Etawah Katha Vachan Case: इटावा की घटना पर कथावाचक और यादव समाज ने क्या कुछ कहा?
- इटावा में कथावाचक की चोटी काटने से जातिवाद पर बहस शुरू हुई है.
- क्या कथा वाचन का अधिकार सिर्फ ब्राह्मणों का है, यह सवाल उठ रहा है.
- कुछ लोग मानते हैं कि ज्ञान रखने वाले किसी भी जाति के लोग कथा वाचन कर सकते हैं.
- अन्य लोग इसे जाति विशेष का अधिकार मानते हैं, इसे लेकर मतभेद हैं.
Etawah Katha Vachan Case: इटावा में यादव कथावाचक की चोटी काटने, उनके साथ मारपीट करने की घटना ने एक नई बहस को छेड़ दिया है. बहस इस बात पर हो रही है कि क्या कथा वाचन का अधिकार सिर्फ ब्राह्मण को ही है? क्या किसी दूसरी जाति के लोग कथा वाचन नहीं कर सकते? सोशल मीडिया के साथ-साथ सभी जगह इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है. कई लोग यह कहते हैं कि जिनके पास जानकारी है, वो इसका वाचन कर सकते हैं. लेकिन कई लोगों का यह भी मानना है कि सिर्फ ब्राह्मणों को ही कथा वाचन का ही अधिकार है. इस मुद्दें पर रविवार को NDTV ने धर्मगुरु, कथावाचकों के साथ-साथ यादव परिषद के प्रतिनिधि के साथ चर्चा की. इस लाइव चर्चा में इन लोगों ने क्या कुछ कहा? जानिए.

हरिहर मृदुल कथावाचक
कथा वाचन पर क्या किसी जाति विशेष का कॉपीराइट है... के सवाल पर हरिहर मृदुल कहते हैं कि हम सब सनातनी हैं. सनातन ने कभी जातिवाद नहीं फैलाया है. सनातन ने हमेशा गुणीजनों का सम्मान किया है. चाहे वह रैदास हों, मीराबाई हों या फिर कबीरदास. पहले भी सम्मान होता था और आज भी हो रहा है.
पहले भी कई अन्य संत दूसरी जातियों से आते थे, आज भी हैं. सभी का सम्मान है. इटावा की घटना अलग है. वहां स्वार्थ और लाभ के उद्देश्य के कारण सनातन धर्म को चोट पहुंची है. किसी का अपमान करना गलत है, लेकिन इसके पीछे के कारणों को भी जानना चाहिए.

बृजेश गोस्वामी
जाति तो आप लोगों की ही देन है. किसी भी फॉर्म को जब भरवाया जाता है तो जाति पूछी जाती है. विवाद इस कारण हुआ कि आधार कार्ड में नाम यादव था. कथा का पोस्टर छपवाया गया तो वहां अग्निहोत्री दिखाया गया. किसी के घर में गमी हो जाए तो आप सभी को भोजन नहीं कराएंगे. योग्यता अलग-अलग होती है. मेरी भी योग्यता यज्ञ करवाने की नहीं है. ऐसे ही कथा भी गुरु परंपरा से जुड़ी हुई है.

डॉक्टर शिवम साधक
'व्यास पीठ पर सिर्फ ब्राह्मणों का अधिकार है', अगर किसी दूसरी जाति के व्यक्ति ने सारे ग्रंथों का पाठ किया हो तो क्या उसे कथा वाचन का अधिकार नहीं है. इस पर शिवम साधक कहते हैं कि बिल्कुल अधिकार नहीं है. श्रीमद्भागवत के महात्म्य और पद्म पुराण में भी ऐसा वर्णन है कि व्यास पीठ पर अनुष्ठान के स्वरूप में कथा वाचन का अधिकार सिर्फ ब्राह्मण को ही मिलता है. श्रीमद्भागवत में विदुर जी का चरित्र है, तो उन्होंने भी कहा था कि यह विषय एक ब्राह्मण के द्वारा ही कहा जाएगा, मैं सिर्फ बैठा रहूंगा. व्यास पीठ पर बैठने के बहुत सारे नियम हैं.

प्रमोद कुमार यादव
कथावाचकर प्रमोद कुमार यादव ने कहा कि यह कैसे हो सकता है कि केवल ब्राह्मणों का ही अधिकार है. जो ब्रह्म में लीन है, वही है ब्राह्मण. जो विद्या में प्रवीण है, वही है ब्राह्मण. जाति से सभी शूद्र पैदा होते हैं. उसके बाद कर्म उसकी जाति तय करते हैं. ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि ब्राह्मण ही कथा कर सकते हैं. अगर उन लोगों ने अपनी जाति छिपाई थी, तो गांवों का 20-30 किलोमीटर का दायरा होता है. जिन लोगों ने कथा करवाई उनको पता करवा लेना चाहिए था कि वे ब्राह्मण हैं या यादव. इतनी जो नीचता की गई है, यह शर्मनाक है.
अवधेश यादव
विद्वान सर्वत्र पूज्यते. जिसके पास ज्ञान है, वही ज्ञान का प्रचार और विस्तार करेगा. हिंदुस्तान में जहां हम जी रहे हैं, बैठे हैं, वहां संविधान के हिसाब से काम करते हैं. मनुस्मृति और सामंतवाद के हिसाब से काम नहीं करते हैं. हमारे ऊपर कुछ थोपा जाएगा, वह संविधान के विरुद्ध काम है. भगवान कृष्ण की कथा कहने का पहला अधिकार यदुवंशियों का है. उनका जन्म यदुवंश में हुआ है, इसलिए सबसे पहला उत्तराधिकारी यादव है.

इस पर कथावाचक ने कहा कि यादव समाज के अध्यक्ष जो बोल रहे हैं कि श्रीकृष्ण पर पहला अधिकार यादवों का है, तो लोग कहेंगे कि भगवान श्रीराम पर पहला अधिकार क्षत्रियों का है. भगवान ब्रह्मा पर सिर्फ ब्राह्मणों का अधिकार है. ऐसा कुछ नहीं है. अज्ञानी और मूर्ख लोग ऐसा बोलते हैं. विद्वान लोगों के लिए सभी देवी-देवता एक हैं. पूरा सनातन परिवार है.
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