लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने का सामूहिक प्रयास तेज किया गया है. लोकसभा स्पीकर जम्मू और कश्मीर के दौरे में पंचायत प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए मंगलवार को ये बात कही. स्पीकर बिरला पंचायती राज प्रतिनिधियों (panchayat representatives) के सशक्तिकरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कंवेंशन सेंटर में यह कार्यक्रम चल रहा है. कार्यक्रम को पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला समेत कई अन्य लोगों ने भी संबोधित किया और पंचायतों के सशक्तीकरण पर अपनी बात रखी.
लोकसभा स्पीकर ने कहा , कश्मीर धरती का स्वर्ग है.यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और लोगों की जीवंतता का दूसरा उदाहरण नहीं मिलता है. लोगों की शालीनता और देश के प्रति प्रतिबद्धता अद्भुत है.कश्मीर की लोकतांत्रिक संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए सभी संस्थाएं सामूहिक प्रयास कर रही हैं. लोकतंत्र हमारी जीवन पद्धति में है, हमारी संस्कृति और सभ्यता में है. लोकतंत्र लोगों की जीवन शैली का स्थायी भाग है. भारत में समूहिकता से सभी के कल्याण का निर्णय लेने की परम्परा बहुत पुरानी है. लोकतंत्रिक मूल्यों के संदर्भ में भारत पूरे विश्व के मार्गदर्शक की भूमिका में है.
लोकसभा स्पीकर ने कहा, पंचायतें जनता की आशाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य कर रही हैं.पंचायतें आजन के जीवन में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन लाने के लिए काम कर रही हैं. लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत, सशक्त, जवाबदेह और पारदर्शी बनाना हमारा सामूहिक उत्तरदायित्व है. जनता से संवाद और चर्चा के बाद पंचायतें बनाती हैं. स्पीकर ने आह्वान किया कि पंचायते मजबूत होंगी तो देश के नीति, कानून कार्यक्रम का उचित क्रियान्वयन कर पाएंगे.
जनता से सीधा संवाद पंचायत राज प्रतिनिधियों से होता है. महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए भी पंचायतें योजनाएं बना रही हैं. पंचायतेंआत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रयास कर रही हैं. देश-विदेश के पर्यटक कश्मीर के गांवों में जाकर स्थानीय उत्पाद खरीदना चाहते हैं. बिरला ने कहा कि हमें उत्पादों को अन्तराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए भी लोकतांत्रिक संस्थाएं काम करें, कश्मीर के युवा स्टार्टअप तैयार कर रहे हैं, गांव में बैठक कर रोजगार मांगने नहीं देने का काम कर रहे हैं.
स्पीकर ने कहा, रोजगार की दृष्टि से भी जम्मू और कश्मीर जल्द आत्मनिर्भर होंगे. देश में नीति और कानून निर्धारण में पंचायतें भी लोगों की राय पहुंचाकर सक्रिय भूमिका निभाएं.एक-दूसरे के अनुभव और विचारों को साझा कर सर्वोत्तम परंपराएं पंचायतों को अपनाना चाहिए.
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