नई दिल्ली:
पंजाब के पठानकोट में एयरफोर्स बेस पर हुआ आतंकी हमला और अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुआ हमला एक दूसरे से जुड़े हुआ था। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि दोनों हमले जुड़े हुए थे और भारत के पास इसके सुबूत हैं।
सूत्र ने बताया कि पाकिस्तान के अंदर मौजूद एक धड़े ने पठानकोट और मजार-ए-शरीफ दोनों जगहों पर हमले के लिए आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का इस्तेमाल किया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, भारत ने पठानकोट बेस पर हमला करने वाले आतंकियों के हैंडलर के रूप में जैश प्रमुख मसूद अजहर की पहचान की है।
इस अधिकारी ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाक-अफगान नीति को पटरी से उतारने की कोशिश के तहत ये दोनों हमले किए गए थे।' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत द्वारा मुहैया पुख्ता सुबूतों के जरिये पाकिस्तान निश्चित रूप से उन तक पहुंच सकता है।
भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों के बीच इस महीने होने वाली प्रस्तावित वार्ता इस बात पर निर्भर करती है कि पठानकोट हमलों को लेकर भारत द्वारा मुहैया सुबूतों पर इस्लामाबाद किस तरह के कदम उठाता है। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा, 'कम से कम हम इतनी तो उम्मीद करते ही हैं कि आतंकियों के हैंडलर्स गिरफ्तार किए जाएं और इस हमले के दोषी ट्रैक किए जाएं।'
पठानकोट हमलों को लेकर जारी जांच में पता चला है कि कम से दो आतंकी एयरबेस में पहले ही घुस गए, शायद 1 जनवरी सुबह ही। वहीं चार आतंकियों का दूसरा जत्था वहां बाद में 2 जनवरी के तड़के घुसा। इस दूसरे जत्थे का मकसद भ्रम पैदा कर ध्यान भटकाना था, जबकि पहले से मौजूद आतंकी एयर बेस में मौजूद लड़ाकू विमान, तेल और दूसरे असलाह-बारूद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते। इस पहले जत्थे में शामिल दोनों आतंकियों के पास 52 एमएम का मोर्टार था और उन्होंने विस्फोटक लगे बेल्ट पहन रखे थे।
सूत्र ने बताया कि पाकिस्तान के अंदर मौजूद एक धड़े ने पठानकोट और मजार-ए-शरीफ दोनों जगहों पर हमले के लिए आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का इस्तेमाल किया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, भारत ने पठानकोट बेस पर हमला करने वाले आतंकियों के हैंडलर के रूप में जैश प्रमुख मसूद अजहर की पहचान की है।
इस अधिकारी ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाक-अफगान नीति को पटरी से उतारने की कोशिश के तहत ये दोनों हमले किए गए थे।' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत द्वारा मुहैया पुख्ता सुबूतों के जरिये पाकिस्तान निश्चित रूप से उन तक पहुंच सकता है।
भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों के बीच इस महीने होने वाली प्रस्तावित वार्ता इस बात पर निर्भर करती है कि पठानकोट हमलों को लेकर भारत द्वारा मुहैया सुबूतों पर इस्लामाबाद किस तरह के कदम उठाता है। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा, 'कम से कम हम इतनी तो उम्मीद करते ही हैं कि आतंकियों के हैंडलर्स गिरफ्तार किए जाएं और इस हमले के दोषी ट्रैक किए जाएं।'
पठानकोट हमलों को लेकर जारी जांच में पता चला है कि कम से दो आतंकी एयरबेस में पहले ही घुस गए, शायद 1 जनवरी सुबह ही। वहीं चार आतंकियों का दूसरा जत्था वहां बाद में 2 जनवरी के तड़के घुसा। इस दूसरे जत्थे का मकसद भ्रम पैदा कर ध्यान भटकाना था, जबकि पहले से मौजूद आतंकी एयर बेस में मौजूद लड़ाकू विमान, तेल और दूसरे असलाह-बारूद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते। इस पहले जत्थे में शामिल दोनों आतंकियों के पास 52 एमएम का मोर्टार था और उन्होंने विस्फोटक लगे बेल्ट पहन रखे थे।
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