
प्रवर्तन निदेशलाय (ईडी) ने उत्तर प्रदेश के एजेंट नवाब हसन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है. नवाल हसन इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक है. ईडी ने गिरफ्तार आरोपी को 9 दिनों की रिमांड पर भेज दिया है. जांच में पता चला है कि आरोपी QFX, YFX, BotBro, BotAlpha, Crossalpha और Minecrypto जैसे फर्जी प्लेटफॉर्म के ज़रिए एक पिरामिड स्कैम चला रहा था. इस स्कैम के तहत गिरफ्तार आरोपी पीड़ितों को 5–6% मासिक रिटर्न का झांसा देकर पैसे निवेश कराए जाते थे.
निवेशक पैसा जमा करने के बाद कुछ महीने तक रिटर्न पाते थे, फिर उनकी IDs डिलीट कर दी जाती थी और पेमेंट रोक दी जाती थी. जमा किए गए पैसे USDT (क्रिप्टो करेंसी) और पेमेंट एग्रीगेटर्स के ज़रिए दुबई भेजे जाते थे, जहां प्रॉपर्टी खरीदी जाती थी और लग्ज़री लाइफ पर खर्च होता था.
क्या थी नवाब हसन की भूमिका
पुलिस की जांच में पता चला है कि वह स्कीम में “ब्लू डायमंड एग्जीक्यूटिव” रैंक तक पहुंच चुका था.उसके नेटवर्क में 10,000 से ज्यादा निवेशक जुड़े थे. वह कैश और USDT दोनों तरीकों से निवेश करवाता और दुबई बैठे मास्टरमाइंड लविश चौधरी उर्फ नवाब और उसके साथियों से सीधा संपर्क में रहता था.नवाब कई बार दुबई जाकर उनसे मिल चुका है और वहां फिर से जाने की तैयारी कर रहा था. उसके घर, शामली (यूपी) में हुई तलाशी में 94.23 लाख रुपये की नकदी बरामद हुई थी.
उसने खुद माना है कि प्लेटफॉर्म पर कोई असली ट्रेडिंग नहीं होती थी, सिर्फ डैशबोर्ड पर फर्जी बैलेंस दिखाया जाता था.
इससे पहले ईडी ने 17 सितंबर 2025 को हरिंदर पाल सिंह नाम के बड़े एजेंट को गिरफ्तार किया था. हरिंदर ने पूछताछ में नवाब हसन का नाम बताकर उसे पश्चिमी यूपी का टॉप एजेंट बताया था. 26 अगस्त 2025 को ईडी ने 9.49 करोड़ रुपये की 45 संपत्तियां जब्त की थीं.11 फरवरी और 4 जुलाई 2025 को हुई छापेमारी में 185 बैंक खातों में जमा 391 करोड़ रुपये फ्रीज़ किए गए थे.
यह गिरफ्तारी पूरे मनी ट्रेल को ट्रैक करने,बाकी एजेंटों और फ्रंट कंपनियों की पहचान करने और दुबई कनेक्शन को पकड़ने की दिशा में अहम कदम है.साफ है कि QFX घोटाले से जुड़े लोग अब ईडी के शिकंजे में हैं और जांच लगातार तेज़ हो रही है.
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