजी की रिपोर्ट? बजट सत्र से पहले आने की उम्मीद

नोटबंदी पर पीएम के बयान के बाद क्यों रो पड़ीं वीणा देवी?  


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com